लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार के लिए बेसिक इंफ्रा स्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 16 शहरों में 320 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है. यह पहल यूपी ईवी पॉलिसी 2022-27 का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य 2030 तक राज्य के परिवहन को पूरी तरह इलेक्ट्रिक बनाना है. लेकिन सवाल ये है, क्या 8 साल पहले उत्तर प्रदेश की सड़कें इस तरह की आधुनिक तकनीक के लिए तैयार थीं? आइए, इस बदलाव को समझते हैं.
2017 से पहले: खस्ताहाल सड़कों का दौर
उत्तर प्रदेश में केवल दो एक्सप्रेसवे नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे मौजूद थे, जो मुख्य रूप से दिल्ली-आगरा कनेक्टिविटी तक सीमित थे. जिसमें पहला एक्ससप्रेस वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई की देन थी. 1999 में केंद्र में बनी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर जोर दिया था. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रमोद महाजन कई योजनाओं को लेकर आए. जिसमें से एक यमुना एक्स्प्रेस वे योजना उत्तर प्रदेश के खाते में शामिल हुई. कह सकते हैं, 2003 में इसे प्रदेश की BSP सरकार ने अपनाते हुए अपने खाते में शामिल कर लिया.
- खस्ताहाल थे मण्डल मुख्यालयों को जोड़ने वाले मार्ग
मण्डल मुख्यालयों को जोड़ने वाली सड़कें खराब और गड्ढों से भरी थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क बुनियादी ढांचा लगभग न के बराबर था. ट्रैफिक जाम और सड़क दुर्घटनाएं आम थीं. सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की कमी के कारण माल परिवहन में देरी होती थी, जिससे औद्योगिक और आर्थिक विकास प्रभावित होता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (UPSRTC) की बसें खराब सड़कों के कारण बार-बार खटारा हो जाती थीं, जिससे यात्रियों को असुविधा होती थी.
2017 के बाद: रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़े बदलाव जिससे सड़कें EV अनुकूल हुईं
2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने सड़क बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश में सड़कों और परिवहन की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आया. 2017 तक केवल दो एक्सप्रेसवे थे, लेकिन सरकार ने नए एक्सप्रेसवे के निर्माण की योजना बनाई. जिसमें से एक 1999 में अटल बिहारी वाजपाई की देन थी. योगी सरकार ने पुरानी बसों को हटाकर नई और आधुनिक बसें शामिल की गईं, जिसमें इलेक्ट्रिक बसें भी थीं.
29 जून 2019 में पहली बार हुई इलेक्ट्रिक वाहन नीति की शुरुआत
उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार इलेक्ट्रिक वाहन नीति लागू की, जिसका उद्देश्य ईवी निर्माण और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना था.
2019 से इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुकूल सड़कें
रोड कनेक्टिविटी पर जोर देते हुए सरकार ने राज्य मुख्यालयों के साथ ही एक्ससप्रेस वे योजनाओं को केंद्र की मदद से गति दी. गंगा, बुंदेलखंड, और पूर्वांचल जैसे एक्सप्रेसवे न केवल परिवहन को सुगम बनाते हैं, बल्कि औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में भी विकसित किए जा रहे हैं, जो EV से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देंगे.
- बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर: योगी सरकार ने एक्सप्रेसवे को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अनुकूल बनाने पर ध्यान दिया है. चार्जिंग स्टेशनों के साथ-साथ, एक्सप्रेसवे पर तेज गति (120 किमी/घंटा तक) और सुरक्षित यात्रा के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया.
- ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट: गंगा एक्सप्रेसवे जैसे ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रैफिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेंगे, जो ईवी उपयोग को बढ़ावा देगा।
2022: यूपी ईवी पॉलिसी 2022-27 का लॉन्च
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए यूपी ईवी पॉलिसी 2022-27 तैयार की है, जिसका लक्ष्य 2030 तक राज्य के परिवहन को पूरी तरह इलेक्ट्रिक बनाना है. इसके तहत निवेशकों और राहगीरों दोनों को कई फायदे हैं.
- सब्सिडी और टैक्स छूट: इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सब्सिडी और टैक्स में छूट प्रदान की जाएगी, जिससे ईवी की मांग बढ़ेगी.
- निवेश और रोजगार: इस नीति से हजारों करोड़ रुपये का निवेश और लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है.
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: यूपी रिन्यूएबल एंड ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (UPREV) के माध्यम से चार्जिंग स्टेशनों का जाल बिछाया जा रहा है, जिसमें पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल का उपयोग किया जाएगा.
- चार्जिंग स्टेशनों के लिए 20% सब्सिडी (अधिकतम 10 लाख रुपये) पहले 2,000 स्टेशनों के लिए.
- राजमार्गों पर हर 25 किमी और शहरी क्षेत्रों में 3×3 किमी के ग्रिड में चार्जिंग स्टेशन.
- नीति के तहत 30,000 करोड़ रुपये के निवेश और 10 लाख से अधिक रोजगार सृजन का लक्ष्य.
- प्रमुख कंपनियों जिनमें रिलायंस, अडानी, जीएमआर एनर्जी जैसी 11 कंपनियों ने चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने में रुचि दिखाई है.
12 अप्रैल 2023: चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार
कॉम्प्रिहेंसिव इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्लान के तहत निति आयोग और एशियाई विकास बैंक के साथ सहयोग से 17 नगर निगमों वाले शहरों में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना शुरू की गई थी.
2024 में चार प्रमुख एक्सप्रेसवे पर 26 EV चार्जिंग स्टेशन
उत्तर प्रदेश के चार प्रमुख एक्सप्रेसवे ‘बुंदेलखंड, पूर्वांचल, आगरा-लखनऊ, और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे’ पर 26 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना है.
- जमीन उपलब्धता: सरकार इन स्टेशनों के लिए 2,000 वर्ग फीट जमीन 10 साल के लीज पर देगी. जिसके बाद चार्जिंग स्टेशन को जमीन उपलब्ध होने के 180 दिनों के भीतर चालू करना होगा.
- इन स्टेशनों पर दोपहिया, तिपहिया, चारपहिया, और ई-बसों की चार्जिंग की सुविधा होगी.
- चार्जिंग स्टेशनों के साथ ढाबे, एटीएम, पार्किंग, शौचालय, बजट होटल, वेयरहाउस, और ऑटो वर्कशॉप जैसी सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी.
- उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों पर टैरिफ को औसत लागत से कम रखा है, जिससे चार्जिंग किफायती होगी.
2025 के बजट में चार नए एक्सप्रेसवे
वर्ष 2025 के बजट में चार नए एक्सप्रेसवे के लिए 1,050 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया, जो काशी, प्रयागराज, और हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थलों की कनेक्टिविटी को बढ़ाएंगे.
23 मई 2025 को 320 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की घोषणा
उत्तर प्रदेश सरकार ने 23 मई 2025 को यूपी ईवी पॉलिसी 2022-27 के तहत 16 शहरों में 320 इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की घोषणा की. यह पहल ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने और 2030 तक परिवहन को पूरी तरह इलेक्ट्रिक बनाने के लक्ष्य का हिस्सा है.
- 16 शहर कौन-कौन से होंगे?
उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 शहरों में 320 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है, लेकिन उपलब्ध स्रोतों में इन शहरों के नाम स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं हैं। हालांकि, यह उल्लेख किया गया है कि ये स्टेशन प्रमुख शहरों, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों, और शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की प्रमुख सड़कों पर स्थापित किए जाएंगे। संभावित शहरों में लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, आगरा, मेरठ, गोरखपुर जैसे प्रमुख शहर शामिल हो सकते हैं, क्योंकि ये शहर उत्तर प्रदेश के आर्थिक और परिवहन केंद्र हैं. - चार्जिंग स्टेशन से होने वाले लाभ
- इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा.
- चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण और संचालन से तकनीकी विशेषज्ञों, इंजीनियरों और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
- सस्ती चार्जिंग दरें और व्यापक चार्जिंग नेटवर्क से इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ेगी, जिससे ईवी बाजार का विस्तार होगा.
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से निजी निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा.
- चार्जिंग स्टेशनों की उपलब्धता से इलेक्ट्रिक वाहन चालकों को लंबी दूरी की यात्रा करने में आसानी होगी.
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