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देवी अहिल्याबाई होल्कर के किन कार्यों को समाज तक पहुंचाना चाहता है संघ, जन्म त्रिशताब्दी पर संघ प्रमुख मोहन भागवत व सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के विचार!

मालवा क्षेत्र की शासिका पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर की जन्म त्रिशताब्दी के अवसर पर देशभर में कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. उनकी जन्म जयंती का 300वां वर्ष प्रारंभ होने पर संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने अपने विचार प्रस्तुत किए थे. उनके विचारों के बारे में जानते हैं.

live up bureau by live up bureau
Jun 13, 2025, 06:09 pm IST
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मालवा क्षेत्र की शासिका पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर की जन्म त्रिशताब्दी के अवसर पर देश भर में कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इस अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. 31 मई, 2024 को देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की 300वीं जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने उनके कुशल राज प्रबंधन और उनके द्वारा किए गए कार्यों पर बोलते हुए उन्हें महान राज्यकर्ता बताया था.

पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी का संदेश pic.twitter.com/ivsHtrZkzQ

— RSS (@RSSorg) May 31, 2024

संघ प्रमुख ने कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी का यह अवसर है. हमारे लिए आज की स्थिति में भी उनका चरित्र आदर्श के समान है. दुर्भाग्य से उनको वैधव्य प्राप्त हुआ. लेकिन एक अकेली महिला होने के बाद भी, उन्होंने अपने बड़े राज्य को केवल संभालना नहीं, बल्कि राज्य को बड़ा भी किया. मोहन भागवत जी ने कहा कि केवल राज्य को बड़ा करना भी नहीं उसको स्वराज्य के नाते उसका कार्य वहन करना, राज्य का कर कैसा हो, इसका आदर्श व्यय है,.

संघ प्रमुख ने कहा कि उनके नाम के पीछे पुण्यश्लोक शब्द है. पुण्यश्लोक उस राजा को कहते हैं, जो राजा अपनी प्रजा को सब प्रकार के अभावों से मुक्त करता है. भय, दुख से मुक्त करता है. एक तरह से प्रजा के प्रति अपने कतव्यों से पूर्ण हो जाता है. उन्होंने कहा कि वास्तव में उस काल में हमारे यहां पर जो आदर्श राज्यकर्ता हुए, उनमें से एक देवी अहिल्याबाई होल्कर थीं. अपनी प्रजा को रोजगार मिले इसलिए उन्होने उद्योगों का निर्माण किया और ऐसा पक्का निर्माण किया कि महेश्वर का वस्त्र उद्योग आज भी चलता है. वहां बहुत लोगों को आज भी रोजगार मिलता है. प्रजा के सभी अंगों की जो दुर्बल थे, पिछड़े थे, उनकी भी उन्होंने चिंता की.

मोहन भागवत जी ने कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने राज्य की कर व्यवस्था को सुसंय कर दिया. किसानों की चिंता की. सब प्रकार से उनका राज्य सुराज्य था. वह प्रजा की माता के नाते चिंता करने वाली राज्यकर्ता थीं, इस नाते उनको देवी अहित्याबाई यह वेदन उसी समय प्राप्त हुआ होगा. क्योंकि बचपन से जब हम उनका नाम सुनते हैं, तो केवल अहित्याबाई होल्कर ऐसा नहीं सुनते. ‘देवी अहित्याबाई होल्कर’ ऐसा सुनते हैं. तो ऐसी पुण्यश्लोक अहित्याबाई होल्कर महिलाओं के कृतित्व का प्रतीक हैं.

मातृ शक्ति के सशक्तिकरण की बात हम लोग करते हैं. लेकिन मातृ शक्ति कितनी सशक्त है और क्या-क्या कर सकती है, कैसे कर सकती है, इसका अनुकरण करने लायक आदर्श देवी अहिल्याबाई ने अपने जीवन से हम सब लोगों के सामने रखा है. उन्होंने जो काम किया, वो अनेक प्रकार से विशेष हैं. राज्य को उन्होंने कुशलतापूर्वक चलाया. उस समय सभी राज्यकर्ता से उनके संबंध मित्रता के थे, यह तय नहीं, तो आसपास के सभी राज्यकर्ता उनको देवी स्वरूपा मानते थे. इतनी श्रद्धा और आदर उनके बारे में समकालीन राजाओं में था. राज्य पर कोई आक्रमण न हो, इसलिए वह समर नीति की जानकार थीं. बड़ी सेना लेकर राघोबा दादा आए थे, लेकिन उन्होंने अपनी नीति से बिना संघर्ष किए, उस समस्या का निवारण किया.

पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर ऐसी कुशल शासक, उत्तम राज्यकर्ता, सामरिक और राजनायिक कर्तव्यों में माहिर इस प्रकार की राज्यकर्ता थीं. केवल अपने राज्य के लिए उन्होंने चिंता नहीं की, पूरे देश की चिंता की. अपने देश की संस्कृति का जो आधार है, उसको पुष्ट करने के लिए देश में अनेक स्थानों पर उन्होंने मंदिर बनवाए. स्वयं वो राज्य करती थीं, लेकिन वह अपने को राजा नहीं मानती थीं. ‘श्रीशंकर कृपे करून’ ऐसा वो लिखती थीं. ‘श्रीशंकर आग्नेय करूर’  शंकर भगवान की आज्ञा से वो राज्य चला रही हैं. यह उनका भाव था.

संघ प्रमुख ने कहा कि लोकमाता आहित्याबाई होल्कर जी ने कई जगह मंदिर बनवाए. नदियों पर घाट बनवाए, धर्मशालाएं बनवाईं. सारे भारत में यह उन्होंने किया. जो धर्म यात्राओं के मार्ग थे और व्यापारिक आने-जाने के मार्ग थे. उस पर उन्होंने यह सभी काम किए, ताकि पूर्ववत भारत की सारी जनता का आना-जाना अपने सांस्कृतिक स्थलों में और अपने आजीविका के लिए सर्वत्र चलता रहे. एकात्मता बनती रहे, बढती रहे. इतना दूर का विचार करके उन्होंने यह काम किया. और विशेष है कि अपनी धर्मसत्ता के कारण किया, इसलिए उन्होंने यह सारा काम अपनी निजी संपत्ति में से किया.

स्वयं रानी होकर बहुत सादगी से रहीं. इस प्रकार प्रजा का पालन, राज्य का संचालन, राज्य की सुरक्षा, देश की एकात्मता, अखंडता, सामाजिक समरसता, सुशीलता और सादगी इनका आदर्श रखने वाली एक महिला राज्यकर्ता आदर्श महिला. इस प्रकार पुण्यश्लोक देवी अहित्याबाई का चित्र हमारे सामने है. आज की हमारी स्थिति में भी हमारे लिए वो एक आदर्श हैं. उनका अनुकरण करने के लिए इस वर्ष भर उनका स्मरण करने का प्रयास सवर्त्र चलने वाला है, यह अतिशय आनंद की बात है. उस प्रयास को सब प्रकार की शुभकामनाएं देता हुआ मैं अपना कथन समाप्त करता हूं.

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले का देवी अहिल्याबाई होल्कर पर उद्बोधन

देवी अहिल्याबाई होल्कर के व्यक्तित्व पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर एक अत्यंत कुशल शासक थीं. आजकल गुड गवर्नेंस की बात बहुत होती है. 300 साल पहले देवी अहित्याबाई होल्कर महेश्वर केंद्र से मालवा में उन्होंने जो कार्य किया वह अद्भुद है. उन्होंने सामान्य जाग्रति, धर्म श्रद्धा, धर्म केंद्रों की रक्षा की, पुर्णोधार, जीर्णोद्धार, कृषि व्यवसाय के लिए समर्थन, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए चिंता, ग्राम के पुर्णोद्धार और कई जगह पर उन्होंने जो कार्य किया. उनको कुशल शासक के नाते परिचय कई लोगों को ठीक से नहीं है.

उन्होंने मंदिरों का जीर्णोद्धार काशी में भी किया, दक्षिण में गोकर्ण में भी किया. दूर-दूर स्थानों तक उनका नाम हैं. वह कुशल शासक भी थीं. उस दृष्टि से उनके 300 वर्ष के कार्यक्रम को लेकर अभी तक जो कार्यक्रम हुए हैं, उनमें लगभग 1,300 कार्यक्रमों में 1.96 लाख लोग सहभागी हुए हैं. संघ इन कार्यक्रमों से एक संदेश देना चाहता है.

रानी अहिल्याबाई, लोकमाता, पुण्यश्लोक से उनकी प्रसिद्धि है. अपने देश में 300 साल पहल भी एक महिला प्रशासक थी, जिसने जनता के लिए कार्य करते हुए, राज्य की हर शक्ति से जनता के हर आयाम को कैसे छूआ. सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने एक बताया कि आज 300 साल पहले लोकमाता अहित्याबाई होल्कर राजस्थान से कुछ परिवारों को मंदिर बनवाने के लिए बिहार लेकर गई थीं. वह सभी आज भी बिहार में रह रहे हैं. आज भी वह याद करते हैं कि हमको यहां मंदिर बनाने के लिए रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बसाया था.

दत्तात्रेय होसबाले ने आगे कहा कि बिहार में बसाए गए परिवारों की रक्षा की व्यवस्था भी देवी अहित्याबाई होल्कर ने की थी. उन्होंने कहा कि कहने का तात्पर्य यह है अहित्याबाई होल्कर ने सिर्फ अपने राज्य की चिंता नहीं की उन्होंने अखिल भारतीय दृष्टि रखकर कार्य किया. हम कार्यक्रमों के माध्यम से यही संदेश देना चाहते हैं.

सरकार्यवाह ने कहा कि भारत के एक लोकप्रिय प्रशासक के क्या उदाहरण हो सकता है, रामराज्य के किस युग के बारे में लोग कहते हैं. 300 साल पहले अहित्याबाई होल्कर ने करके दिखाया. वह एक प्रेरक उदाहरण है, इसलिए हमने इस कार्यक्रम को लिया है.

 

 

 

 

Tags: birth anniversary Devi Ahilyabai HolkarSarkaryavah Dattatreya HosabaleSarsanghchalak Mohan Bhagwat
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