प्रयागराज; महाकुंभ को इस बार भव्य और दिव्य के साथ-साथ नव्य भी बनाने का पूरा प्रयास किया गया है. वो इसलिए, क्योंकि पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुगलकालीन परंपरा को तोड़ते हुए शाही स्नान समेत कई अन्य कार्यक्रमों को सनातन से जोड़ते हुए नया नाम दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस कदम की महाकुंभ में हर कोई प्रशंसा कर रहा है. साधु संतों समेत आम श्रद्धालुओं ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक करार दिया है.
सभी संतजनों ने 144 वर्ष पश्चात पड़े इस सुखद संयोग में स्नान कर स्वच्छ, सुरक्षित, दिव्य-भव्य महाकुंभ के आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं. इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करने, अद्भुत व्यवस्था पर साधु-संतों ने सरकार के प्रति आभार भी जताया. जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि सरकार की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न हूं. सरकार ने महाकुंभ की व्यवस्था बहुत अच्छी की है. इस व्यवस्था से मैं बहुत प्रसन्न हूं. सरकार ने इतनी बड़ी भीड़ को भी नियंत्रित किया है, इसलिए सरकार साधुवाद की पात्र है.
परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मोदी-योगी की यह जोड़ी इस देश में नया योग खड़ा करने आई है. योगी जी ने दिखा दिया, वातावरण मस्त-मस्त और सुरक्षा जबर्दस्त है. जो कहते हैं कि हम बंटे पड़े हैं, वे आकर देखें-सारे घाट पटे पड़े हैं. यह पूरे सनातन का स्नान है. यह अमृत व सनातन के अमर होने का पर्व है. इस कुंभ ने बताया कि सारे घाट पटे पड़े हैं, लोग कहते हैं हम बटे पड़े हैं. आखिर हम कहां बटे पड़े हैं. करोड़ों कल, करोड़ों आज आए और करोड़ों आ रहे हैं. हर घाट पटा है. मैं सभी को आमंत्रित करता हूं कि आओ महाकुंभ चलें. संगम के तट से संदेश है कि सनातन का संगम सदैव गंगा के पावन प्रवाह की तरह प्रवाहित रहे.
भारतीय परंपरा व संस्कृति को वैश्विक मंच मिला
इसी क्रम में अयोध्या के श्री राम वैदेही मंदिर के महंत स्वामी दिलीप दास त्यागी महाराज ने मकर संक्रांति का अमृत स्नान करने के बाद कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमारी सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का कार्य किया है. महाकुंभ ने गुलामी के प्रतीक शब्दों से छुटकारा दिलाकर सनातन संस्कृति को नई पहचान दी है. इस बार अमृत स्नान का दिव्य और भव्य अनुभव ऐतिहासिक साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि “शाही स्नान” और “पेशवाई” जैसे मुगलकालीन शब्दों को हटाकर “अमृत स्नान” और “छावनी प्रवेश” जैसे सनातनी शब्दों को शामिल करना सनातन संस्कृति को सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम है. आज यह आयोजन भारतीय परम्पराओं और संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर रहा है.
महाकुंभ में परंपरा व संस्कृति का जुड़ा नया अध्याय
महाकुंभ इस बार सांस्कृतिक और परंपरागत बदलावों का गवाह बना. 144 साल बाद पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग इस आयोजन को और भी खास बनाता है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि यह पहली बार है जब महाकुंभ में उर्दू शब्दों को बदलकर हिंदी और सनातनी शब्दों का उपयोग किया गया है. उन्होंने कहा, “यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया गया था, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया. अब ‘शाही स्नान’ और ‘पेशवाई’ जैसे शब्द इतिहास बन गए हैं और उनकी जगह ‘अमृत स्नान’ और ‘छावनी प्रवेश’ ने ले ली है”.
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि यह पहली बार है जब महाकुंभ में उर्दू शब्दों को बदलकर हिंदी और सनातनी शब्दों का उपयोग किया गया है. उन्होंने कहा, “यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया गया था, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया. अब ‘शाही स्नान’ और ‘पेशवाई’ जैसे शब्द इतिहास बन गए हैं और उनकी जगह ‘अमृत स्नान’ और ‘छावनी प्रवेश’ ने ले ली है”.