कुशीनगर। भगवान बुद्ध की
महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर वैश्विक पर्यटन के अनुरूप बनाए जाने के लिए राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने इसके लिए अभिनव योजना तैयार
की है। दर्शनार्थ आने वाले देशी विदेशी पर्यटक जनपद में प्रवेश करते ही बौद्ध
स्थली पर होने की अनुभूति से भर उठेंगे। इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से जिले की
सीमा पर बुद्धिज़्म थीम पर आधारित प्रवेश द्वार बनाए जायेंगे। प्रत्येक द्वार की
लागत 1.20 करोड़ आ रही है। ऐसे में तीनों
पर 3.60 करोड़ खर्च होंगे। रात
में द्वार डायनेमिक फसाड लाइट से जगमग होंगे और सभी द्वार अध्यात्म, धर्म, संस्कृति और बौद्ध वास्तुकला से पर्यटकों को परिचित
करायेंगे। द्वार के निर्माण के लिए विभाग वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति का इंतजार
कर रहा है।
जानिए
किन-किन रास्तों से कुशी नगर आते हैं पर्यटक
इन तीनों प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए देवरिया-गोरखपुर जनपद की सीमा सहित फोरलेन के रास्ते पर बिहार सीमा पर स्थल का
चयन कर लिया गया है। इन्हीं तीनों रास्तों से विदेशी पर्यटक कुशीनगर आते हैं। भगवान
गौतम बुद्ध के प्रथम उपदेश स्थल सारनाथ से पर्यटक देवरिया और गोरखपुर के रास्ते
कुशीनगर आते हैं। ज्ञान प्राप्त स्थल बोधगया से पर्यटक गोपालगंज बिहार के रास्ते
कुशीनगर की सीमा में प्रवेश करते हैं। बुद्ध की जन्म स्थल लुंबनी नेपाल से आने
वाले पर्यटक गोरखपुर के रास्ते जनपद की सीमा में प्रवेश करते हैं।
क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी रविंद्र कुमार
ने बताया कि तीनों द्वार भगवान बुद्ध के प्रिय शिष्य आनंद, महाकश्यप और अनिरुद्ध के नाम पर समर्पित होंगे। प्रवेश द्वार
के लिए वास्तुकला, ड्राइंग एवम् आगणन तैयार कर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट शासन को
वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति के लिए भेजी गई है। प्रवेश द्वार आकर्षक, भव्य और बौद्ध स्थापत्य कला का नमूना होगा।