उत्तर प्रदेश सरकार श्री बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का ट्रस्ट बनाने के लिए मंदिर न्यास अध्यादेश-2025 लाई है. सरकार ने यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद लिया. यूपी कैबिनेट ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अध्यादेश का जो प्रस्ताव भेजा था, उन्होंने उसे मंजूरी दे दी. अध्यादेश के अनुसार, ट्रस्ट में कुल 18 सदस्य होंगे. जिसमें से 7 सदस्य नामित किए जाएंगे. ट्रस्ट के सदस्यों का कार्यकाल 3 साल का होगा और किसी भी सदस्य को 2 बार से अधिक नामित नहीं किया जा सकेगा. इस निर्णय के पीछे सरकार की मंशा यह है कि मंदिर के संचालन में पारदर्शिता बनी रहे. ट्रस्ट बनाने से पहले यूपी सरकार ने श्री बांके बिहारी मंदिर का कॉरिडोर बनाने की भी घोषणा की थी. सरकार के दोनों फैसलों का मथुरा और वृंदावन के साधु-संतों ने स्वागत किया है.
ट्रस्ट का कार्य क्या होगा?
मंदिर की पूरी देखरेख ट्रस्ट के हाथों में होगी. ट्रस्ट में कुल 18 सदस्यों को शामिल किया जाएगा, जिसमें से 7 सदस्य पदेन होंगे. मंदिर में चली आ रहीं प्राचीन परंपराओं का पालन कराने की जिम्मेदारी भी ट्रस्ट को दी गई है. इसके लिए ट्रस्ट पुजारियों की नियुक्ति करने के लिए स्वतंत्र होगा. मंदिर खुलने और बंद करने का समय ट्रस्ट द्वारा ही निर्धारित किया जाएगा. अध्यादेश में 20 लाख रुपये तक की चल व अचल संपत्ति खरीदने और किराए पर लेने का अधिकार ट्र्स्ट को दिया गया है.
ट्रस्ट में कौन-कौन शामिल होगा?
ट्र्स्ट में 4 प्रकार के सदस्य होंगे. जिसमें से वैष्णव परंपरा, संप्रदाय या पीठों से संबंधित 6 सदस्य, उद्यमी, समाजसेवी और शिक्षाविद् वर्ग से आने वाले 3 सदस्य, मंदिर के गोस्वामी परंपरा के 2 सदस्य ट्रस्ट में होंगे. इसके अलावा न्यास के 7 सदस्य पदेन होंगे. जिसमें जिला अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, नगर आयुक्त के साथ ही यूपी ब्रज तीर्थ विकास परिषद के CEO, धर्मार्थ कार्य विभाग का एक अधिकारी, श्रीबांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट के CEO व एक अन्य सदस्य होगा. यह सभी ट्रस्टी सनातन धर्म को मानने वाले होंगे. ट्र्स्ट के सीईओ का कार्यकाल पूर्णकालिक होगा. जो अपर जिला अधिकारी के समकक्ष पद पर होगा.
क्या सरकार ट्रस्ट के जरिए मंदिर पर नियंत्रण करेगी?
नहीं, ट्रस्ट को गठित करने का उद्देश्य मंदिर की प्राचीन परंपराओं का पालन हो, यह सुनिश्चित करना है. ट्रस्ट के नामित सदस्य का कार्यकाल 3 साल का होगा, जो 2 बार से अधिक नामित नहीं किए जा सकेंगे. ट्रस्ट उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मार्थ कार्य विभाग के अंतर्गत कार्य करेगा. टस्ट्र द्वारा लिए गए सभी निर्णय बहुमत के आधार पर ही लिए जाएंगे.
ट्रस्ट और बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनने का रास्ता साफ
यूपी सरकार ने मंदिर का ट्रस्ट बनाने का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के कॉरिडोर बनाने वाले निर्णय के बाद लिया है. सुप्रीम कोर्ट को राज्य सरकार ने बांके बिहारी मंदिर के बेहतर प्रबंधन के लिए ट्रस्ट बनाने का प्रस्ताव दिया था. 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी. शीर्ष अदालत ने कॉरिडोर निर्माण के लिए मंदिर कोष से 5 एकड़ जमीन खरीदने का प्रस्ताव दिया था. साथ ही कोर्ट ने कॉरिडोर निर्माण में लगने वाली लागत को मंदिर के फंड से निकालने की बात कही है.
कॉरिडोर बनाने में कितनी लागत आएगी?
श्रीबांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने में करीब 500 करोड़ की लागत आएगी. हालांकि यहा आंकड़ा अनुमानित है. कॉरिडोर निर्माण में कुल कितना खर्च होगा, यह बनने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा. कॉरिडोर निर्माण के लिए मंदिर परिसर के आसपास 5 एकड़ जमीन खरीदी जाएगी. जिस पर निर्माण कार्य होगा. जमीन खरीदने व कॉरिडोर निर्माण में जो लागत आएगी, वह मंदिर फंड से दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, जो जमीन खरीदी जाएगी वह भगवान श्रीबांके बिहारी के नाम पर होगी.
कॉरिडोर बनाने से क्या फायदा?
सरकार का कहना है कि कॉरिडोर बनने के बाद ब्रज क्षेत्र के मथुरा-वृंदावन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में दोगुना इजाफा होगा. जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे. साथ ही बांके बिहारी के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को भी सुविधा होगी. क्योंकि कॉरिडोर बनने से एक साथ करीब 10 हजार भक्त मंदिर परिसर में दर्शन-पूजन कर सकेंगे. पर्यटन विभाग के अनुसार, 2024 में करीब 2.96 करोड़ श्रद्धालु मथुरा पहुंचे थे, जिसमें से 2.55 करोड़ श्रद्धालुओं ने श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन-पूजन किया था.
कॉरिडोर बनाने से श्रद्धालुओं की संख्या दोगुनी हो जाएगी. यह अनुमान, काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनने के बाद बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए लगाया जा रहा है. मथुरा में सिर्फ भारत से ही नहीं, विश्व के कई देशों से लोग आते हैं. 2024 में 70 हजार से अधिक विदेशी पर्यटक मथुरा पहुंचे थे. कॉरिडोर निर्माण के बाद इनकी संख्या में भी इजाफा देखा जा सकता है.
कॉरिडोर में कौन-कौन सी होंगी सुविधाएं?
कॉरीडोर बनाने के दौरान सरकार कई सुविधाओं को ध्यान में रखेगी. जिसमें ग्राउंड फ्लोर पर 11300 वर्ग मीटर में मिथिला क्षेत्र, खुला क्षेत्र- 518 वर्ग मीटर, प्रतीक्षालय-3,500 वर्ग मीटर, जूता घर- 250 वर्ग मीटर, सामान घर- 100 मीटर, शिशु देखभाल गृह- 30 वर्ग मीटर, चिकित्सा सेवा- 90 वर्ग मीटर, VIP प्रतीक्षालय- 80 वर्ग मीटर, पूजा सामग्री की दुकान- 800 वर्ग मीटर में रहेगा.
वहीं, फर्स्ट फ्लोर के 10,600 वर्ग मीटर में ऊपरी क्षेत्र, प्रतीक्षालय- 1,800 वर्ग मीटर, गलियारा- 800 वर्ग मीटर, परिक्रमा क्षेत्र- 900 वर्ग मीटर, खुला क्षेत्र- 650 वर्ग मीटर, सामान घर-100 मीटर, शिशु देखभाल घर- 30 वर्ग मीटर, चिकित्सा सेवा- 80 वर्ग मीटर, VIP प्रतीक्षालय- 250 वर्ग मीटर में बनेगा.
कॉरिडोर बनने के बाद 5 करोड़ श्रद्धालु पहुंचने का अनुमान
कॉरिडोर बनने के बाद हर साल 5 करोड़ श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन पहुंचने का अनुमान है. यह आंकड़ा हर साल मथुरा पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा और कॉरिडोर बनने के बाद बढ़ने वाली श्रद्धालुओं की अनुमानित संख्या को देखते हुए लगाया जा रहा है. यूपी पर्यटन विभाग के अनुसार, साल 2021 में करीब 90 लाख श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन पहुंचे थे. वहीं, 2022 में 1.25 करोड़, 2023 में 1.75 करोड़, 2024 में 2.55 करोड़ श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन पहुंचे थे.
अगर 2026 तक कॉरिडोर बनता है तो मथुरा आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 5 करोड़ के पार पहुंच सकती है. जैसा कि काशी में काशी विश्ननाथ कॉरिडोर और अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में दोगुना इजाफा देखने को मिला रहा है.
ब्रज के साधु-संतों और व्यापारियों ने जताई खुशी
श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट व कॉरिडोर बनाने वाले प्रस्ताव पर मथुरा के साधु-संतों और व्यापारियों ने खुशी जताई है. संतों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से मथुरा आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होगी. हालांकि, संतों की मांग है कि वृंदावन की प्राचीन कुंज गलियों की पौराणिकता को बचाए रखते हुए कॉरिडोर का निर्माण कराया जाए.
वहीं, व्यापारियों का कहना है कि कॉरिडोर बनने से अयोध्या, काशी की तरह मथुरा में भी श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होगी, जिसका उन्हें फायदा होगा. होटल, रेस्टोरेंट, यहां काम करने वाले कर्मचारियों, फल-फूल, पूजन सामग्री विक्रेताओं के साथ-साथ ऑटो रिक्शा चालकों सहित तमाम लोगों को रोजगार मिलेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी. जिससे उनके जीनव स्तर में सुधार होगा.