नई दिल्ली: सनातन धर्म में व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा है. इसी का पालन करने के लिए पाकिस्तान से हिंदुओं का एक विशेष समूह, 400 अस्थि कलश के साथ भारत पहुंचा है. इन अस्थियों में दिवंगत हिंदू व्यक्तियों की राख व अस्थियां शामिल हैं, जिन्हें भारतीय परंपरा के अनुसार हरिद्वार में गंगा नदी में विधि-विधान से विसर्जित किया जाएगा. यह यात्रा पाकिस्तान के कराची से शुरू होकर भारत के पवित्र धार्मिक स्थल हरिद्वार तक पहुंचेगी.
कराची के पंचमुखी हनुमान मंदिर और श्मशान घाट के मुख्य सेवक रामनाथ मिश्रा इस धार्मिक यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं. मिश्रा के अनुसार, यह अस्थि कलश तर्पण के लिए लाए गए हैं, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है. तर्पण का उद्देश्य पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनकी कृपा प्राप्त करना है.
हरिद्वार में गंगा में अस्थि विसर्जन की यह प्रक्रिया हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों के तहत पूरी की जाएगी, जो पाकिस्तान में बसे हिंदू समुदाय की आस्था और विश्वास से जुड़ी हुई है. इस धार्मिक यात्रा के माध्यम से पाकिस्तानी हिंदू, अपने परिजनों की अस्थियों को गंगा में विसर्जित कर उनके मोक्ष की कामना करेंगे, जो सनातन धर्म और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है.
रामनाथ मिश्रा ने आगे बताया कि वह, 21 फरवरी को प्रयागराज संगम से पवित्र जल लाकर दिल्ली के निगम बोध घाट पर अस्थि कलशों की पूजा करेंगे. इस पूजा के दौरान संगम का जल अस्थियों पर छिड़का जाएगा. इसके बाद, दिल्ली से हरिद्वार तक एक रथ यात्रा निकाली जाएगी. फिर 22 फरवरी को हरिद्वार के सती घाट पर 100 लीटर दूध की धारा में अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि यह अस्थियां पिछले 8 वर्षों में एकत्रित की गईं हैं.