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वाराणसी में PM मोदी ने 21 पारंपरिक उत्पादों को सौंपा GI टैग, 77 टैग के साथ पहले स्थान पर है UP, जानिए क्या होता है GI टैग और किसे मिलता है?

PM मोदी ने कल अपने वाराणसी दौरे के दौरान UP के 21 पारंपरिक उत्पादों को GI (भौतिक संकेत) टैग का सर्टिफिकेट सौंपा. इस मौके पर PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश GI टैग प्राप्त करने में नंबर वन पर है. वहीं, UP 77 GI टैग के साथ पहले स्थान पर है.

live up bureau by live up bureau
Apr 12, 2025, 03:00 pm IST
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विश्वभर में सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को लेकर जाना जाता है और विश्व पटल पर इसी को लेकर इसे पहचान भी मिल रही है. PM मोदी ने कल अपने वाराणसी दौरे के दौरान UP के 21 पारंपरिक उत्पादों को GI (भौतिक संकेत) टैग का सर्टिफिकेट सौंपा. इस मौके पर PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश GI टैगिंग प्राप्त करने में नंबर वन पर है. काशी-तमिल संगमम जैसे आयोजन से दोनों राज्यों की एकता को काफी मजबूती मिल रही है. अब तो एकता मॉडल भी बनने जा रहा है. वहीं, उत्तर प्रदेश को अबतक 77 GI उत्पादों के साथ भारत में प्रथम स्थान पर है. इसमें अकेले काशी के पास 32 GI टैग्स हैं,

UP के 21 जिलों के पारंपरिक उत्पादों को मिला GI टैग का प्रमाण पत्र-

जिन 21 जिलों के पंजीकृत उत्पादों को GI टैग का सर्टिफिकेट मिला है, वो बनारस शहनाई, मथुरा सॉझी क्राफ्ट, बुंदेलखंड कठिया गेहूं हैं. इसके अलावा थारू इम्ब्रायडरी- UP, बनारस तबला, बनारस लाल भरवामिर्च, पीलीभीत बांसुरी, चिरईगांव करौंदा ऑफ बनारस,      बनारस लाल पेड़ा, बरेली फर्नीचर, बरेली जरी जरदोजी, संभल बोन क्राफ्ट और मूज क्राफ्ट ऑफ यूपी को GI का प्रमाण पत्र  मिला है. तो वहीं, चित्रकूट वूड क्राफ्ट, बनारस तिरंगी बर्फी, बनारस ठंडई, जौनपुर इमरती, बनारस मुरल पेंटिंग,   आगरा स्टोन इनले वर्क, बरेली टेराकोटा और बनारस मेटल कास्टिंग क्राफ्ट को भी GI टैग का सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ है.

इन उत्पादों को पहले ही मिल चुका है GI टैग-

इससे पहले गोरखपुर के टेराकोटा, लखनऊ की चिकन शिल्प हस्तकला, लखनऊ की जरदोजी, सराहरनपुर की लकड़ी हस्तकला, वाराणसी की गुबाबी मीनाकारी शिल्प, चुनार का बलुआ पत्थर, गाजीपुर की दीवार पर लटकने वाली तस्वीरें और भदोही की हस्त निर्मित कालीन को GI टैग का प्रमाणपत्र मिल चुका है. इसके अलावा मिर्जापुर की हस्त निर्मित दरियां, वाराणसी का सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, वाराणसी के लकड़ी के लाह के बर्तन और खिलौने, लखनऊ की मैंगो मलिहाबादी दशहरी, मेरठ की कैंची, वाराणसी के धातु रिपोसे शिल्प, वाराणसी के कांच के मोती और वाराणसी के ही ब्रोकेड और साड़ी को GI टैग का प्रमाणपत्र मिल चुका है.

क्या होता है GI टैग?-

भौगोलिक संकेत (GI) टैग एक ऐसी पहचान है जो किसी क्षेत्र से संबंधित विशेष उत्पाद को दिया जाता है.  एक बार GI टैग का दर्जा मिलने पर कोई अन्य निर्माता उत्पादों की बिक्री के लिए इसके नाम का उपयोग नहीं कर सकता है. ग्राहकों को उत्पाद की प्रामाणिकता के प्रति आश्वस्त भी करता है. इससे उत्पाद की ब्रांडिंग, मार्केटिंग और निर्यात समेत कानूनी संरक्षण भी प्राप्त होता है. अनुच्छेद 22(1) भौगोलिक संकेत (GI) को ऐसे संकेत के रूप में परिभाषित करता है, जो किसी सदस्य के क्षेत्र में या उस क्षेत्र के भीतर किसी विशेश इलाके में किसी उत्पाद की उत्पत्ति को निर्धारित करते हैं, जहां उत्पाद की अंतर्निहित गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या अन्य विशिष्ट विशेषताओं को मुख्य रूप से उसके भौगोलिक मूल के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

GI टैग किन उत्पादों को दिया जाता है और कैसे मिलता है?-

खेती से जुड़े उत्पाद, हैंडीक्राफ्ट्स, क्षेत्रीय उत्पाद और विशिष्ट खाद्य सामग्री को GI टैग का प्रमाणपत्र दिया जाता है. किसी उत्पाद के लिए GI टैग हासिल करने के लिए आवेदन करना पड़ता है. इसके लिए वहां उस उत्पाद को बनाने वाली जो संस्था होती है, वो अप्लाई कर सकती है. इसके अलावा कोई कलेक्टिव बॉडी अप्लाई कर सकती है. वहीं, GI टैग का प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए सरकारी स्तर पर भी आवेदन किया जा सकता है.

GI टैग अप्लाई करने वालों के लिए ध्यान रखने योग्य बातें-

GI टैग अप्लाई करने वाले को ये बताना अनिवार्य होगा कि उन्हें ये टैग आखिर किस लिए दिया जाए. सिर्फ बताना नहीं पड़ेगा बल्कि प्रूफ भी करके दिखाना पड़ेगा. उत्पाद की विशिष्टता के बारे में और उसके ऐतिहासिक विरासत के बारे में जानकारी देना होगा. क्यों सेम प्रोडक्ट पर कोई दूसरा दावा करता है, तो आप कैसे मौलिक हैं ये भी साबित करके दिखाना होगा, जिसके बाद संस्था साक्ष्यों, तर्कों और संबंधित दस्तावेजों का परीक्षण करती हैं. उसके बाद मानकों पर खरा उतरने वाले को ही GI टैग मिल पाता है.

Tags: Gi TagGI Tag CertificatePm Narendra ModiUttar Pradesh Traditional ProductsVaranasi PM Modi
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