नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 9 दिसंबर को रूस के कलिनिनग्राद में भारत को नया स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘तुशील’ सौंपेंगे. कमीशनिंग के बाद यह युद्धपोत भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े कमान के तहत ‘स्वॉर्ड आर्म’ का हिस्सा बनेगा जो दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत फ्रिगेट में से एक होगा.
आईएनएस तुशील भारतीय नौसेना की बढ़ती समुद्री शक्ति का प्रतीक है. यह भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा. इस परियोजना के तहत पहले से ही छह जहाज भारतीय नौसेना में शामिल हो चुके हैं. आईएनएस तुशील इस श्रृंखला का सातवां जहाज है. इस युद्धपोत के निर्माण में रूस और भारत दोनों की अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है. इसमें भारतीय सामग्री का 26 प्रतिशत योगदान है.
आईएनएस तुशील को इस साल जनवरी से लेकर अब तक कई व्यापक परीक्षणों से गुज़ारा गया है, जिसमें फैक्ट्री और स्टेट ट्रायल, हथियार फायरिंग परीक्षण और भारतीय विशेषज्ञों द्वारा डिलीवरी स्वीकृति परीक्षण शामिल हैं. इस जहाज ने परीक्षणों के दौरान 30 नॉटिकल से ज्यादा की गति भी दर्ज की.
भारतीय नौसेना के अनुसार, ‘तुशील’ का नाम ‘रक्षक कवच’ और ‘अभेद्य कवच’ का प्रतीक है. यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा और देश की सीमाओं की रक्षा के प्रति अडिग प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
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125 मीटर लंबा है आईएनएस ‘तुशील’
आईएनएस ‘तुशील जहां 125 मीटर लंबा है, तो वहीं इसका वजन 3900 टन है. जहाज रूसी और भारतीय अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है. भारतीय नौसैनिक विशेषज्ञों के सहयोग से जहाज की स्वदेशी सामग्री को 26 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है. इसके निर्माण में भारतीय ओईएम ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, टाटा से नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम, एल्कोम मरीन, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया शामिल थे.