वाराणसी: होली के पावन पर्व पर काशी विश्वनाथ मंदिर में एक नई परंपरा की शुरूआत की गई है. इस बार की होली पर काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए भगवान कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा से अबीर, रंग, पिचकारी, गुजिया और पटुका उपहार स्वरूप भेजा गया है. मंदिर में इसी रंग और अबीर से होली खेली जाएगी. इस नई परंपरा को लेकर लोगों में उत्साह और भी बढ़ गया है. लोगों का कहना है कि भगवान श्री कृष्ण और काशी विश्वनाथ एक साथ होली खेलेंगे. वहीं, काशी विश्वनाथ धाम में होली को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं.
बता दें कि भगवान कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में रंगों के पर्व होली की शुरुआत हो चुकी है. इस बार की होली पर एक नई परंपरा की शुरूआत की गई है. इस नई परंपरा के तहत मथुरा से भव्य यात्रा निकाल कर भगवान कृष्ण की तरफ से काशी विश्वनाथ को उपहार स्वरूप रंग, गुलाल, पिचकारी और गुझिया भेंट की गई. ये उपहार 8 मार्च को काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच चुका है. इसके बदले में काशी से भी मथुरा के लिए गुलाल यात्रा निकाल कर अबीर, रंग और गुलाल और गुझिया भगववान कृष्ण के लिए मथुरा भेजा गया है.
श्रीकृष्ण जन्मस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि बाबा विश्वनाथ को रंग और गुलाल अर्पित करने के लिए ये यात्रा निकाली गई. विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण को गुलाल अर्पित करने के बाद यात्रा का शुभारंभ किया गया. ढोल और नंगाड़ों की थाप पर सैकड़ों भक्त झूमते हुए नजर आए. इससे पूरा क्षेत्र भक्ति और उल्लास में डूब गया. उन्होंने बताया कि रंग भरनी एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण खुद काशी विश्वनाथ महाराज को गुलाल अर्पित कर होली की शुरुआत की. ये अनूठा संयोग भक्तों के लिए दिव्य अनुभूति लेकर आया है.
वहीं, काशी विश्वनाथ मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि फूलों से सजी पालकी पर श्री काशी विश्वनाथ महादेव और मां गौरा की रजत प्रतिमा मंदिर प्रांगण में भ्रमण करते हुए मंदिर चौक पहुंची. इस दौरान श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव के जयकारे के साथ पालकी यात्रा का भक्ति के रंग में डूबकर स्वागत किया. इस अवसर पर भगवान शंकर और माता पार्वती को हल्दी, गुलाल और पुष्प अर्पित कर मंगल कामना की गई. वहीं, श्री काशी विश्वनाथ महादेव और माता गौरा का हल्दी उत्सव धाम में आए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा.