लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद, अब मालद्वीप अपने ही मकड़जाल में फंसता दिख रहा है। भारत के दक्षिण ओर हिंद महासागर में स्थित इस इस्लामिक देश में आतंकवाद के साथ-साथ नशीले पदार्थों का अवैध कारोबार खूब फल-फूल रहा है। इसका खुलासा एक समाचार न्यूज चैनल पर शीर्ष खूफिया सूत्रों ने किया है।
सूत्रों का कहना है कि मालद्वीव में न सिर्फ अवैध नशे का कारोबार बढ़ रहा है बल्कि यह देश इस्लामिक स्टेट और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का केंद्र बन चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मालदीव में कुछ दिनों पहले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के अड्डे की पुष्टि हुई थी।
खूफिया सूत्रों ने बताया, इन दिनों मालदीव इस्लामिक कट्टरपंथियों का सामना कर रहा है। मालदीव के कुछ बड़े व्यापारिक घरानें अपना व्यापार बढ़ने के लिए चीन के आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय और पाकिस्तान की खुफिया ऐजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यहा बड़े व्यापारी स्थानीय सरकार को नियंत्रण करने के साथ-साथ वित्त पोषण भी कर रहे हैं। साथ ही वैश्विक स्तर पर अपनी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए लश्कर के नेता मालदीव में जाकर बस रहे हैं।
सुन्नी मुस्लिम बाहुल्य देश मालदीव को अमेरिका बहुत पहले ही हद से ज्यादा चरमपंथी देश कह चुका है। अब यही बातें निकलकर भी सामने आने लगी हैं। बता दें कि 2010 में तत्कालीन गृहमंत्री पी.चिदंबरंम ने भारतीय पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर मालदीव के साथ समझौता किया था, जिसमें कहा गया था कि 26/11 मुंबई हमले के बाद, मालदीव अब लश्कर आतंकियों को शरण नहीं देगा। लेकिन फिर भी मालदीव में आतंक और नशे का अवैध कारोबार खूब फल-फूल रहा है।
कट्टरपंथी देश मालदीव
मालदीव किस सीम तक कट्टरपंथी देश है, इस का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां किसी गैर मुस्लिम को नागरिकता तक नहीं मिलती। एक समय तक बौद्ध बाहुल्य आबादी वाला यह देश कैसे मुस्लिमों का गढ़ बन गया यह विषय विचारणीय है।
11वीं सदी तक रहा बौद्ध राजाओं का शासन
इतिहासकारों का कहना है कि मालदीव में 9वीं सदी में कलिंग राजा ब्रह्मदित्य का शासन था। इसकी पुष्टि वहां मिलने वाले शिलालेखों से होती हैं। बाद में राजसी शादियों के माध्यम से चोलवंश के राजा वहां पहुंचे। फिर 11वीं सदी में महाबर्णा अदितेय ने मालदीव पर शासन किया।
मालदीव कैसे बना इस्लामिक देश
तीसरी सदी तक मालदीव की अधिकांश जनसंख्या बौद्ध धर्म को मानती थी। यहां हिंदू राजाओं के आने के बाद भी, हिंदू और बौद्ध दोनों धर्म बढ़ते रहे। मालदीव में 50 से अधिक बौद्ध स्तूप थे, लेकिन इसमे से अधिक नष्ट हो चुके हैं या तोड़े जा चुके हैं। इतिहासकारों के अनुसार यहां 1152 तक बौद्ध राजाओं का शासन रहा। फिर 1153 में आखिरी बौद्ध राजा धोवेमी ने इस्लाम अपना लिया था। बाद में राजा का नाम मुहम्मद इब्न अब्दुल्ला पड़ा। कहा जाता है तभी से मालदीव इस्लामिक देश की तरफ बढ़ा।
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मालदीव में धार्मिक वातावरण
मालदीव में अगर धार्मिक आधार पर आबादी की बात करें तो यहां 98 प्रतिशत मुस्लिम हैं। बाकी 2 प्रतिशत आबादी अन्य धर्मों को मानने वालों की है। लेकिन यहां 2 प्रतिशत अन्य धर्म के लोगों पर कई प्रकार की पाबंदियां लगी हुई हैं। इन्हें सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक प्रतीक जैसे की पूजा करना और अपने त्यौहार मनाने की आजादी नहीं है।