लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर यानी DBT के माध्यम से हर साल लगभग 10 हजार करोड़ रुपए की बचत कर रही है. DBT पोर्टल पर 31 विभागों की 195 योजनाओं को चिह्नित किया गया है. इनमें 110 केंद्रपोषित और 84 राज्यपोषित योजनाएं शामिल हैं. इन 194 DBT योजनाओं में फंड ट्रांस्फर करने के लिए स्कीम कोड जनरेट करके संबंधित विभागों को उपलब्ध कराया जा चुका है.
बता दें कि प्रदेश की योगी सरकार का दावा है कि प्रदेश की योजनाओं को DBT के तहत पारदर्शी तरीके से लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है, जिससे सालाना करीब 10 हजार करोड़ की बचत हो रही है. प्रदेश में खाद्य और रसद विभाग, महिला कल्याण, समाज कल्याण, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, मत्स्य विभाग, दिव्यांगजन सशक्तिकरण, श्रम विभाग, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास, बेसिक शिक्षा विभाग, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग और नगर विकास विभाग की ओर से लगभग 10,000 करोड़ की बचत हो रही है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण- DBT के जरिए लीकेज को रोककर सालाना तकरीबन 10,000 करोड़ रुपए तक बचा रही है. राज्य में 11 विभागों की 207 योजनाएं जिनमें 113 केंद्रीय और 94 राज्य प्रायोजित योजनाएं शामिल हैं. इन योजनाओं का संचालन DBT के तहत हो रहा है, जिससे राज्य सरकार को सालाना लगभग 10,000 करोड़ की बचत हो रही है. वहीं, सीएम का कहना है कि जबसे DBT के तहत योजनाओं को पात्रों तक पहुंचाया जाना शुरू किया गया है, तबसे बिचौलियों की गतिविधि खत्म हो गई है, जिससे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगा है. साथ ही लोगों को उनकी योजनाओं का सीधा लाभ मिल पा रहा है.
दरअसल डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी DBT का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार द्वारा अनेक योजनाओं के माध्यम से प्रायोजित धन के वितरण में पारदर्शिता लाना है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है. DBT के माध्यम से किसी भी योजना का लाभ या सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है. DBT सिस्टम की शुरुआत साल 2013 में UPA सरकार के दौरान पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर हुई थी. हालांकि मोदी सरकार की अगुवाई में DBT सिस्टम काफी मजबूत किया गया, जिसके बाद DBT सिस्टम काफी तेज गति से रफ्तार पकड़ी. इसी के तहत साल 2014 के नवंबर में LPG सब्सिडी स्कीम को DBT सिस्टम के दायरे में लाया गया.