ढाका: बीते बुधवार को बांग्लादेश में हजारों प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के संस्थापक नेता बंगबंधु मुजीबुर रहमान के घर में तोड़फोड़ कर आग लगा दी. यह हिंसक प्रदर्शन शेख हसीना द्वारा एक आक्रामक सोशल मीडिया भाषण देने के बाद हुआ, जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों से अंतरिम सरकार के खिलाफ खड़े होने का आह्वान किया था.
प्रदर्शनकारियों की भीड़ में लाठी, हथौड़े और अन्य उपकरणों से लैस लोग शामिल थे. जिन्होंने ऐतिहासिक घर और स्वतंत्रता स्मारक के आसपास तोड़फोड़ की. उत्तेजित प्रदर्शनकारियों ने मुजीबुर रहमान के पैतृक घर की इमारत को ध्वस्त करने के लिए क्रेन तक का इस्तेमाल किया. साथ ही एक रैली निकाली जिसे “बुलडोजर जुलूस” कहा गया. प्रदर्शनकारियों का उद्देश्य शेख हसीना के निर्धारित रात 9 बजे के कार्यक्रम को बाधित करना था.
छात्रों के समूह ने किया प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों में कई छात्र शामिल थे, जो ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ संगठन से जुड़े थे. इन छात्रों ने शेख हसीना के सोशल मीडिया भाषण पर अपना रोष व्यक्त किया और इसे नवगठित मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के लिए एक चुनौती के रूप में देखा. प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना था कि हसीना का भाषण उनके आंदोलन के खिलाफ था. साथ ही 1972 में बने बांग्लादेश के संविधान को खत्म करने की ओर इशारा करता था.
देश की आजादी का प्रतीक बंगबंधु का घर
बंगबंधु मुजीबुर रहमान के जिस घर में प्रदर्शकरियों ने तोड़फोड़ की वह बांग्लादेश की आजादी का प्रतीक रहा है. यहां मुजीबुर रहमान ने 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी. जिसके बाद यह घर बांग्लादेश के लिए एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीक बन गया था. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इस घर को निशाना बनाकर शेख हसीना के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया.
बांग्लादेश में लगातार बढ़ रहा तनाव
बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव अगस्त 2024 से बढ़ रहा है, जब बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के कारण शेख हसीना को पड़ोसी भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था. हालांकि बाद में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ था. वर्तमान में बांग्लादेश की सत्ता यही सरकार चला रही है.
संविधान को लेकर संघर्ष
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि शेख हसीना के पिता, शेख मुजीबुर रहमान, के शासन के समय 1972 में जो संविधान लागू किया गया था, वह वर्तमान समय में बांग्लादेश की राजनीति के लिए उपयुक्त नहीं है. छात्रों का कहना है कि यह संविधान हसीना की सरकार के लिए एक आधार बन चुका है, जिसे वे खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. राजनीतिक और सामाजिक तनाव को देखते हुए, विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में बांग्लादेश में हिंसा और विरोध प्रदर्शनों में और वृद्धि हो सकती है.