नई दिल्ली: डॉ बाबा साहेब आंबेडकर व भाजपा और कांग्रेस सांसदों के बीच हुई धक्कामुक्की को लेकर शुक्रवार को राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ, जिसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया. शुक्रवार सुबह कार्यवाही की शुरुआत होते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. जिसको देखते हुए सभापति ने कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. हालांकि, लोकसभा की कार्यवाही शुरुआत होते ही विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया, जिसके चलते स्पीकर ओम बिरला ने सुबह करीब 11.30 बजे कार्यवाही को अश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया.
राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे के बाद फिर से शुरू हुई और ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के लिए 12 सांसदों को नामित किया गया. इनमें घनश्याम तिवाड़ी, भुवनेश्वर कलिता, के. लक्ष्मण, कविता पाटीदार, संजय कुमार झा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल बालकृष्ण वासनिक, साकेत गोखले, पी. विल्सन, संजय सिंह, मानस रंजन मंगराज और वी. विजयसाई रेड्डी शामिल रहे. लोकसभा से पहले ही 27 सदस्यों को जेपीसी के लिए नामित किया जा चुका है.
सभापति ने सांसदों की उपस्थिति पर जताई चिंता
सदन की कार्यवाही के शीतकालीन सत्र के समापन भाषण में सभापति जगदीप धनखड़ ने इस सत्र की उपस्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हम संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, लेकिन इस सत्र की उपस्थिति केवल 40.03 प्रतिशत रही, जिसमें महज 43 घंटे और 27 मिनट का ही प्रभावी काम हुआ.
सभापति ने सांसदों से कहा कि संसद में लगातार हो रहे व्यवधान लोकतांत्रिक संस्थानों में जनता का विश्वास घटा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सत्र में कुछ महत्वपूर्ण विधेयक, जैसे तेल क्षेत्र संशोधन विधेयक और बॉयलर्स विधेयक 2024 पारित किए गए, भारत-चीन संबंधों पर विदेश मंत्री का बयान भी सुना गया, लेकिन इन उपलब्धियों से कहीं ज्यादा इस सत्र की विफलताएं रही हैं.
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संसदीय गरिमा की चिंता
जगदीप धनखड़ ने सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा कि मीडिया के माध्यम से नोटिसों का प्रचार और नियम 267 का सहारा लेने की बढ़ती प्रवृत्ति संसद की संस्थागत गरिमा को नुकसान पहुंचा रही है. उन्होंने कहा कि भारत के 1.4 बिलियन नागरिक हमसे बेहतर कार्यकुशलता की उम्मीद करते हैं और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम उनका विश्वास बनाए रखें.