गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को काशी में 4 राज्यों के CM के साथ 25वीं सेंट्रल जोनल काउंसिल की बैठक की. होटल ताज में हुई इस बैठक में यूपी, एमपी, छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड के सीएम सहित विभिन्न विभागों के 120 अधिकारी उपस्थित रही. सेंट्रल जोनल काउंसिल की बैठक में राज्यों के विकास जिसमें सड़क, बिजली, पानी, परिवहन के साथ सुरक्षा जैसे अहम विषयों पर भी चर्चा हुई. भारत में बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुस्लिमों की घुसपैठ, भारत-नेपाल सीमा से सटे यूपी, बिहार व उत्तराखंड जिलों में बढते अपराध, अवैध धर्मांतरण पर चर्चा हुई.
इस बैठक के बाद नेपाल रास्ते से भारत में रोहिंग्या व बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ, नेपाल सीमा से सटे भारतीय जिलों में मतांतरण, लव जिहाद, अवैध मदरसे, दोहरी नागरिकता व अन्य अपराध को लेकर चर्चा तेज हो गई है. रिपोर्ट में हम ऐसी ही कुछ खबरों का जिक्र करेंगे जो भारत-नेपाल सीमा पर घटित हो रही हैं. जिनसे हमें चौकन्ना होने की जरूरत है.
उत्तर प्रदेश की 570 किलोमीटर की सीमा नेपाल से सटी है. जिसमें महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी व पीलीभीत जिला नेपाल के सीमावर्ती हैं. दोनों देशों के बीच सोनौली, खूंनवा, रुपईडीहा बार्डर होने के साथ-साथ 300 से ज्यादा पगडंडियां भी हैं, अधिकतर अवैध कार्य इन्हीं पगडंडियों और बार्डर के जरिए होता है.
भारत नेपाल सीमा पर लव जिहाद का शिकार 2 किशोरी एक युवती बरामद
बीते 11 जून को भारत-नेपाल सीमा स्थित सोनौली बॉर्डर पर लव जिहाद का मामला सामने आया था. मुस्लिम युवाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से 2 नाबालिग हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाया था. आरोपियों ने पहले मुंबई में काम कर रही, जौनपुर की एक युवती को प्रेमजाल में फंसाया, फिर उसके माधयम से गोरखपुर की दो किशोरियों को प्रेमजाल में फंसाकर नेपाल ले जाने के फिराक में थे. लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं की सक्रियता से जिहादी कामयाब नहीं हो पाए.
किशोरियों को भगाकर नेपाल ले जा रहे तीन मुस्लिम युवक अयान खान, बासित खान और मोहम्मद अरबाज को पुलिस ने भारत-नेपाल सीमा स्थित सोनौली बॉर्डर पर गिरफ्तार कर लिया. यह तीनों जिहादी आजमगढ़ के रहने वाले थे. पुलिस से गोरखपुर की 2 किशोरियों और जौनपुर की एक युवती को भी बरामद किया.
सीतामढ़ी में नेपाल सीमा पर लव जिहाद
6 अगस्त 2024 को एसएसबी ने भारत-नेपाल सीमा पर एक और लव जिहाद के मामले का खुलासा किया था. एसएसबी ने बिहार के सीतामढ़ी में भारत-नेपाल सीमा स्थित हनुमान चौक चेक पोस्ट से 2 नाबालिग हिंदू लड़कियों को बरामद किया था. यह दोनों नेपाल के झापा जिला की रहने वाली थीं. जिसमें से एक की उम्र 14 और दूसरे की 13 साल है. एसएसबी को संदेह होने पर दोनों लड़कियों से पूछताछ की. जिस पर उन्होंने अपने दोस्तों के साथ भारत में घूमने जाने की बात कही.
एसएसबी ने लड़कियों से अपने दोस्तों को बुलाने की बात कही. बुलाने पर आए मुस्लिम युवकों की पहचान नेपाल के सर्लाही जिला निवासी 19 वर्षीय दिलशाद पुत्र उस्मान साह व 20 वर्षीय अब्दुल पमाड़ियां पुत्र नासिर पमाड़ियां के रूप में हुई है. यह दोनों नाबालिग हिंदू लड़कियों के साथ 4 सालों से प्रेम प्रसंग में थे. दोनों ने हिंदू लड़कियों को पंजाब के लुधियाना ले जाने की योजना बनाई थी.
38 वर्षीय अंजारुल हक 16 वर्षीय हिंदू के साथ पकड़ा गया
तीसरी घटना बिहार के पश्चिम चंपारण जिले की है. यहां वाल्मीकीनगर स्थित भारत-नेपाल सीमा सशस्त्र सीमा बल ने 38 वर्षीय व्यक्ति अंजारुल हक को गिरफ्तार किया है. वह 16 साल की हिंदू किशोरी को अपने साथ लेकर नेपाल जा रहा था.
अंजारुल हक ने 16 साल की नाबालिग हिंदू किशोरी को बहला-फुसलाकर अपने प्रेमजाल में फंसा लिया. फिर वह उसे भगाकर नेपाल ले जा रहा था. जहां उसकी योजना निकाह करने की भी हो सकती थी, लेकिन एसएसबी की सक्रियता से एक किशोरी की जिंदगी बरबाद होने से बच गई.
नेपाल सीमा से सटे भारतीय जिलों में मतांतरण का खेल
भारत-नेपाल सीमा पर लव जिहाद के अलावा मतांतरण का खेल भी धड़ल्ले से चल रहा है. हाल ही में नेपाल सीमा से सटे पीलीभीत जिले में 3,000 सिखों के ईसाई मत में मतांतरित कर दिया था. इतनी बड़ी संख्या में खिसों के कन्वर्जन से हलचल तेज हो गई थी. पीड़ितों ने बताया था कि उन्हें लालच देकर और जबरन ईसाई मत में लाया गया था. हालांकि मतांतरित हुए कई सिखों ने फिर से सिख पंथ में वापसी की है.
25 सालों से नेपाल सीमा पर सक्रिय हैं ईसाई मिशनरी
25 वर्षों से ईसाई मिशनरीज का नेटवर्क नेपाल सीमा पर सक्रिय है. नेपाल बॉर्डर के पास के गांवों में मिशनरी गतिविधियां चल रही हैं. 25 साल पहले नेपाल से आए पादरी ने टाटरगंज में एक सिख का मर्तांतरण कराया था, जिसके बाद से अब तक लगभग 3,000 सिख मतांतरित हो चुके हैं.
बैल्हा गुरुद्वारा कमेटी के प्रबंधक गुरदयाल सिंह ने अनुसार, मतांतरण के लिए ईसाई मिशनरी लालच व दबाव दोनों तरीके आजमा रहे हैं. मिशनरी सिख बहुल गांवों को अपने प्रचार का केंद्र बनाते हैं. नेपाल से सटे पीलीभीत जिले के करीब 20 गांवों में मिशनरी अधिक सक्रिय हैं. मिशनरी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें लालच देते हैं फिर उन्हें ईसाई मत में मतांतरित होने को कहते हैं. जब इससे भी बात नहीं बनती, तो लोगों को भय और डर दिखाकर उनको ईसाई मत में मतांतरित किया जाता है.
जून 2024 में बैल्हा गांव में बिना अनुमति के चर्च निर्माण का भी काम शुरू हुआ था, जिसके बाद ग्रामीणों की शिकायत पर एसपी ने निर्माण रुकवा दिया था. 10 मई 2025 को नेपाल से आए पादरी अर्जुन व मतांतरित सिख सतनाम समेत 56 लोगों पर जबरन धर्मांतरण की प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी.
वहीं जिन परिवारों ने सिख धर्म अपना लिया है, उन 150 परिवारों की सूची डीएम व एसपी को सौंपकर कार्रवाई की मांग की गई थी. ईसाई बन चुके सिखों के घरों की दीवारों पर लाल रंग से क्रॉस देखे जा सकते हैं. जबकि कई घरों में ईसाई कैलेंडर और प्रचार सामग्री मिली है. जिन घरों पर क्रास का निशान होता है, वहां पादरी प्रार्थनासभा का आयोजन करते हैं. नेपाल सीमा पर टाटरगंज, बैल्हा, बाजारघाट, वमनपुर भगीरथ और ट्रांस शारदा में ईसाई मिशनरियों का यह नेटवर्क अब एक संगठित रैकेट का रूप ले चुका है.
नेपाल से सटे जिलों में इस्लामिक कट्टरता फैला रहा नेपाल जकात फाउंडेशन
नेपाल के सीमावर्ती भारतीय जिलों में सक्रिय नेपाल जकात फाउंडेशन भारत विरोधी इस्लामिक कट्टरपंथी नेटवर्क बना रहा है. गरीबों को राशन और कपड़ देकर चर्चा में आए इस फाउंडेशन को लेकर भारतीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. अप्रैल 2022 में बना नेपाल जकात फाउंडेशन (NZF) के प्रमुखों के संबंध भारतीय मदरसों, इस्लामिक संघ नेपाल (INS) और कुछ विदेशी संगठनों से है.
NZF के अध्यक्ष ताहिर महमूद फलाही आजमगढ़ स्थित एक प्रमुख मदरसे से जुड़ा रहा है. वहीं, महासचिव अब्दुल सलाम ने हैदराबाद से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. दोनों INS के भी सक्रिय सदस्य हैं. INS की बैठकों में भारत विरोधी देश पाकिस्तान, तुर्की व खाड़ी इस्लामिक देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी पाई गई है. जिससे भारत विरोधी गतिविधियों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क होने की आशंका और बढ़ गई है.
NZF का हेड ऑफिस नेपाल के कपिलवस्तु जिले के तौलिहवा में है. इसके लिए QR कोड के जरिए ऑनलाइन चंदा जुटाया जा रहा है. मानवीय कार्यों के नाम पर जुटाया जा रहा चंदा इस्लामिक कट्टरपंथ और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. NZF और INS संगठन नेपाल में रोहिंग्या मुसलमानों और भारत विरोधी तत्वों को आर्थिक सहायता दे रहे हैं. जिसे यूपी, बिहार व पश्चिम बंगाल जैसे सीमावर्ती भारतीय राज्यों की सुरक्षा में खतरा बताया जा रहा है. अलर्ट के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इन संदिग्ध संगठनों की निगरानी शुरू कर दी है. सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रशासन को सतर्क किया गया है.
नेपाल में तेजी से बढ़ी मुस्लिम आबादी, दोहरी नागरिकता से सुरक्षा को खतरा
2021 में हुई नेपाल की जनगणना के अनुसार, वहां मुस्लिम आबादी 14,83,060 थी. जो कुल आबादी का 5.09% थी. साल 2011 में यह आंकड़ा सिर्फ 4.39% था, लेकिन 2024 तक यह बढ़कर 12% तक पहुंच गया. यह मुस्लिम आबादी में यह असमान्य वृद्धि संदेह पैदा करती है. नेपाल और बांग्लादेश के मुस्लिम फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत की नागरिकता प्राप्त कर रहे हैं. जिससे दोहरी नागरिकता का उपयोग करके जनसंख्या को कृत्रिम रूप से बढ़ाया जा रहा है. यह मामला सुरक्षा के लिहाज से गंभीर है.
भारतीय सीमा से सटे नेपाल के रक्सौल और रामगढ़वा जैसे क्षेत्रों में साइबर कैफे संचालक ₹3,000 से ₹10,000 में भारत का आधार कार्ड बना रहे हैं. जिससे माध्यम से बाग्लादेशी और नेपाली मुस्लिम भारत की नागरिकता प्राप्त कर रहे हैं. कुछ भारतीय मुस्लिम नेपाल में मुस्लिम संगठनों या फिर रिश्तेदारों के माध्यम से नेपाली नागरिकता प्राप्त कर रहे हैं. जिससे दोनों देशों में दोहरी नागरिकता वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. नेपाल के कुछ मुस्लिम संगठन राजनीति में अपनी पैठ बढाने के लिए भारत और बांग्लादेशी नागरिकों को नेपाली नागरिकता दिला रहे हैं.
दोहरी नागरिकता का फायदा
एक ओर जहां दोहरी नागरिकता से बांग्लादेशी नागरिक नेपाल में वोट हालते हैं, वहीं वह भारत में भी आसानी आ जा सकते हैं. यहां आकर वह फर्जी आधार कार्ड बनवाते हैं और सरकारी सुविधाएं पाने में सफल हो जाते हैं. रक्सौल इमिग्रेशन विभाग ने बीते साल एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया था. उससे पूछताछ करने पर यह सामने आया था कि उसने नेपाल और भारत दोनों की नागरिकता ली है. जिससे दोहरी नागरिकता का खेल उजागर हुआ था.
सुरक्षा एजेंसियों को यह भी इनपुट मिले हैं कि अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और सिमी जैसे इस्लामिक आतंकी संगठनों के कई आतंकी नेपाल और भारत की नागरिकता हासिल कर चुके हैं. यह सुरक्षा के लिए खतरा है.