नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सनातन और हिंदू शब्दों पर बेतुकी प्रतिक्रिया देने वालों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि इन शब्दों का गहरा अर्थ समझे बिना प्रतिक्रिया देना दुखद और विडंबनापूर्ण है. उपराष्ट्रपति यह बात जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित 27वें अंतरराष्ट्रीय वेदांत कांग्रेस के उद्घाटन भाषण में दिया.
उन्होंने कहा कि भारत एक प्राचीन सभ्यता है, फिर भी सनातन और हिंदू शब्दों पर गलत और त्वरित प्रतिक्रिया दी जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग वेदांत और सनातनी ग्रंथों को गलत तरीके से खारिज कर रहे हैं. यह विकृत उपनिवेशी मानसिकता और अपर्याप्त समझ का परिणाम है. धनखड़ ने वेदांत को समकालीन चुनौतियों का समाधान देने वाला बताया. उन्होंने इसके ज्ञान की पहुंच बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने वेदांत को केवल अतीत का हिस्सा ही नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक ब्लूप्रिंट बताया.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वेदांत की समकालिक प्रासंगिकता पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि आज दुनिया युद्ध, तनाव, जलवायु संकट, और गलत डिजिटल सूचनाओं जैसी समस्याओं का सामना कर रही है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीकी समाधान के साथ-साथ नैतिक ज्ञान की भी जरूरत है, जिसे वेदांत प्रदान करता है.
यह भी पढ़ें: ‘कुछ ताकतें भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहीं…हमें साथ आना होगा’, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान
धनखड़ ने कहा कि वेदांत केवल सवालों का जवाब नहीं देता, बल्कि यह संदेहों को समाप्त करता है. जिज्ञासा को शांत करता है. वेदांत, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ने का एक उत्प्रेरक बन सकता है. उन्होंने संस्कृति और दार्शनिक धरोहर से जुड़ने की आवश्यकता पर भी बल दिया.