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साल भर में दो बार क्यों मनाया जाता है ‘हनुमान जन्मोत्सव’,? जानिए क्या है इसके पीछे की पौराणिक मान्यता!

हिंदू समाज के बीच साल में दो बार हनुमान जन्मोत्सव मनाने की परंपरा प्रचलित है। साल का पहला हनुमान जन्मोत्सव चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मानाया जाता है। जबकि, दूसरा हनुमान जन्मोत्सव कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।

live up bureau by live up bureau
Apr 23, 2024, 12:30 pm IST
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लखनऊ: देशभर में आज धूमधाम के साथ मनाया रहा है। भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी के जन्मोत्सव को लेकर मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। हनुमान जी को भक्ति, ज्ञान और बल का दाता माना जाता है। इसीलिए भक्त हनुमान मंदिरों में जाकर प्रसाद चढ़ाते हैं और उनसे अपने व अपनों की कल्याण की कामना करते हैं। इसके अलावा सनातन धर्म ग्रंथों में हनुमान जी को भगवान शिव का अंशावतार मनाया जाता है। जिसके कारण उनकी उपासना से तुरंत कष्टों का नाश होता है। साथ ही जीवन से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।

हिंदू समाज के बीच साल में दो बार हनुमान जन्मोत्सव मनाने की परंपरा प्रचलित है। साल का पहला हनुमान जन्मोत्सव चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मानाया जाता है। जबकि, दूसरा हनुमान जन्मोत्सव कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। साल में दो बार हनुमान जन्मोत्सव मनाने की पीछे अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं।

पहली कथा के अनुसार, बाल हनुमान ने जब सूर्य को फल समझ कर खाने की कोशिश की थी, तो इंद्र ने वज्र से उन पर प्रहार कर दिया था। जिससे वह मूर्छित हो गए थे। हनुमान जी के मूर्छित होने की सूचना मिलते ही, उनके पिता पवन देव गुस्सा हो गए थे। जिसके बाद उन्होंन अपने वेग को रोक दिया था। जिससे संसार में प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इसके बाद सभी देवताओं ने मिल कर पवन देव को मनाया और बाल हनुमान को नव जीवन प्रदान किया। यह पूरा घटनाक्रम चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। इसलिए इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।

वहीं, दूसरी कथा के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी नरकचतुर्थी को मां सीता ने हनुमान जी को अभयता और अमरता का वरदान दिया था। तभी से दूसरा हनुमान जन्मोत्सव मनाने की परंपरा प्रचलित हुई। वहीं, वाल्मिकी रामायण के अनुसार भगवान हनुमान का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी दिन मंगलवार को हुआ था।

यह भी पढ़ें:अयोध्या : राम मंदिर के निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने के लिए बढ़ाए जाएंगे मजदूर, दिसम्बर 2024 तक काम पूरा करने का लक्ष्य!

कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि, चित्रा नक्षत्र, मेष लग्न दिन मंगलवार प्रात: 6 बज कर 3 मिनट पर हुआ था। इन अवसरों पर अगर कोई व्यक्ति हनुमान जी की पूजा करता है, तो उसे निर्भीकता, निरोगी जीवन और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

Tags: bhagwan ramHanuman JanmotsavHanuman JaytantiHanuman jiRam Bhakt hanuman
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