आगामी 11 जुलाई से सावन का पवित्र माह प्रारंभ हो रहा है. सनातन संस्कृति में इस माह का विशेष महत्व है.सनातन धर्मी सावन माह भर भोलेनाथ का ध्यान करते हैं. साथ ही कांवड़ यात्रा निकालते हैं. जो बहुत पवित्र मानी जाती है. यात्रा के दौरान मांस और शराब का सेवन पूरी तरह से वर्जित होता है.
हालांकि, इस यात्रा में शामिल होने वाले कांवड़ियों की आस्था के साथ एक बार फिर से खिलवाड़ करने का प्रयास किया जा रहा है. हाल ही में मुजफ्फरनगर में एक मुस्लिम ढाबा कर्मचारी ने अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर मीडियाकर्मियों से अपना नाम गोपाल बताया था. लेकिन आधार कार्ड पर उसका नाम तजम्मुल दर्ज है. ढाबे का नाम पंडित जी वैष्णव ढाबा रखा गया था, लेकिन उसका मालिक सव्वनर है.
इसीलिए बीते साल योगी सरकार ने यूपी के सभी कांवड़ मार्गों पर पड़ने वाले ढाबों, दुकानों और खानपान वाले सभी प्रतिष्ठानों पर उनके मालिकों के नाम लिखने के आदेश जारी किए थे. साथ ही इस बार कांवड़ यात्रा में पड़ने वाली दुकानों पर क्यूआर स्कैन कोड चिपकाया जाएगा.
जिसको स्कैन करने यात्री दुकानदार के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. क्योंकि कांवड़िए, कावड़ यात्रा के दौरान मांस-मदिरा का सेवन करना तो दूर, इस दौरान वह किसी ऐसे व्यक्ति के हाथों का बना भी कुछ ग्रहण नहीं करते, जो मांस का सेवन करता हों.
कांवड़ यात्रियों की आस्था के साथ कोई खिलवाड़ न कर पाए, इसलिए सीएम योगी ने सख्त निर्देश जारी किए हैं. सीएम योगी ने यात्रा मार्ग पर मांस की बिक्री पर रोक लगा दी है. साथ ही हथियारों और गोला-बारूद के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है.
दुकानदारों से अपनी दुकान पर नाम लिखने को कहा गया है. साथ ही खाद्य सुरक्षा विभाग से मिला प्रमाणत्र और खाद्य पदार्थों की रेट लिस्ट को भी दुकान पर चस्पा करना होगा. वहीं, सीएम योगी ने पूर्व में कांवड़ियों पर हुए पथराव की घटना को देखते हुए, सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम करने को कहा है.
यूपी में कांवड़ यात्रा वाले मार्गों पर होटलों और ढाबों पर उनके मालिकों का नाम लिखने के आदेश को कुछ लोग विवादित बताते रहे हैं. लेकिन ऐसी तमाम घटनाएं सामने आई हैं, जब मुस्लिमों ने हिंदू नामों और देवी-देवताओं के नामों का सहारा लेकर अपने ढाबों और होटलों का संचालन करते पाए गए हैं. यह कांवड़ यात्रियों की आस्था के साथ बड़ा खिलवाड़ है.
दुकानों पर लगाना होगा QR Code
मेरठ खाद्य सुरक्षा विभाग ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली सभी दुकानों पर QR Code प्रिंटकर लगाने को कहा है. ताकि कावड़ यात्री कोड को स्कैन कर दुकान और उसके मालिकों से संबंधित जानकारी ले सकें.
11 जुलाई से शुरू होने वाली वार्षिक कांवड़ यात्रा से पूर्व मेरठ जिला प्रशासन ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों में खाद्य पदार्थों की सूची और कीमत भी प्रदर्शित करने को कहा.
सभी खाद्य दुकानों के मालिक दुकान पर अनिवार्य खाद्य सुरक्षा पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करें.जिसमें दुकान मालिक का नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज हो.
खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2006 की धारा 55 का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
दुकानदारों को नाम लिखने को कहा गया था
बीते साल 2024 में पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले होटलों, ढ़ाबों और दुकानों पर उनके मालिकों का नाम लिखने को कहा था. हालांकि इस पर सुप्रीम कोर्ट नेकहा था कि इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा था कि दुकानदार अपना नाम स्वेच्छा से डिस्पले कर सकत हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 या स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम, 2014 के तहत ऐसे निर्देश खाद्य सुरक्षा विभाग जारी कर सकता है जिससे शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाए, यह सुनिश्चित किया जा सकता है.
प्रशासन रेट लिस्ट द्वारा निर्धारित
दुकानदार कांवड़ यात्रियों से मनमानी न कर पाएं, इसलिए खाद्य पदार्थों का मूल्य खाद्य सुरक्षा विभाग ने निर्धारित कर दिए हैं. प्रशासन ने जो मूल्य निर्धारित किए हैं, वह इस प्रकार है.
दुकानों पर नाम लिखवाने की क्यों जरूरत पड़ी?
पूर्व में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जब कांवड़ यात्रियों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया.मुस्लिम हिंदू नामों का सहारा लेकर ढाबों का संचालन कर रहे थे. यह लोग अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर न सिर्फ राहगीरों को गुमहार कर रहे थे, बल्कि कांवड़ यात्रियों की आस्था के साथ भी खिलवाड़ कर रहे थे. जिसको देखते हुए बीते साल योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा वाले मार्ग पर पड़ने वाली सभी खाद्य सामग्री की दुकानों पर मालिकों का स्पष्ट नाम लिखने को कहा गया था.
तजम्मुल ‘गोपाल’ बनकर परोस रहा था खाना
बीते 28 जून को स्वामी यशवीर जी महाराज के शिष्य मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून हाइवे स्थित पंडित जी वैष्णव ढाबा पर पहुचे थे. यहां उन्होंने कर्मचारियों की धार्मिक पहचान करने की मांग की थी. मामला सुर्खियों में आने के बाद मीडिया की टीम ढाबे पर पहुंची. 29 जून को वहां एक काम करने वाले कर्मचारी ने अपनी नाम गोपाल बताया.
हालांकि जब मीडिया कर्मी 3 जुलाई को एक बार फिर से ढाबे पर पहुंचे तो उसने अपना असली नाम तजम्मुल बताया.
तजम्मुल ने बताया कि उस पर ढाबे के मालिक सव्वनर ने दबाव बनाया था कि वह अपना नाम गोपाल बताए.सव्वनर ने गोपाल की पहचान छिपाने के लिए उसके हाथ में एक कड़ा भी पहनवाया था. ताकि किसी भी ग्राहक को संदेह न हो कि यह मुस्लिम है.
सव्वनर हिंदू देवी-देवताओं का सहारा लेकर ढाबे का संचालन कर रहा था. उसने अपने ढाबे का नाम पंडित जी वैष्णव ढाबा रखा था. साथ ही वह अपने ढाबे पर बनने वाले खाने को शुद्ध और शाकाहारी होने का दावा करता था. ढ़ाबा कर्मचारी तजम्मुल ने बताया कि मालिक सनव्वर ने पंडित जी वैष्णव ढाबा के नाम से ढाबा खोल रखा है. ढाबे का असली मालिक वही है.
सलीम 24 सालों से चला रहा था संगम होटल
बीते साल जब सीएम योगी ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी ढाबों के मालिकों का नाम डिस्प्ले करने के आदेश दिए थे. तब तमाम ढाबों के नाम बदल गए. जो मुस्लिम मालिकों द्वारा सनातनी नामों का सहारा लेकर चलाए जा रहे थे. नाम डिस्प्ले करने के आदेश के बाद दिल्ली-देहरादून हाईवे पर पिछले 25 वर्षों से ‘संगम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय’का नाम ‘सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय’ हो गया था.
हैरानी करने वाली बात है कि जिस संगम ढाबे को लोग हिंदू मालिक का समझकर वहां जाते थे, वह सलीम का निकला. 25 सालों से सलीम लोगों और कांवड यात्रियों को गुमराह कर रहा था.
फहीम की ‘चाय लवर पॉइंट’ हुआ ‘वकील अहमद टी स्टॉल’
मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून नेशनल हाइवे-58 पर कई सालों से ‘चाय लवर प्वाइंट’ के नाम से फहीम अपनी दुकान का संचालन कर रहा था. यह दुकान कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ती थी, योगी सरकार के आदेश के बाद ‘चाय लवर पॉइंट’ का नाम अब ‘वकील अहमद टी स्टॉल’ हो गया है. अब कांवड़ यात्रियों के सामने भ्रम की स्थिति नहीं उत्पन्न होगी.