बलूचिस्तान/ पाकिस्तान: मानवाधिकार कार्यकर्ता और बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) की संयोजक महरंग बलूच ने बलूचिस्तान में न्याय और मानवाधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है. महरंम ने कहा कि भले की कई तरह की धमकियां और कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन वह अपनी इस लड़ाई को जारी रखेंगी.
द बलूचिस्तान पोस्ट से बात करते हुए महरंग बलूच ने कहा कि एक बलूच महिला के मानवाधिकार रक्षक के रूप में मैंने आवाज उठाई. इसमें बलूचिस्तान में जबरन महिलाओं का अपहण, हिरासत में हत्याओं के मामले शामिल हैं. उन्होंने कहा पिछले एक दशकों में मुझे व्यक्तिगत रूप से इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी है, जिसमें उत्पीड़न और कई आतंकवाद के आरोप भी शामिल हैं.
महरंग बलूच ने 2009 में अपने पिता के जबरन गायब होने और उसके बाद 2011 में उनकी हत्या की दर्दनाक कहानी साझा करते हुए कहा कि इन घटनाओं ने उनकी सक्रियता को गहराई से प्रभावित किया. उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने उनके पिता का अपहरण कर लिया और बाद में उन्हें मार डाला. 2017 में उनके भाई को भी ले जाया गया. उस समय, उन्होंने इस जुर्म के खिलाफ आवाज उठाने की कसम खाई थी.
महरंग बलूच ने आगे कहा कि सक्रियता के चलते मेरी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिए गए. मई 2024 में वर्ल्ड एक्सप्रेशन फोरम (WEXFO) और PEN नॉर्वे में मैं एक वक्ता के रूप में भाग लेने गई थी. वहां से पाकिस्तान लौटने के बाद मुझे और भी बाधाओं का सामना करना पड़ा. जिसमें अक्टूबर में नो-फ्लाई सूची में शामिल होना भी शामिल है.
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महरंम ने बीते 7 अक्टूबर की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें न्यूयॉर्क जाने वाली फ्लाइट में चढ़ने से रोक दिया गया, जहां उन्हें टाइम मैगज़ीन के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जाना था. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उनका नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट (ECL) में और बाद में चौथी अनुसूची में जोड़ा गया, जो एक स्थानीय आतंकवाद विरोधी निगरानी सूची है.
इनपुट-ANI