नई दिल्ली: देश के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए अपनी भविष्य की योजनाओं को लेकर कई अहम जानकारियां साझा कीं. उन्होंने राजनीति में आने की सभी संभावनाओं पर विराम लगाते हुए कहा कि वह सियासत में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद भी जजों को कानून का संरक्षक माना जाता है और उन्हें ऐसे किसी भी कदम से बचना चाहिए, जो न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठा सके.
एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि समाज रिटायरमेंट के बाद भी जजों को जज के रूप में ही देखता है. इसलिए, उनसे वही उम्मीदें की जाती हैं, जो एक जज से होती हैं. फिर चाहें वह पद पर हो या न हो. उन्होंने यह भी कहा कि जजों से उच्च मानक की उम्मीद की जाती है, यदि वे रिटायरमेंट के बाद राजनीति में शामिल होते हैं, तो यह धारणा बन सकती है कि उनके न्यायिक निर्णय राजनीति से प्रभावित हुए थे.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायिक प्रणाली की एकरूपता और अखंडता को बनाए रखना बेहद जरूरी है.उन्होंने कहा कि समाज आपसे उच्च मानक की उम्मीद करता है. इसलिए आपको ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए, जिससे आपके काम पर संदेह पैदा हो. उन्होंने यह भी बताया कि न्यायपालिका के भीतर इस बात पर एक सहमति बनानी चाहिए कि सेवानिवृत्त जजों के लिए क्या उचित है और क्या नहीं.
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उल्लेखनीय जस्टिस चंद्रचूड़ ने दो साल तक देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और बीते 10 नवंबर को वह रिटायर हुए हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जज भी देश के नागरिक ही होते हैं, उन्हें भी वही अधिकार प्राप्त हैं, जो किसी अन्य नागरिक को मिलते हैं, लेकिन समाज उनसे उच्चस्तर के व्यवहार की उम्मीद करता है.