लखनऊ: अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है. शुक्रवार को सीएम योगी ने यहां एक विशाल जनसभा को संबोधित कर भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान के पक्ष में माहौल बनाया है. वहीं, दूसरी ओर कहा जा रहा है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और सांसद डिंपल यादव भी मिल्कीपुर में जनसभा कर सकते हैं. बता दें कि यहां 5 फरवरी को मतदान होना है, जबकि नतीजा 8 फरवरी को आएंगे.
सपा ने अजीत प्रसाद को बनाया प्रत्याशी
सपा ने मिल्कीपुर से फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाकर है. वह भी लगातार प्रचार-प्रसार में लगे हैं. 2022 में यहां सपा ने प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. लेकिन अब वह सांसद बन चुके हैं. जिस पर सपा ने उनके बेटे अजीत प्रसाद पर दाव खेला है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है.
बीजेपी और सपा के लिए नाक का सवाल
मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी और सपा दोनों के लिए यह चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है. बीजेपी इस सीट को जीतकर लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला लेने की मंशा रखती है. वहीं, अवधेश प्रसाद के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट को सपा भी किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहती. मिल्कीपुर में जीत इस बार जातीय समीकरण पर निर्भर करेगी, जो इस चुनाव को एक निर्णायक मोड़ पर ले जा सकता है.
सपा का पीडीए फॉर्मूला
अनुमानित आंकड़ों के अनुसार मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में करीब 3.58 लाख मतदाता हैं, जिसमें दलित, ओबीसी और मुस्लिम समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. विशेष रूप से पासी और पिछड़े वर्ग में यादवों की संख्या अधिक है, जो चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं. सपा अपने पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूले के जरिए इस चुनाव में बढ़त बनाने की कोशिश कर रही है. लोकसभा चुनाव में सपा को इस फॉर्मूले का फायदा मिला था, जब बड़ी संख्या में दलित और पिछड़े समुदाय के वोटरों से सपा के पक्ष में मतदान किया था.
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी ने सपा के पीडीए फॉर्मूले को तोड़ने की रणनीति बनाई है. पार्टी ने सपा के गढ़ में सेंध लगाने के लिए बड़ा दलित चेहरा चंद्रभानु पासवान को प्रत्याशी के रूप में उतारा है. दलित वोट बैंक के साथ-साथ बीजेपी का पूरा फोकस ओबीसी वोट बैंक पर भी है. इसी को देखते हुए यहां डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सहित कई मंत्रियों को उतारा गया है.
मिल्कीपुर में किस जाति के कितने मतदाता?
मिल्कीपुर में जातीय समीकरण भी इस चुनाव को बेहद दिलचस्प बना रहा है. यहां के प्रमुख जातीय समूहों में पासी बिरादरी के 55,000 अनुमानित वोटर हैं. वहीं, मुस्लिम 30,000, यादव 55,000, ब्राह्मण 60,000, क्षत्रिय और वैश्य करीब 45,000 और अन्य जातियों में 20,000 कोरी, 18,000 चौरसिया, पाल और मौर्य वोटर्स शामिल हैं.
मिल्कीपुर में सवर्ण वोट बैंक पर बीजेपी का हमेशा से दबदबा रहा है, लेकिन भाजपा ने दलित और पिछड़े वोटरों पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए प्रदेश के 6 मंत्रियों को जीत की जिम्मेदारी दी है. यहां दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक सहित प्रभार वाले सभी मंत्री समय-समय पर मिल्कीपुर के दौरे कर रहे हैं.
नतीजों से क्या होगा असर?
मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जातीय समीकरण किसके पक्ष में होंगे. बीजेपी और सपा दोनों ही इस सीट को लेकर पूरी ताकत झोंक रही हैं. यह चुनाव आगामी विधानसभा चुनावों के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक माहौल गरमा रहा है. अब यह देखना होगा कि इस कड़ी टक्कर में किस पार्टी का पलड़ा भारी पड़ता है और मिल्कीपुर का अगला किंग कौन होगा?