चीन के इतिहास में हिंदू धर्म का भी प्रभाव रहा है. हाल ही में यह पता चला है कि चीन के बौद्ध ग्रंथों में रामायण की कई कहानियां शामिल हैं. यह जानकारी बीजिंग में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान सामने आई. जिसमें कई चीनी विद्वानों ने रामायण के चीन में प्रसार और इसके प्रभाव पर अपने विचार साझा किए.
रामायण का चीन पर प्रभाव
सिंहुआ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. जियांग जिनकुई ने कहा कि रामायण का प्रभाव चीन में बहुत गहरा है. यह केवल बौद्ध धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि चीनी संस्कृति में भी इसके कई तत्व शामिल हुए हैं. उन्होंने बताया कि रामायण के कुछ हिस्से बौद्ध धर्मग्रंथों में शामिल किए गए थे, जिनमें दशरथ और हनुमान जी जैसे पात्रों का उल्लेख किया गया है. उदाहरण के तौर पर, हनुमान जी को बौद्ध ग्रंथों में “मंकी किंग” (सन युकोंग) के रूप में दर्शाया गया है, जो बौद्ध शिक्षाओं का पालन करते थे.
हनुमान जी और मंकी किंग का संबंध
चीन सामाजिक विज्ञान अकादमी के प्रोफेसर लियू जियान ने कहा कि कई विद्वान मानते हैं कि सन युकोंग का संबंध हनुमान जी से है, हालांकि कुछ का मानना है कि वह चीन के ही एक पात्र थे.
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चीन में मिले हिंदू संस्कृति के निशान
सिचुआन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर किठ योगहुआई ने चीन के फुजियान प्रांत में एक संग्रहालय में प्रदर्शित विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों और एक बौद्ध मंदिर की तस्वीर दिखाते हुए बताया कि वहां हिंदू पुजारियों द्वारा पूजा की जाती है. इस शोध से यह साबित होता है कि चीन में रामायण और हिंदू धर्म के प्रभाव के कई प्रमाण मिलते हैं, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं.