नई दिल्ली: अपनी भारत विरोधी बयानबाजी के बाद, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सुलह का रुख अपनाया है। हाल ही में उन्होंने लोकल मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत उनके देश का निकटतम सहयोगी बना रहेगा। साथ ही उन्होंने भारत सरकार से मालदीव को ऋण से राहत देने की भी गुहार लगाई है। बता दें कि पिछले साल के अंत तक मालदीव पर भारत का लगभग 400.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 3,500 करोड़ का कर्ज है।
पिछले साल नवंबर में मुइज्जू ने मालदीव के राष्ट्रपति पद की शपथ थी। राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से ही उनका रुझान चीन की तरफ रहा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ जहर उगला। इसके बाद भी भारत सरकार ने मालदीव की पूरी मदद की, चाहे कोरोना काल के दौरान दवाई और वैक्सीन पहुंचाना हो या फिर विकास कार्यों को लेकर कर्ज मुहैया करना हो। फिर भी मुइज्जू चीन समर्थक ही रहे। जब वह चीन के कर्ज वाले जाल में फंस चुके हैं तो फिर से भारत की याद आ रही है।
बता दें कि कुछ महीनों पहले, मोहम्मद मुइज्जू सरकार के 3 मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी की थी। जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मालदीव की काफी किरकिरी हुई थी। वहीं, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भी भारत के प्रति सख्त रुख अपनाया था, उन्होंने कहा था कि तीन विमानन प्लेटफार्मों का संचालन करने वाले भारतीय सैन्य कर्मियों को 10 मई तक उनके देश से वापस भेज दिया जाएगा।
वहीं, अब मालदीव के राष्ट्रपति का रुख भारत के प्रति फिर से नरम पड़ गया है। गुरुवार को स्थानीय मीडिया के साथ बात करते हुए मुइज्जू ने कहा कि भारत, मालदीव को सहायता प्रदान करने में सहायक था। भारत ने बड़ी संख्या में उनके देश में परियोजनाओं को लागू किया है। उन्होंने कहा कि भारत मालदीव का सबसे करीबी सहयोगी बना रहेगा।
कर्ज को देखते हुए मालदीव के बदले सुर
भारत के भारी कर्ज को देखते हुए मालदीव के सुर बदले हैं। अब राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें कर्ज चुकाने के समय सीमा में राहत प्रदान की जाए। साथ ही मालदीव को यह भी डर सता रहा है कि कहीं भारत द्वारा मालदीव में संचालित किए जा रहे प्रोजेक्ट बंद ना कर दिए जाएं।