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तुर्किए से भेजे ड्रोन का भारत पर अटैक करने में इस्तेमाल कर रहा पाकिस्तान, मलबे मिलने के बाद हुई पुष्टि, जानिए पाकिस्तान और तुर्किए के रिश्तों की गहराई!

पाकिस्तान की ओर से बीती रात करीब 500 से अधिक ड्रोन अटैक किए गए, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया. भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच तुर्किए की खूब चर्चा हो रही है. ऐसा इस लिए क्योंकि पाकिस्तान की ओर से जो ड्रोन इस्तेमाल किए गए हैं, उनके मलबे के टुकड़ों में इनके तुर्किए के होने की बात सामने आई है.

live up bureau by live up bureau
May 10, 2025, 06:20 pm IST
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नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान लगातार बढ़ते तनाव के बीच तुर्किए की खूब चर्चा हो रही है. ऐसा इस लिए क्योंकी तुर्किए पाकिस्तान के समर्थन में खुलकर सामने आ गया है. 9 तारीख की रात में पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के 26 शहरों में 500 से अधिक ड्रोनों से हमला किया गया. इस हमले को भारत की सेना ने नाकाम कर दिया. वहीं, IMF ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का कर्ज दिया है, जिसपर भारत ने चेताया है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान इसे आतंक के लिए फंडिंग में इस्तेमाल कर सकता है पाकिस्तान. भारतीय सूचना मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान का रिकॉर्ड बेहद खराब है. वो आर्थिक शर्तों को बार-बार तोड़ता आया है.

पाकिस्तान की ओर से जो ड्रोन इस्तेमाल किए गए हैं, उनके मलबे के टुकड़ों में इन्हें तुर्किए के होने की बात सामने आई है.ऐसे में माना जा रहा है कि तुर्किए ने पाकिस्तान को जो ड्रोन्स दिए हैं उनका इस्तेमाल अब भारत के खिलाफ किया जा रहा है. वहीं, अजरबैजान ने भी पाकिस्तान से हमदर्दी जताई है और भारत की ओर से किए गए हमले की निंदा की है, लेकिन संयम भी बरतने की भी अपील की है. दरअसल, बीती रात पाकिस्तान की ओर से जो ड्रोन हमला किया गया है. भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया है. इनके मलबे की जांच के बाद इन ड्रोन्स की तुर्किए के ‘एसिस गार्ड सोनगार’ ड्रोन्स होने का शक जताया जा रहा है. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में हिंदू पर्यटकों की मौत का तुर्किए ने न तो संवेदना जाहिर की थी औऱ न ही आतंकियों की कायराना हरकत की निंदा की थी. बल्कि तुर्किए ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत मारे गए आतंकियों की मौत पर गहरा शोक जरूर जताया था.

भारत के विरोध में खुलकर उतरा तुर्किए-

भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मुद्दे को लेकर तुर्किए ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था. इसके लिए पाकिस्तान ने तुर्किए की जमकर तारीफ की थी. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का पूरी दुनिया जब निंदा कर भारत के प्रति संवेदना प्रकट कर रही थी, तो तुर्किए ने पाकिस्तान की मदद के लिए हाथ बढ़ाया था. कहा जाता है कि तुर्किए ने पाकिस्तान के लिए एक हवाई जहाज भरकर ड्रोन्स की सप्लाई की थी. गौर हो कि तुर्किए काफी लंबे समय से पाकिस्तान का आर्थिक, वाणिज्यिक और सैन्य समर्थक रहा है. तुर्किए, पाकिस्तान के कश्मीर पर फैलाए गए नैरेटिव का भी हमेशा से समर्थन करता आया है. इसके अलावा तुर्किए द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का भी पुरजोर समर्थक है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन दुनिया के पहले ऐसे नेता है जिन्होंने तुरंत पाकिस्तान आकर PM शहबाज शरीफ से मुलाकात की थी.

भारत और तुर्किए के रिश्तों में कैसे आती गई दरार?-

सितंबर 2023 में दिल्ली में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया के कई बड़े देशों के नेताओं में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन भी आमंत्रित किए गए थे. G-20 शिखर सम्मेलन से हटके उन्होंने PM मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में भारत के साथ आर्थिक संबंध बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया था. तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा था कि भारत दक्षिण एशिया में तुर्की का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. मोदी और अर्दोआन की मुलाक़ात के 24 घंटे पहले ही भारत ने इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा की थी. इस घोषणा को लेकर होने वाली बैठक में अमेरिका के तत्कालिक राष्ट्रपति जो बाइडन, भारत के PM नरेंद्र मोदी, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, UAE और यूरोपीय संघ के बड़े नेता मौजूद थे.

बैठक के दौरान बताया गया था कि भारत के पश्चिम तट को समुद्री रास्ते से UAE को भी मिलाया जाएगा और फिर वहां से रेल मार्ग से सऊदी और जॉर्डन को भी जोड़ा जाएगा. इसके बाद इजराइल में समुद्र मार्ग से यूरोप को जोड़ा जाएगा. इस गलियारे की घोषणा के बाद तुर्किए सबसे ज़्यादा असंतुष्ट था. उस दौरान तुर्किए के राष्ट्रपति अर्दोआन स्पष्ट किया था कि वो तुर्किए को अलग कर ऐसा गलियारा बनाने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करेंगे. उसी दिन ये भी स्पष्ट कर दिया गया था कि अगर पूर्वी एशिया और पश्चिमी यूरोप के बीच कोई यातायात होता है, तो उसे तुर्की से होकर गुज़रना होगा.

भारत ने तुर्किए के राष्ट्रपति के भारत आने के अनुरोध को किया था अस्वीकार-

तुर्किए के राष्ट्रपति अर्दोआन संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क गए थे और वहां हर बार की तरह एक बार फिर से भारत-पाकिस्तान के बीच के कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत पर हमला बोला था. भारत ने हमेशा की तरह उनके बयान को ख़ारिज करते हुए कहा था कि वो केवल कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के बयान को दोहरा रहे थे, जिसे कोई महत्व देने की जरूरत नहीं है. उसके बाद तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन शाही इमाम से मिलने के लिए दिल्ली यात्रा पर आकर शहर की प्रसिद्ध जामा मस्जिद आना चाहते थे, लेकिन भारत सरकार ने उनके उस अनुरोध को ठुकरा दिया था. ऐसा माना जाता है कि तभी तुर्किए और भारत के रिश्ते धीरे-धीरे बिगड़ते चले गए.

पाकिस्तान और तुर्किए के रिश्तों की गहराई-

तुर्किए पाकिस्तान को कई मोर्चों पर अपना खुला समर्थन करता है. चाहे वो आर्थिक समझौता हो या मिलिट्री से संबंधित हो. तुर्की ने पाकिस्तान से अच्छी दोस्ती के सारे फर्ज अदा किए हैं. पाकिस्तान कश्मीर को लेकर जितना जहर उगलता है. इसके लिए सिर्फ तुर्किए से ही उसका समर्थन मिलता है. इधर जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुर्की के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के PM से मुलाकात के बाद पाकिस्तान के PM ने खुलकर तुर्की की तारीफ की थी. साथ ही तुर्किए के समर्थन के लिए उसका शुक्रिया भी अदा किया था. पहलगाम आतंकी हमले का जब दुनियाभर के देश भारत के साथ खड़े होने की बात कह रहे थे, तो उस समय तुर्किए पाकिस्तान की सहायता कर रहा है.

इससे भी तुर्किए और पाकिस्तान के बीच गहरा संबंध होने की बात पता चलती है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुर्किए का एक युद्ध पोत कराची पहुंचा था, उसने पाकिस्तान के साथ कई सैन्य अभ्यासों में हिस्सा लिया था, लेकिन तुर्किए ने इसे सामान्य बताया तो पाकिस्तान की ओर से भी इसे शिष्टाचार बताया गया. भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों पर तुर्किए ने पाकिस्तान के प्रति संवेदना व्यक्त की थी. पाकिस्तान ने जब भारत पर पहली बार ड्रोन हमला किया, तो विदेश मंत्रालय की तरफ से ये बात पता चली कि पाकिस्तान ने इस कार्रवाई को तुर्किए में बनाए गए ड्रोन्स के जरिए अंजाम दिया है.

तुर्किए और अजरबैजान के अलावा अन्य मुस्लिम देश नहीं दे रहे साथ-

पाकिस्तान को तुर्किए और अजरबैजान के अलावा अन्य मुस्लिम (इस्लामिक) देशों का साथ नहीं मिल रहा है. ऐसे इस लिए क्योंकि पाकिस्तान की गलतियां इतनी ज्यादा हैं कि तुर्किए और अजरबैजान के अलावा अन्य इस्लामिक देश पाकिस्तान को सही नहीं ठहरा रहे है. यहां तक कि वो शांति की बात कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान का पक्ष लेने से कतरा रहे हैं. दरअसल, मुस्लिम देशों का रुख केवल धार्मिक आधार पर तय नहीं होता, बल्कि औरों की तरह वे भी कूटनीतिक और आर्थिक फायदे देखते हैं.

एशिया में पाकिस्तान लंबे समय से खुद को धर्म के रखवाले की तरह दिखाता रहा. इसी वजह से कई देशों ने उसकी मदद भी की. लेकिन उसका रवैया अपनी ही थाली में छेद करने का रहा. वो अफगानिस्तान और ईरान में लगातार दखलअंदाजी करता रहा. सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पाकिस्तान को भारी फंडिंग करते रहे लेकिन अब वे भी इस देश के साथ एक मंच पर खड़े होने में सावधानी रखते हैं.

इन दोनों ही देशों के साथ भारत के रिश्ते फिलहाल ज्यादा मजबूत हो चुके. ऐसे में वे पाकिस्तान जैसे अस्थिर मुल्क की वजह से कुछ दांव पर नहीं लगाना चाहते. दूसरी बात, कश्मीर मसले पर द्विपक्षीय बात की बजाए पाकिस्तान ने आतंकी गुटों की मदद लेनी शुरू कर दी. उसकी अपनी जमीन से जैश, लश्कर जैसे आतंकी संगठन ऑपरेट होते रहे. ऐसे में उसका रिकॉर्ड इतना दागदार है कि कोई देश उसके सीधे पक्ष में नहीं आ रहा.

तुर्किए ने ‘दोस्त’ पाकिस्तान को पहुंचाई सैन्य मदद-

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उसे करीबी मित्र तुर्किए से तत्काल सैन्य मदद पहुंचाई है. तुर्किए वायु सेना का एक सी-130 विमान और एक युद्धपोत एक हफ्ते पहले पाकिस्तान पहुंचे हैं. लेकिन पाकिस्तान और तुर्किए ने दोनों ने सैन्य आयातों के दावों को इनकार किया है. दरअसल, पहलगाम में प्रायोजित हमले के बाद पाकिस्तान की काफी डर गया था. भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्ते को देखते हुए तुर्किए ने उसे बिना समय गवांए सैन्य सहायता पहुंचाई. इस मदद में तुर्किए ने 6 सैन्य विमान और 1 युद्धपोत पाकिस्तान को मुहैया कराया. जबकि युद्ध से पहले ऐसी खबरें आ रही थीं कि पाकिस्तान के पास मात्र 4 दिनों का ही गोला-बारूद है.

तुर्किए और पाकिस्तान की रणनीति साझेदारी-

चीन और सऊदी अरब जैसे करीबी सहयोगी देश भी कई बार महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर पाकिस्तान से अलग हो गए हैं. इसके उलट तुर्किए, पाकिस्तान का एक ऐसा सहयोगी मित्र बनकर सामने आया है, जिसने कूटनीतिक और रणनीतिक दोनों ही स्तर से पाकिस्तान के साथ लगातार खड़ा रहा है और दोनों देशों के बीच सहज संबंध बने हुए हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि तुर्किए-पाकिस्तान सैन्य संबंध पूरी तरह से रणनीतिक साझेदारी में तब्दील हो चुके हैं. संयुक्त उपक्रम वायु, नौसेना और साइबर डोमेन में तुर्किए अपने दोस्त पाकिस्तान की हर तरह से मदद कर रहा है.

 

 

 

 

Tags: India-Pakistan tensionOperation SindoorPahalgam terror attackPakistan drone attackPakistan-Turkey
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