बरेली पुलिस ने 3,214 लोगों की जांच कर 254 संदिग्ध बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को गिरफ्तार किया है. यह बड़ी कामयाबी 26 मई से 10 जून तक चलाए जाने वाले जनपद प्रहरी अभियान के तहत मिली है. पुलिस की जांच में पकड़े गए 254 संदिग्ध घुसपैठियों के पास से भारत का कोई भी पहचान पत्र नहीं बरामद हुआ है. यह पहला मामला नहीं है जब बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया हो. रिपोर्ट के अनुसार, 1958 से 1971 के बीच 2 करोड़ और 1981-1998 के बीच 1.40 करोड़ बाग्लादेशियों ने भारत में घुसपैठ की थी. बांग्लादेशी घुसपैठियों का जाल भारत के 17 राज्यों तक फैला है. भारत में बांग्लादेशी घुसपैठी पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम के साथ-साथ नेपाल सीमा से दाखिल होते हैं.
बरेली के SSP अनुराग आर्या ने जिले में बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों को लेकर चलाए जा रहे जनपद प्रहरी अभियान पर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जांच के लिए 58 टीमों का गठन किया गया है. इंटेलिजेंस रिपोर्ट की आधार पर बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान की जा रही है. पुलिस टीम चिन्हित स्थानों पर पहुंच कर लोगों से पूछताछ कर रही है. संदिग्ध घुसपैठियों से पूछताछ के बाद उनके द्वारा बताए गए पता का वेरीफिकेशन कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 25 मई से प्रारंभ हुआ यह अभियान 10 जून तक चलेगा.
30 मई तक की जांच में 254 संदिग्ध घुसपैठी गिरफ्तार
बरेली पुलिस ने 30 मई तक करीब 91 स्थानों से 3,214 लोगों से पूछताछ कर 254 संदिग्ध बांग्लादेशी रोहिंग्या मुस्लिमों की पहचान की है. यह जांच अभी भी जारी है. पुलिस गिरफ्तार सभी संदिग्ध बांग्लादेशी रोहिंग्या मुस्लिमों के मूल के बारे में पता लगाने में जुटी हुई है. पुलिस झुग्गी-झोंपड़ियों, डेरे व रेल पटरियों व हाईवे किनारे रहने वालों की जांच कर रही है. साथ ही पुलिस घुसपैठियों के फर्जी दस्तावेज बनाने वाले गिरोह पर भी नजर बनाए हुए है. मूल रूप से पुलिस ने जनपद प्रहरी अभियान के संचालन को लेकर 8 मुख्य बिंदू निर्धारित किए हैं.
1- बरेली में कौन व्यक्ति बाहर से आकर यहां रह रहा है.
2- अगर कोई बाहरी व्यक्ति है, तो वह बरेली में क्यों रह रहा है और क्या करता है.
3- कौन व्यक्ति अस्थाई और कौन व्यक्ति स्थाई रूप से बरेली में रह रहा है.
4- अगर बाहरी व्यक्ति यहां रह है तो वह अकेला है या परिवार के साथ है.
5- सभी थानाध्यक्षों को अपने-अपने क्षेत्र में रहने वाले अनजान व्यक्तियों की पहचान के निर्देश.
6- लोगों की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 600 नए कैमरे लगाए.
7- रेल पटरियों, हाईवे व सड़क किनारे रहने वाले लोगों की पहचान.
8-सामूहिक रूप से झुग्गियां बनाकर रहने वाले लोगों की पहचान.
9-पुलिस 1,500 सीसीटीवी फुटेज की कर रही जांच.
बरेली में घुसपैठियों की संख्या अधिक होने की वजह?
बरेली मंडल के 4 जिलों बरेली, पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर में ‘जनपद प्रहरी अभियान’ चलाया जा रहा है. हालांकि 30 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, अब तक सबसे अधिक संदिग्ध घुसपैठियों की पहचान बरेली में हुई है. क्योंकि बरेली की सीमाएं नेपाल सीमा से सटे पीलीभीत से मिलती हैं, घुसपैठी इसका फायदा उठाते हैं. इसके अलावा बरेली में रोजगार की सुगमता और घनी बस्ती होने के कारण घुसपैठिए यहां रोजी रोटी कमाने के साथ छिपकर रहने में भी आसानी होती है. घुसपैठिए यहां मजदूरी, घरेलू काम, छोटे-मोटे व्यापार या फिर कूड़ा बीनने का काम करते हैं. यह भी सामने आया है कि कई घुसपैठिए नकली दस्तावेज बनवाकर स्थानीय लोगों के साथ घुलमिल यहां के स्थाई निवासी भी बन जाते हैं.
बरेली के इन स्थानों से हुई संदिग्ध घुसपैठियों की पहचान
बरेली के जिन स्थानों के संदिग्ध घुसपैठियों की पहचान हुई है, उनमें विशारतगंज, फरीदपुर, भमोरा, बहेड़ी, देवरनियां, शीशगढ़ , शेरगढ़ जैसी घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं. यहा कई क्षेत्रों में मुस्लिमों की आबादी अधिक है. यहां से पकड़े गए कई लोगों के पास भारत का कोई भी वैध दस्तावेज नहीं मिला है.
संदिग्ध घुसपैठियों को भेजा जाएगा डिटेंशन सेंटर
पहचान में आए उन संदिग्ध घुसपैठियों को डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा, जिनके पास कोई अधिकृत दस्तावेज नहीं है. गृह मंत्रालय ने इसको लेकर पहले ही गाइडलाइन जारी कर दी है. साथ ही प्रशासन ने भी स्थानीयों से साथ देने की अपील की है.
भारत में क्यों बढ़ रही बांग्लादेशियों की घुसपैठ
भारत में बांग्लादेशियों की घुसपैठ बढ़ने की सबसे बड़ी वजह मजबह के नाम पर स्थानीयों से मिलने वाली मदद है. इसके अलावा यहां सक्रिय गिरोह घुसपैठियों की फर्जी आईडी बनाने में भी मदद करता है. वहीं, भारत और बांग्लादेश के के बीच खुला और मैदानी बॉर्डर होने का भी फायदा घुसपैठी उठाते हैं. भारत में बांग्लादेशियों की घुसपैठ पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम और नेपाल सीमा से होती है.
भारत में यहां से घुसपैठ करते हैं बांग्लादेशी?
बांग्लादेशी नागरिक भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करने के लिए पश्चिम बंगाल के हुगली, मुर्शिदाबाद, नादिया, बर्धमान, दक्षिण 24 परगना, मालदा जिले की अंतरराष्ट्रीय सीमा का अधिक प्रयोग करते हैं. क्योंकि बंगाल के यह जिले बांग्लादेश सीमा से जुड़े हैं. यहां से घुसपैठियों के लिए भारत में घुसपैठ करना आसान होता है. अभी कुछ समय पूर्व बंगाल के मालदा जिले से एक खबर आई थी. यहां बांग्लादेश सीमा पर जब बीएसएफ बाड़ लगा रही थी तब बांग्लादेशियों ने विरोध भी किया था. क्योंकि वह इसी क्षेत्र से भारत में घुसपैठ करने करते थे.
बंगाल के अलाव बिहार में सीमांचल के चार जिलों, किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया से भी बांग्लादेशी घुसपैठ होती है. बिहार से अलग होकर बना झारखंड राज्य भी बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या से परेशान है. झारखंड का संथाल परगना जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा है. यहां भी पहाड़ी क्षेत्रों का फायदा उठाकर घुसपैठी भारत की सीमा में प्रवेश करते हैं. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से यह मामला उठाया था. उन्होंने अपने कई बयानों में कहा था कि बांग्लादेश घुसपैठी, घुसपैठ कर झारखंड के आदिवासियों का हक मार रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, असम के 9 जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठी अच्छी तादाद में हैं. इनमें बारपेटा, धुबरी, दरांग, करीमगंज, दारंग, मोरीगांव, बोंगाईगांव, गोलपारा और लाकांडी जिले का नाम शामिल है.
भारत में 5 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठी?
सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर जोगिंदर सिंह ने 2014 में अपने एक बयान में कहा था कि भारत में 5 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठी हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 2001 की आम जनगणना में 31 लाख बांग्लादेशी घुसपैठियों की पुष्टि हुई थी. वहीं, 2007 में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने संसद में कहा था कि भारत में 1.2 करोड़ बांग्लादेशी मुसलमान हैं. हालांकि बाद में वह अपने बयान से पलट गए थे. 1991 में हुई बांग्लादेश की आम जनगणना में 1 करोड़ नागरिकों के लापता होने की खबर आई थी. इस खबर को वहां के प्रमुख अखबार The Morning sun Dhaka ने 4 अगस्त 1991 को छापा था. आखिर इतनी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक कहां लापता हो गए?
1958 से 1971 के बीच 2 करोड़ बांग्लादेशियों ने भारत में की घुसपैठ
बांग्लादेश में जब-जब कोई समस्या आई है, तब-तब वहां के लोगों ने भारत में घुसपैठ की है. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार 1958 से 1971 के बीच करोड़ों की संख्या में बांग्लादेशियों ने भारत भारत में घुसपैठ की. जिसमें से 1946-1958 के बीच करीब 41 लाख बांग्लादेशी भारत आए. 1959 से 1971 के बीच 12 लाख बांग्लादेशियों ने भारत में घुसपैठ की. इसी बीच जब 1971 में ‘बांग्लादेश मुक्ति संग्राम’ अपने चरम पर था, तब बांग्लादेशी अपना देश छोड़कर भारत में शरण ली थी. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान करीब 1 करोड़ बांग्लादेशी भारत आए थे.
1981-1998 के बीच 1.40 करोड़ बाग्लादेशियों ने भारत में की घुसपैठ
1991 में हुई बांग्लादेश की आम जनगणना में कुल 10 करोड़ 80 लाख नागरिकों की गिनती हुई थी. जबकि उस समय जनसंख्या का आंकड़ा 11 करोड़ 75 लाख था. दिसके बाद बांग्लादेश के समाचार पत्र The Morning sun Dhaka ने 4 अगस्त 1991 को एक खबर छपी थी. जिसके देश से 1 करोड़ लोगों के लापता होने की बात कही गई थी. एक रिपोट्स के अनुसार 1981 से 1991 के दौरान 1 करोड़ से अधिक बांग्लादेशियों ने भारत ने अवैध रूप से भारत में घुसपैठ की. बांग्लादेशी डेमोग्राफर शरीफा बेगम के अनुसार, 1991 के दौरान बांग्लादेश जितनी कुल आबादी होनी चाहिए थी, उसमें से 1 करोड़ 40 लाख लोग कम है. आखिर इतनी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक कहां गायब हो गया?
भारतीय सीमा से सटे बांग्लादेशी जिलों में जनसंख्या वृद्धि दर काफी कम
भारतीय सीमा से सटे बांग्लादेशी जिलों में जनसंख्या वृद्धि दर काफी कम है. जबकि बांग्लादेश से सटे भारतीय जिलों में जनसंख्या वृद्धि दर तेजी से बढ़ रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की सीमा से सटे पंश्चिम बंगाल के जिला उत्तर 24 परगना में जनसंख्या वृद्धि दर 3.16% है. जबकि भारत के इसी जिले की सीमा से सटे बांग्लादेश के ग्रेटर जेसोर व ग्रेटर खुलना जिले की जनसंख्या वृद्धि दर सिर्फ 1.97% और 1.82 प्रतिशत है. इसी प्रकार मेघालय के गारो हिल्स जिले में जनसंख्या वृद्धि दर 3.84 % है. जबकि इसी जिले की सीमा से सटे बांग्लादेश के ग्रेटर मयमनसिंह जिले की जनसंख्या वृद्धि दर मात्र 1.58 प्रतिशत है.
इसी प्रकार मेघालय के गारो हिल्स जिले में जनसंख्या वृद्धि दर 3.84 प्रतिशत है. जबकि इसी जिले की सीमा से सटे बांग्लादेश के जिले ग्रेटर कुमला जिले की जनसंख्या वृद्धि दर सिर्फ 1.83 प्रतिशत है. भारतीय सीमा से सटे बांग्लादेश के जिलों में लगातार जनसंख्या वृद्धि दर कम होती जा रही है. जबकि बांग्लादेश सीमा से सटे भारत के जिलों में जनसंख्या वृद्धि दर में इजाफा देखा जा रहा है. इससे स्पष्ट होता है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की भारत में घुसपैठ जारी है.
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4 अगस्त, 1991 को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले 1 करोड़ से अधिक बांग्लादेशियों के लापता होने की सूचना मिली थी।
1992 में केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक गुप्त रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बांग्लादेश सीमा के पास के जिलों की जनसंख्या तेजी से बढ़… pic.twitter.com/KztUypp1wt
— हम लोग We The People 🇮🇳 (@ajaychauhan41) August 2, 2024
भारत के 17 राज्यों में फैले हैं बांग्लादेशी
बांग्लादेशी घुसपैठियों ने भारत के 17 राज्यों में अपनी जड़ें जमा ली हैं. जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक रह रहे हैं. रिपोर्ट की माने तो अकेले पश्चिम बंगाल में 57 लाख से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठी हैं. वहीं असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी घुसपैठी हैं, राज्य के कुल 33 जिलों में से घुसपैठियों ने 9 जिलों की डेमोग्राफी ही बदलकर रख दी है. असम के 9 जिलों में मुस्लिमों की आबादी 50 से 80 प्रतिशत तक पहुंच गई है. रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की 45 विधानसभा सीटों पर पूरी तरह से मुस्लिम वोटरों का कब्जा है. जिनमें से अधिकांश वह मुस्लिम हैं, जिन्होंने बांग्लादेश से आकर भारत में घुसपैठ की है.
मदरसे और मस्जिद तैयार करवाते हैं कागजात
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ कराने और यहां रहने व दस्तावेज तैयार कराने में मदरसों और मस्जिदों की बड़ी भूमिका है. भारत में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से प्रवेश कराया जाता है. फिर उन्हें मदरसों और मस्जिदों से संरक्षण मिलता है. मदरसे और मस्जिदों से घुसपैठियों के कागजात तैयार करने व देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने और रोजगार का इंतजाम किया जाता है.