पीएम मोदी ने सोमवार की शाम को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के लिए DRDO को बधाई दी। उन्होंने लिखा कि “मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक के साथ स्वदेसी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण, मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे DRDO वैज्ञानिकों पर गर्व है।”
ये भी पढ़ें- जारी हुआ CAA का नोटिफिकेशन, अब गैर मुस्लिम शरणार्थियों को मिल सकेगी नागरिकता
अग्नि-5 मिसाइल की खासियत
अग्नि-5 मिसाइल को DRDO और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने संयुक्त रूप से मिलकर बनाया है। ये मिसाइल 50 हजार किलोग्राम भार की है। ये 17.5 मीटर लंबी है और इसका व्यास 2 मीटर यानि 6.7 फीट है। इस पर करीब 1500 किलोग्राम वजन का परमाणु हथियार लगा सकते हैं। मिसाइल में तीन स्टेज के रॉकेट बूस्टर हैं, जो सॉलिड फ्यूल से उड़ते हैं। इनकी गति एक सेकेंड में 8.16 किलोमीटर तक की है।
अग्नि-5 मिसाइल 29,401 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हमला कर सकती है। इसमें रिंग लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम, जीपीएस, NavIC सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम लगा हुआ है। इस मिसाइल की खास बात ये है कि अगर टारगेट अपनी जगह से 10-80 मीटर तक खिसक भी जाता है तो उसका बचना मुश्किल है।
कई बार हुए सफल परीक्षण
पहली बार अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को हुआ था। इसके बाद 15 सितंबर 2013, 31 जनवरी 2015, 26 दिसंबर 2016, 18 जनवरी 2018, 3 जून 2018 और 10 दिसंबर 2018 को भी सफल परीक्षण हुए। इन परीक्षणों के दौरान मिसाइल को विभिन्न मानकों पर जांचा और परखा गया।
2007 में पहली बार बनी थी इसकी योजना
अग्नि-5 मिसाइल के बारे में वैज्ञानिक एम. नटराजन ने 2007 में पहली बार योजना बनाई थी। अग्नि-5 मिसाइल को लॉन्च करने के लिए मोबाइल लॉन्चर का उपयोग किया जाता है। अग्नि-5 मिसाइल को 200 ग्राम का कंट्रोल एंड गाइडेंस सिस्टम नियंत्रित करता है। ये इस मिसाइल पर ही लगा रहता है। इसे सिस्टम ऑन चिप आधारित ऑन-बोर्ड कंप्यूटर कहते हैं। MIRV तकनीक के जरिए मिसाइल में दो से 10 हथियार लगाए जा सकते हैं, यानि एक मिसाइल से एक साथ कई किलोमीटर में फैले अलग-अलग 2 से 10 टारगेट पर सटीक निशाना साधा जा सकता है।