प्रयागराज; बीते दिन मंगलवार को मकर संक्रांति की पहले अमृत स्नान के साथ महाकुंभ का आगाज हो गया है. अक्सर यह माना जाता है कि धार्मिक आयोजन, यात्राओं, मेलों और पर्वों में उम्रदराज लोग शामिल होते हैं. लेकिन इस बार महाकुंभ में सनातन के प्रति युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा है. मेला क्षेत्र के हर कोने में आपको युवाओं की अच्छी खासी तादाद देखने को मिल जाएगी. इस बार महाकुंभ में देश के काेन-काेने से युवा सनातन धर्म की भव्यता, दिव्यता एवं आध्यात्मिकता का विराट रूप देखने के लिए उत्सुक हैं.
बता दें कि इस बार महाकुंभ में अलग-अलग प्रदेशों से युवा आ रहे हैं. युवाओं में कुंभ मेले को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. अयोध्या से महाकुंभ आए अभिषेक पाठक अवध विश्वविद्यालय में बीए के छात्र हैं. अभिषेक ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद से पूरे देश में एक अलग तरीके का माहौल बना हुआ है. इससे हिंदू समाज में गर्व की अनुभूति का भाव है. विशेषकर युवाओं में बड़ा उत्साह है.
वहीं, मुंबई से आये एमबीए के छात्र रोहित जोशी ने बताया कि मैं पहली बार कुंभ मेले में आया हूं. यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है. जिन साधु संतों, नागा बाबाओं के बारे में अब तक सुना था, उन्हें पास से देखकर एक अलग ही भाव मन में जागा है. रोहित का कहना है कि ‘सचमुच, सनातन का स्वरूप विराट, विस्मयकारी और विविधता से भरा हुआ है, जिसे शब्दों में बयान नहीं कर सकता’.
साथ ही रोहित जोशी ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से सनातन के प्रति लोगों का नजरिया बदला है. युवा दोबारा अपनी जड़ों से, सनतान से जुड़ना चाहते हैं. रोहित के साथ उनके तीन दोस्त भी महाकुंभ में सनातन के विराट स्वरूप को समझने और जानने की मंशा से आये हैं.
उडीसा के बालासोर जिले से 7 युवाओं की टोली महाकुंभ में आई है. माथे पर ऊर्ध्वपुण्ड्र ‘वैष्णव संप्रदाय का तिलक’, कुर्ता और धोती पहने युवाओं की ये टोली सबके आकर्षण का केंद्र बनी. इस टोली के सदस्य निखिल जेना बैचलर आफ हिन्दी एजुकेशन के छात्र हैं. छात्र निखिल जेना ने कहा कि निश्चित तौर पर सनातन धर्म के प्रति लोग जाग्रत हुए हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज में नयी चेतना मोदी सरकार बनने के बाद से आई है.
वहीं, हरिद्वार से आये चिन्मय कॉलेज के छात्र सुमित ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अब सनातनी समाज जाग चुका है. युवा अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं, उन्हेंं जनेऊ पहनने, तिलक लगाने एवं कलावा बांधने में अब शर्म नहीं गर्व महसूस होता है.