राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने स्थापना के 100वें साल में प्रवेश कर रहा है. विजयादशमी 2025 को संघ अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा. 100 साल में संघ के स्वयंसेवकों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कई आयाम स्थापित किए हैं, जो लगातार समाज, राष्ट्रहित में कार्य कर रहे हैं. इसी में से एक संगठन ‘विज्ञान भारती’ है. इस संगठन का जन्म ‘स्वदेशी विज्ञान आंदोलन’ से हुआ. संगठन वैदिक विज्ञान को बढ़ावा देते हुए स्वदेशी भावना से कार्य कर रहा है.
‘स्वदेशी विज्ञान आंदोलन’ की शुरुआत बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में हुई. आंदोलन को खड़ा करने में प्रोफेसर केआई वासु व उनके साथी वैज्ञानिकों का अहम योगदान रहा. वर्ष 1991 में 20-21 अक्तूबर को नागपुर में बैठक हुई, तब इस आंदोलन को पूरे देश में फैलाने का निर्णय लिया गया. जिसको देखते हुए ‘विज्ञान भारती’ नामक संगठन का निर्माण हुआ.
आज विज्ञान भारती की देशभर के 22 राज्यों में इकाइयां हैं. यह संगठन देश के 11 अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहा है. इसके लिए यह विभिन्न स्वतंत्र संस्थाओं और परियोजनाओं के माध्यम से कार्य करता है. विज्ञान भारती का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भारतीय संस्कृति और आवश्यकताओं के अनुसार विकसित करना और इसे जन-जन तक पहुंचाना है.
संगठन के उद्देश्य क्या हैं?
वैदिक विज्ञान और भौतिक विज्ञान के बीच सामंजस्यपूर्ण संश्लेषण करके भारतीय विरासत को आगे बढ़ाना. संगठन का मानना है कि यह दोनों एक दूसरे को पोषित करते हैं और एक साथ फलते-फूलते हैं. सभी भारतीय भाषाओं के लिए एक समान लिपि और वैज्ञानिक शब्दावली के विकास की दिशा में कार्य करना है.
साथ ही आधुनिक विज्ञान के विकास में प्राचीन भारत के अद्वितीय योगदान को लेकर लोगों को जागरूक करना है. संगठन का उद्देश्य विश्व गुरु भारत के उद्देश्य से विज्ञान व प्रौद्योगिकी के इस युग में स्वदेशी आंदोलन को पुनर्जीवित करना है.
सभी भारतीय भाषाओं में, सभी स्तरों पर,जनसंचार माध्यमों के माध्यम से भी, स्वदेशी उत्साह के साथ विज्ञान आंदोलन को सक्रिय करना. सभी पाठ्य पुस्तकों और पाठ्यक्रम में वैज्ञानिक विरासत के बारे में जानकारी शामिल करने के लिए शैक्षिक अधिकारियों से संपर्क करना.
वेदों से उत्पन्न आयुर्वेद दर्शन का प्रचार, क्या है ‘नास्या’ अभियान?
विज्ञान भारती, भारत की प्राचीन आयुर्वेद उपचार पद्धति को फिर से लोगों के जीवन में शामिल करने के लिए ‘नास्या’ अभियान चला रही है. यह जिसका उद्देश्य आयुर्वेद के छात्रों व युवाओं को एक साथ लाना है. ताकि उन्हें प्राचीन आयुर्वेद उपचार पद्धति पर शोध, अभ्यास और उसके प्रचार के लिए प्रेरित किया जा सके.
नास्या आयुर्वेद के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन है. इसकी शुरुआत 20 दिसंबर, 2008 को जयपुर में हुई थी. नास्या का गठन आयुर्वेद के छात्रों और युवाओं में शास्त्रीय अध्ययन, नैदानिक अभ्यास और अनुसंधान में आयुर्वेद की भावना को पुनः जगाने के लिए किया गया था.
नास्या अभियान के जरिए भारत भर में 100 से अधिक संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित किया है. साथ ही 6000 से अधिक छात्र और युवा शोधकर्ता इसका हिस्सा हैं.
‘भारतीय विज्ञान सम्मेलन’ का आयोजन
विज्ञान भारती द्वारा हर दो साल पर भारतीय विज्ञान सम्मेलन (बीवीएस) का आयोजन करता है. वीएस में वैज्ञानिकों, कारीगरों, टेक्नोक्रेट्स, पारंपरिक इनोवेटर्स, छात्रों और आम लोगों को आमंत्रित किया जाता है.
भारतीय विज्ञान सम्मेलन विज्ञान में योगदान देने वाले सभी लोगों को एक साथ लाने का एक मंच है. जिसका उद्देश्य किसी भी भारतीय क्षेत्रीय भाषा का उपयोग करके वैदिक और आधुनिक विज्ञान के बीच संबंध स्थापित करना है.
बीवीएस के माध्यम से भारतीय विरासत, प्राकृतिक और आध्यात्मिक विज्ञान के बीच गहरे संबंधों को युवा वैज्ञानिकों को समझाया जाता है. साथ ही एक्सपो-प्रदर्शनी के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाता है.
अब तक हुए भारतीय विज्ञान सम्मेलन और उनके विषय क्या थे?
प्रतिवर्ष भारतीय विज्ञान मंथन का आयोजन
विज्ञान भारती भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से हर साल ‘विद्यार्थी विज्ञान मंथन परीक्षा’ का आयोजन करता है. यह परीक्षा कक्षा 6 से 12 तक के स्कूली छात्रों के लिए आयोजित की जाती है. जो भारत की सबसे बड़ी विज्ञान प्रतिभा खोज परीक्षा है.
परीक्षा से वैज्ञानिक अभिरुचि वाले प्रतिभाशाली छात्रों की खोज की जाती है. साथ ही परीक्षा से छात्रों के बीच विज्ञान के प्रति रुचि भी उत्पन्न होती है.
राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सफल विद्यार्थियों की पहचान कर उन्हें सम्मानित किया जाता है. साथ ही देश के विभिन्न अनुसंधान एवं विकास संस्थानों का भ्रमण भी कराया जाता है.
पुरस्कार और सम्मान
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से सम्मान
विज्ञान भारती को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 1 मार्च 2007 को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया था. यह पुरस्कार विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार में उत्कृष्ट प्रयासों और विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए दिया गया था.
जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित
भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन ने साल 2005-06 में विज्ञान भारती को जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया था. पुरस्कार के तौर पर एक लाख रुपये नकद और एक सम्मान पत्र (पट्टिका) दी गई थी.
विज्ञान भारती ने आधुनिक विज्ञान को हमारी पारंपरिक और सांस्कृतिक वैज्ञानिक सोच के साथ जोड़ने का कार्य किया, इसी को देखते हुए यह पुरस्कार दिया गया था.