मथुरा: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के भोर में राधा केलि कुंज आश्रम तक पद यात्रा करते हुए भक्तों को दर्शन देने की परंपरा अब अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई है. आश्रम ने इसके कारण के रूप में महाराज के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और उनके दर्शन के लिए बढ़ती भीड़ को बताया है. हालांकि इसको लेकर कुछ महिलाओं और स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया था. उनका आरोप था की उनकी रातों की नींद भीड़ और शोरगुल के कारण पूरी नहीं हो पाती.
बता दें, प्रेमानंद महाराज हर दिन 2 बजे राधा केलि कुंज आश्रम तक पद यात्रा करते थे, जहां रास्ते में भक्तों की लंबी कतारें उन्हें दर्शन करने के लिए जमा होती थीं. इस दौरान भक्त उन्हें देखकर आशीर्वाद प्राप्त करते थे. लेकिन अब यह परंपरा बंद कर दी गई है. जिसके बाद अब भोर के समय अब प्रेमानंद महाराज के दर्शन नहीं हो सकेंगे.
सूचना
आप सभी को सूचित किया जाता है कि पूज्य महाराज जी के स्वास्थ व बढ़ती हुई भीड़ को देखते हुए, पूज्य महाराज जी, जो पद यात्रा करते हुए रात्रि 02:00 बजे से श्री हित राधा केलि कुंज जाते थे, जिसमें सब दर्शन पाते थे, वो अनिश्चित काल के लिए बंद किया जाता है।श्री हित राधा केलि कुंज… pic.twitter.com/8NhzpYIf4K
— Bhajan Marg (@RadhaKeliKunj) February 6, 2025
आश्रम ने सोशल मीडिया हैंडल पर बताया कि यह फैसला महाराज के स्वास्थ्य और बढ़ती भीड़ को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. बता दें, प्रेमानंद महाराज की दोनों किडनियां खराब हैं और उन्हें नियमित रूप से डायलिसिस कराना पड़ता है, जिसके कारण उनकी तबियत में लगातार गिरावट आ रही है. साथ ही, भक्तों की बढ़ती संख्या और उनके दर्शन के लिए रास्ते पर उमड़ती भीड़ भी इस फैसले का कारण बनी है. आश्रम ने यह निर्णय उनकी सेहत पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़ने के चलते लिया है.
Video-संत प्रेमानंद महाराज की रात्रि दर्शन के दौरान तेज आवाज में म्यूजिक बजाने एवं आतिशबाजी चलाने का विरोध, अनुयाई और विरोधी आपस में भिड़े। pic.twitter.com/JyZPslUj0h
— santosh singh (@SantoshGaharwar) February 4, 2025
महिलाओं ने भी किया था प्रदर्शन, आपस में भीड़ गए थे प्रदर्शनकारी
गौरतलब है कि प्रेमानंद महाराज की पद यात्रा के दौरान कुछ महिलाओं ने प्रदर्शन किया था और इस यात्रा पर रोक लगाने की मांग की थी. ‘एनआरआई कॉलोनी’ की कुछ महिलाओं ने हाथों में तख्तियां लेकर सड़क पर प्रदर्शन किया. इन तख्तियों पर लिखा था, “कौन-सी भक्ति, कौन-सा दर्शन… ये तो है केवल शक्ति प्रदर्शन. उनका आरोप था कि रात में भजनों की धुन पर श्रद्धालु नाचते-गाते और पटाखे भी फोड़ते थे, जिससे माहौल उत्साहपूर्ण हो जाता था. उन्होंने ध्वनि प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होने के आरोप भी लगाए थे. इसको लेकर बैठक भी आयोजित हुई थी जिसमें कॉलोनी के निवासी आपस में भीड़ गए थे. महिलाओं का कहना था शोरगुल से उनकी रातों की नींद पूरी नहीं हो पाती. जिससे सुबह जल्दी उठने में कठिनाई होती थी. इसमें खासकर वे महिलाएं शामिल थीं जो स्कूल में पढ़ाती थीं.
हालांकि, आश्रम ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए तब कहा था कि वहाँ एकत्रित हुए लोग आश्रम से संबंधित नहीं थे और उन्हें कई बार लाउडस्पीकर पर भजन बजाने से मना किया गया था.
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