लखनऊ: उत्तर प्रदेश भाजपा 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर जुट गई है. कहा जा रहा है कि 2025 के शुरुआत में संगठन में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. अगले वर्ष यूपी भाजपा अपने नए अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है. लेकिन इससे पहले 16 से 30 दिसंबर के बीच जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. भाजपा के संगठनात्मक चुनावों की तैयारियों को लेकर बुधवार को लखनऊ के विश्वेश्वरैया प्रेक्षागृह में चर्चा हुई. जिसमें प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, पूर्व यूपी भाजपा अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय, प्रदेश संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.
बैठक में बूथ, मंडल और जिला समितियों के गठन पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया. पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावडे़ को संगठनात्मक चुनावों का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है. 1 से 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों का चयन किया जाएगा, जबकि जिलास्तर पर कार्यशालाएं 28 नवंबर से 2 दिसंबर तक आयोजित की जा रही हैं. हर तीन जिलों के लिए एक केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाएगा.
किसे मिलेगा प्रदेश अध्यक्ष का पद?
अब सवाल यह है कि पार्टी क्या क्षत्रिय मुख्यमंत्री और जाट प्रदेश अध्यक्ष के बाद अब दलित, पिछड़े वर्ग या ब्राह्मण नेता पर दांव लगाएगी? प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर पार्टी के भीतर चर्चाएं तेज हो गई हैं. फिलहाल यूपी भाजपा ने दिसंबर माह में कई महत्वपूर्ण आयोजनों को लेकर योजना बनाई है.
भाजपा 6 दिसंबर को डॉ भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को बूथ स्तर पर मनाएगी. जबकि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा, 27 दिसंबर को बाल शहीद दिवस और गणतंत्र दिवस तक ‘संविधान गौरव महोत्सव’ मनाने की भी योजना बनाई है.
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पार्टी ने संगठन में युवा और अनुभवी नेतृत्व को प्राथमिकता देने का संकेत दिया है. इसके तहत मंडल और जिलाध्यक्षों के लिए उम्र सीमा तय की गई है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि भाजपा ने अब तक 2.5 करोड़ से अधिक सदस्य जोड़े हैं, जो कार्यकर्ता आधारित संगठन की ताकत को दर्शाता है. राष्ट्रीय सहचुनाव अधिकारी नरेश बंसल ने बैठक में कहा कि भाजपा परिवारवाद की पार्टी नहीं है, बल्कि यह परिवारभाव से काम करने वाली पार्टी है.