नागपुर में चल रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 का आज 5 जून को समापन हो गया. वर्ग समापन कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री व जनजाति हितों के लिए कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद नेताम रहे. वर्ग के समापन सत्र को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, संघ और समाज के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे.
संघ प्रमुख ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कहा कि हमारे नागरिकों को मारा गया, लोगों के मन में क्रोध था, जिस पर कार्रवाई भी हुई. संघ प्रमुख ने कहा कि हमारी सेना की क्षमता और वीरता को दुनिया ने देखा. साथ ही शासन की दृढता भी देखी. इस दौरान सभी राजनीतिक दलों का आपसी सहयोग भी दिख रहा है, संपूर्ण समाज के बीच एकता का दृश्य दिखा. लेकिन यह एकता चिर स्थाई रहे, तो अपने देश के लिए एक बड़ा संबल है.
द्वि-राष्ट्र का भूत अशांति का कारण- संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा कि नए वातावरण को देखते हुए देशहित में सभी दल एक दूसरे से मतभेद और प्रतिस्पर्धा भूलकर एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं, यह उत्तम प्रजातंत्र का उदाहण है. हालांकि, यह आगे भी चलता रहना चाहिए यही इच्छा हम सभी के मन में है. क्योंकि हम यह भी जानते हैं कि यह सब होने के बाद भी समस्या तो मिटी नहीं. पाकिस्तान की हरकतों पर बोलते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि द्वि-राष्ट्र का भूत जब तक जिंदा है, तब तक शांति नहीं रह सकती. क्योंकि शांति के साथ, साथ में नहीं रह सके और अलग होने के बाद भी अशांति कायम है, यह दोगलापन जब तक जाता नहीं, तब तक देश पर ये खतरे बने रहेंगे.
युद्ध के बदलते स्वरूपों पर बोलते हुए डॉ मोहन भागवत ने कहा कि जब आमने-सामने नहीं लड़ सकते, तो आतंकवाद का सहारा लेकर लड़ना, साइबर वार और छद्म युद्ध करना, यह लगातार चल रहा है. बार-बार दुनिया के कहने के बाद भी यह बात जाती नहीं है.
अपनी सुरक्षा के स्वनिर्भर होना ही पड़ेगा: संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा कि अब युद्ध की तकनीकी बदल गई है, बटन दबाकर ड्रोन भेजे जा सकते हैं. यह सभी स्थिति हमारे सामने आई है. इसी बहाने दुनिया के अन्य देशों की भी परीक्षा हो गई, कौन सत्य के साथ, कौन स्वार्थ और कौन हमारा विरोधी है, यह भी पता चल गया. अब यह बात ध्यान में आती है कि अपनी सुरक्षा के लिए हम लोगों को स्वनिर्भर होना ही पड़ेगा.
हम तो सत्य और अहिंसा वाले देश हैं. हमारी तरफ से दुनिया में हमारा कोई भी हमारा दुश्मन नहीं है, लेकिन दुनिया में दुष्टता है, इसके लिए हमें तत्पर और सजग होना पड़ेगा. नई-नई तकनीकों का अनुसंधान होना चाहिए. हमको कहां-कहां आगे बढना है, यह सोचना पड़ेगा. इसलिए सेना और शासन के साथ समाज का भी बल जरूरी है.
देश का असली बल उसके समाज का बल होता है- संघ प्रमुख
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि देश का असली बल उसके समाज का बल होता है. इसलिए लिए हमारे समाज को सजग रहना होगा. हमारे देश में कई प्रकार की विविधताएं और समस्याएं हैं. कभी-कभी एक की समस्या दूसरे के ध्यान में नहीं आती. कोई निर्णय एक के लिए लाभ का, तो दूसरे लिए नुकसान का होता है. इन सभी समस्यों से निपटकर एक साथ चलता कठिन है. जिसके चलते समाज में असंतोष रहना स्वाभाविक है. पर देशहित के सामने यह समस्याएं कुछ नहीं है. हर हाल में समाज के किसी भी वर्ग की एक दूसरे के साथ लड़ाई न हो, यह हमें देखना ही पड़ेगा.
प्रतिक्रिया में कानून हाथ में लेना ठीक नहीं- संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा हर स्थिति मे सद्भावना का व्यवहार रखना ही ठीक है. भावना व्यक्त करते समय अतातायी बनना. जहां आवश्यक नहीं वहां झगड़ा करना, प्रतिक्रिया में कानून हाथ में लेना ठीन नहीं. एक समय था जब हम गुलाम थे, तब तो ठीक था. अब भारत में संविधान के अनुसार शासन है. बिना कारण गाली-गलौज की भाषा का उपयोग करना. प्रतिक्रिया में हिंसा करना, यह सब छोड़ना पडेगा. हमें भड़काने वाले लोगों को चक्कर में नहीं पड़ना है. हमें एक दूसरे के साथ सद्भावना, सविचार, सदाचार और सहयोग करने की जरूरत है, हमारी जड़ तो एकता में है, विविधता में नहीं.
अंग्रेजों ने विविधता का भ्रम हमारे मन में पैदा किया- संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने आगे कहा कि रविंद्रनाथ ठाकुर ने कहा था कि विविधता में एकता का परिचय देना और विविधता में एकता का समन्वय करना ही भारत का प्रमुखता से धर्म है. उस एकता में हमारी जड़ें होनी चाहिए, उसका ध्यान रखना चाहिए, हर व्यक्ति अपनी भाषा बोले, उस भाषा के प्रति प्रेम हो, लेकिन इन सब के ऊपर हमारी एकता है. ये सभी विविधता होने के बाद भी देश और समाज के नाते हम एक हैं. एक की सनातन संस्कृति का प्रवाह हम सब के आचरण का विर्वाह करता आया है. कपड़े, नाच-गाना, भाषा, भजन, भवन, भोजन यह सब तो ऊपर की बात है. लेकिन मूल व्यवस्था हम सब की समान है और पूर्वजों से हम सब एक हैं. अंग्रजों ने विविधता का भ्रम हमारे मन में पैदा किया.
हम एक हैं यह हम भूल गए थे- संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने भारतीयों के बीच एकता पर जोर देते हुए कहा कि हम एक हैं यह हम भूल गए थे. हमको एक होना है. वास्तव में सारा विश्व एक है, मानवता एक है, इसका भान हमको विश्व को कराना है. यह हमारी नव स्वतंत्रता का प्रयोजन है. विविधताओं को संभालते हुए, उनको स्वीकार करते हुए, उनका सम्मान करते हुए, एकता पर सभी की दृष्टि लाना इसका उदाहण दुनिया के सामने रखना है. दुनिया को इसकी आवश्यता है.
विकास और पर्यावरण एक साथ चलने चाहिए- संघ प्रमुख
मोहन भागवत ने आगे कहा कि हम सब को इसका विचार करना है कि विकास और पर्यावरण का विरोध नहीं होना चाहिए. दोनों एक साथ चल सकते हैं. बस एकता का विचार मन में रखकर सभी योजनाएं बननी होंगी. आदिवासी बंधु हमारा ही समाज है. हमारे समाज में अनेक देवी-देवता हैं, यह सब होने के बाद भी समाज के नाते हम एक हैं. अगर एक समाज है, तो यह करने की जरूरत नहीं, हमारी मदद कीजिए, संघ संपूर्ण हिंदू समाज को एक मानता है.
आदिवासी समाज भी हमारा अंग-संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा कि आदिवासी समाज भी हमारा ही अंग है, शासन की ताकत समाज की ताकत है. शासन-प्रशासन में सुनवाई नहीं होती तो क्या बिगड़ा, समाज है ना. पेसा कानून की समस्या पर बात करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि पेसा कानून की बात ऐसे करें, जिससे समाज में भेद उत्पन्न न हो, कुछ अलग हो रहा हो यह न लगे, पेसा कानून जिस लिए लाया गया वह सारा ठीक हो.
इसका उदाहरण देखना है तो विभिन्न संगठनों के माध्यम से हमारे स्वयंसेवकों ने करके दिखाया है. संघ प्रमुख ने कहा कि पेसा कानून कैसे लागू होना चाहिए, इसका सुंदर उदाहरण नासिक के स्वयंसेवकों ने प्रस्तुत किया है. बैतूल और आसपास के जिलों में भी योजनापूर्वक काम चल रहा है. डॉ मोहन भागवन ने कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि अरविंद नेताम को संबोधित करते हुए कहा कि आपने आकर हमको कर्तव्यबोध दिया है, बस पहुंच हमारी बढनी चाहिए, हम जहां पहुंचते हैं, वहां यह सब करते हैं.
लोभ-लालच के चलते मतांतरण करना गलत-संघ प्रमुख
मतांतरण की समस्या पर बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि लोभ-लालच के चलते धर्म परिवर्तन करना गलत है. यह कहकर धर्म परिवर्तन कराना कि आपके पूर्वजों गलत थे, हम तुम को सही कर रहे हैं, यह तो एक प्रकार से गाली हो गई. धर्मांतरण एक हिंसा है. उन्होंने कहा कि हमें किसी भी पंथ और संप्रदाय से कोई बैर नहीं है. हम सभी की श्रद्धा में शामिल हैं. लोभ-लालच और जबरन जिन लोगों ने मतांतरण किया वह अगर वापस आना चाह रहे हैं, तो उनको स्वीकार होना चाहिए. हमारी संस्कृति तो जंगलों और खेतों से ही जन्मी. इसलिए आदिवासी समाज हमारा मूल है. पेड़-पौधों की पूजा करना, यह भारत को छोड़कर किसी भी देश की परंपरा नहीं है.
हम समाज के बल के आधार पर काम करेंगे-संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा कि हम अपने तरीके से समाज के बल के आधार पर काम करेंगे. क्योंकि अपना भाग्य खुद को बनाना पड़ता है. नेता, नारा, अवतार, विचार, महापुरुष यह सब सहायक हो सकते हैं. जब हम 10 कदम आगे जाते हैं, तब यह 5 कदम पीछे आते हैं. यही सदियों से होता रहा है. सभी परिवर्तनों का कारण समाज है. इसीलिए आपने आचरण और अपने उदाहरण से समाज में परिवर्तन उत्पन्न करना है. ताकि समाज खुद अपने में परिवर्तन करे, तभी नीतियों में परिवर्तन आ सकेगा. बस धैर्य रखना पड़ेगा.
हजारों साल परतंत्र रहे, इसलिए बगावत की आदत हो गई-संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा कि हम हजारों साल परतंत्र रहे, इसलिए हमको बगावत की आदत हो गई है. परतंत्र रहने के दौरान यह जरूरी था, लेकिन अब सत्ता में अपने लोग हैं. वह कभी-कभी अपनापन भूल जाते हैं, तो भी धैर्य पूर्वक प्रतीक्षा करके, अपने आपको ठीक किया जाएगा, तो भी परिवर्तन आएगा. यह हमने गीत में अभी गाया, ‘जाग रहा रहा है जन-गण मन, निश्चित होगा परिवर्तन’. संघ प्रमुख ने अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहा कि इसके लिए देशव्यापी कार्यकर्ता समूह का निर्माण करना यही संघ का कार्य है. इसके लिए हम किसी को पुकारेंगे नहीं, अपने मन से जो आ जाए उसका स्वागत है.
सब मिलकर कार्य करें, तो समस्याओं का निदान निकलेगा-संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने आगे कहा कि हम सबकी मदद करते हैं, इसीलिए हमारी गति थोड़ी धीरे रहती है. हम अपनी गति को बढ़ाएंगे. लेकिन साइकिल की गति कार के बराबर नहीं हो सकती, हमको जो करना है उसके लिए साइकिल ही चलानी पड़ेगी. लेकिन मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं, हम सब मिलकर अपना कार्य संवारने में लग जाए, तो समस्याओं का निदान निकलेगा. बस प्रतीक्षा करते हुए काम करना पड़ेगा. ऐसे सभी कामों में हम (संघ) सबसे साथ हैं. हम हमेशा साथ देंगे, क्योंकि संघ इसी के लिए है. इसीलिए ऐसे कार्यकर्ता तैयार करने का कार्य इन वर्गों में 98 साल से हो रहा है.
समय के साथ वर्गों का स्वरूप भी बदला-संघ प्रमुख
कार्यकर्ता विकास वर्ग पर बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि समय के साथ वर्गों का स्वरूप भी बदलता है. इन वर्गों से देशभर के कार्यकर्ता खड़े होते हैं, उनके करने से देश का वातावरण बदलता है. जिसका अनुभव आपने लिया है. 1925 में संघ के शुरू होने पर समाज का मन संघ के प्रति कैसा था और आज 100 साल पूरे होने पर संघ के प्रति लोगों का मन और वातावरण कैसा है? यह समझने की जरूरत है.
हमारा काम बूंद-बूंद वर्षा के समान-संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा कि 4 दिन में हो-हल्ला भड़का के कुछ कर दिया, तो वो 2 दिन में ही समाप्त हो जाता है. सावरकर जी का संस्मरण साझा करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सावरकर जी ने एक बार संघ के कार्यक्रम में आकर कहा था कि हम लोग जो काम करते हैं वह मूसलाधार वर्षा जैसा है, 2-3 घंटे वर्षा होगी और सब पानी बहकर चला जाता है. उसका कोई फायदा नहीं होता. लेकिन हमारा काम बूंद-बूंद वर्षा के समान है, इसी वर्षा में बीच अंकुरित होते हैं. तभी फसल खड़ी होती है.
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