लखनऊ: उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां बहु-स्तरीय प्रणाली के माध्यम से साइबरबुलिंग के 59,771 मामले सुलझाए गए. ये प्रणाली महिलाओं और बच्चों के लिए समर्पित साइबर इकाई है, जो ऐसे संवेदनशील मुद्दों से निपटने के लिए सुसज्जित है. उत्तर प्रदेश पुलिस के महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन- WCSO के जारी आंकड़ों के मुताबिक 2024 में साइबरबुलिंग के करीब 66,854 मामले दर्ज किए गए. राजधानी लखनऊ UP में करीब 9,839 शिकायतों के साथ सूची में पहले स्थान पर है, जिसका मुख्य कारण 1090 हेल्पलाइन की बढ़ती जागरूकता और सक्रियता है.
साइबरबुलिंग का अर्थ-
साइबरबुलिंग डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल से की जाने वाली बदमाशी है. ये सोशल मीडिया, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म, गेमिंग प्लेटफॉर्म और मोबाइल फोन पर होता है. ये बार-बार किया जाने वाला अपराध है. इसका उद्देश्य लक्षित लोगों को डराना, गुस्सा दिलाना या शर्मिंदा करना है. सोशल मीडिया पर किसी के बारे में झूठ फैलाना या उसकी शर्मनाक तस्वीरें या वीडियो पोस्ट करना, मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म के जरिए चोट पहुंचाना, अपमानजनक या धमकी भरे संदेश, चित्र या वीडियो भेजना इसकी श्रेणी में आता है. इसके अलावा जनरेटिव AI उपकरणों का प्रयोग करके यौन उत्पीड़न या धमकाना भी इसी श्रेणी में आता है.
साइबरबुलिंग के प्रभाव
जब ऑनलाइन बदमाशी होती है तो ऐसा महसूस हो सकता है कि आप पर हर जगह हमला हो रहा है, यहां तक कि आपके अपने घर के अंदर भी. ऐसा लग सकता है कि बचने का अब कोई रास्ता नहीं है. इसका असर लंबे समय तक रह सकता है और व्यक्ति को कई तरह से प्रभावित कर सकता है. मानसिक रूप से खुद को परेशानी और शर्मिंदगी महसूस हो सकती है, जिसकी वजह से डर लगन लगता है. इसके अलावा शारीरिक रूप से थकावट, नींद की कमी या पेट दर्द और सिरदर्द जैसे लक्षणों का अनुभव होता है. इसके अलावा साइबरबुलिंग हमें और भी कई तरह से प्रभावित कर सकती है.
साइबरबुलिंग से बचाव-
साइबर बुलिंग से बचाव के लिए सबसे पहले अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के पासवर्ड को सुरक्षित करें. उसके बाद व्यक्तिगत जानकारी किसी से भी साझा न करें. साइबर बुलिंग के संकेतों को पहचानें और अगर आप या फिर कोई और इसका शिकार हो रहा है, तो किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें. सबूत इकट्ठा करें, साइबर बुलिंग की रिपोर्ट करें और धमकाने वाले व्यक्ति को ब्लॉक करना न भूलें.
साइबरबुलिंग की रोकथाम-
ऑनलाइन होने के बहुत सारे फ़ायदे हैं. हालाँकि, जीवन की कई चीज़ों की तरह इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हैं, जिनसे हमें बचना चाहिए. अगर किसी को साइबरबुलिंग का अनुभव होता है, तो उसे कुछ ऐप्स को डिलीट करना चाहिए, या खुद को ठीक होने के लिए कुछ समय के लिए ऑफ़लाइन रहना चाहिए, लेकिन इंटरनेट से दूर रहना कोई दीर्घकालिक समाधान नहीं है. आपने कुछ भी गलत नहीं किया, तो आपको नुकसान नहीं होगा. बल्कि आपके इंटरनेट से दूरी बनाने से साइबरबुलिंग करने वाले को ही प्रोत्साहन मिलेगा.
महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन क्या है?-
उत्तर प्रदेश पुलिस महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन पुलिस विभाग के अंतर्गत एक इकाई है जो राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, सम्मान और सशक्तिकरण के लिए समर्पित है. MSP को पुलिस और नागरिक समाज के बीच पुल बनाने और महिलाओं और बच्चों के मुद्दों के संबंध में पुलिस में जनता का विश्वास बढ़ाने का काम सौंपा गया है. महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन के सभी अधिकारी उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के अनुकूल पुलिसिंग स्थापित करने के लिए समर्पित हैं. महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन पुलिस कर्मियों के लिए लिंग संवेदीकरण कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है, जिसका उद्देश्य यौन उत्पीड़न और आत्मरक्षा के संबंध में लड़कियों में जागरूकता पैदा करना भी है.
महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन का काम क्या है?-
महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन (Women and Child Security Organisation – WCSO) का मुख्य काम महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए कार्य करना है. ये संगठन महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने, उन्हें सहायता प्रदान करने और उनके अधिकारों का प्रचार-प्रसार करने का कार्य करता है. WCSO महिलाओं और बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने का प्रयास करता है. इसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकना और उन्हें सुरक्षित महसूस कराने के लिए कदम उठाना शामिल है. संगठन महिलाओं और बच्चों को उनकी कानूनी और सामाजिक जरूरतों के लिए सहायता प्रदान करता है. इसमें उन्हें परामर्श, कानूनी सहायता और अन्य सेवाएं प्रदान करना भी शामिल है.