बाराबंकी के विश्वविख्यात महादेवा मंदिर के पास स्थित भगहर झील को पर्यटन विभाग ईको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने जा रहा है। ये झील 84 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है। इसका सौन्दर्यीकरण कराकर यहां आने वाले लोगों के लिए उपयोगी बनाया जाएगा। इसके लिए लगभग 5 करोड़ रुपये के डीपीआर को स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया है।
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यह झील अत्यधिक प्राचीन है, इसमें विभिन्न प्रजाति के जलीय जीव के अलावा देसी-विदेशी दुर्लभ प्रजाति के पक्षी भ्रमण करते रहते हैं। इसके आसपास बुनियादी सुविधाओं के विकास किए जाने से झील का संरक्षण भी होगा और पक्षी प्रेमियों एवं पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा स्थल भी उपलब्ध होगा। यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने शनिवार को दी।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि प्रसिद्ध महादेवा मंदिर लखनऊ व बाराबंकी के करीब है। यहां भारी संख्या में श्रद्धालु विभिन्न अवसरों पर मंदिर के दर्शन एवं पूजन के लिए आते रहते हैं। पर्यटन विभाग अब इस झील को ईको पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए तैयार है।
यहां पहले से बागवानी है, इसके पास से पाथ-वे बनाया जाएगा। इतना ही नहीं झील के भीतर और किनारे वाॅक-वे बनाया जाएगा। बच्चों के लिए यहां खेल स्थल बनेगा। इस स्थान पर झूले भी लगाए जाएंगे। पर्यटक आएंगे तो उनके लिए खाने-पीने की सुविधा होगी, इसके लिए पर्यटन विभाग द्वारा कैंटीन भी बनायी जाएगी। इस झील में विदेशी पक्षी भी खूब आते हैं, इसलिए मिट्टी का टीला भी बनाया जाएगा। इसमें इंटरप्रेटेशन सेंटर, गजिबो, वाॅच टाॅवर समेत अन्य सुविधाएं होंगी।
ईको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी होगी। ईको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने के बाद भगहर झील के भ्रमण करने वालों की संख्या बढ़ जाएगी। राज्य सरकार ने ईको पर्यटन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके लिए ईको पर्यटन विकास बोर्ड का गठन भी किया गया है।
राज्य सरकार,, प्रदेश में स्थित अल्पज्ञात स्थलों को चिन्हित कर पर्यटन के लिए उपयोगी बना रही है। कानून व्यवस्था में अमूलचूल सुधार और आवागमन के सर्वोत्तम साधन विकसित हो जाने से पर्यटन सेक्टर में निवेश के लिए निवेशक रूचि जाहिर कर रहे हैं। इस क्षेत्र में रोजगार तथा आमदनी दोनों है। इसका अधिकतम दोहन करने के लिए राज्य सरकार पर्यटन स्थलों पर अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर जोर दे रही है।