गोंडा: आज शुक्रवार 15 नवंबर को देश भर में धूमधाम के साथ कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है. तीर्थ स्थलों, नदियों और तटों के किनारे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. इन्हीं में से एक गोंडा जिले का प्रसिद्ध तीर्थ तिरें मनोरमा हैं. यह तीर्थ मनोरमा नदी के किनार स्थित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तिरें मनोरमा तीर्थ महत्व रामायण काल से जुड़ा है. यहां मां सरस्वती मनोरमा के रूप में स्वयं प्रगट हुई थीं. इसी के चलते कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है, श्रद्धालु स्नान ध्यान कर अपना मनोवांछित वर प्राप्त करते हैं.
तिरें मनोरमा घाट पर बने दूधेश्वरनाथ मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक कर दान करते हैं. यहां लगने वाले कार्तिक मेला विशेष महत्वपूर्ण है. यह तीर्थ महाराज दशरथ, भगवान राम और ब्रहाज्ञानी नचिकेता के तप का भी साक्षी रहा है. मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर त्रेता युग में महाराजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का आयोजन किया था, जिसके बाद उनके घर में 4 पुत्रों के रूप में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का जन्म हुआ था.
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पुत्रेष्टि यज्ञ का अनुष्ठान श्रृंगी ऋषि ने किया था. उन्होंने मां सरस्वती का आह्वान मनोरमा के नाम से किया था, जिसके बाद वह मनोरमा नदी के रूप में इसी स्थान पर प्रकट हुईं थीं. यही नहीं तिरें मनोरमा तीर्थ स्थान का महात्म्य ब्रह्मज्ञानी नचिकेता से भी जुड़ा है. साथ ही उनके पिता उद्दालक मुनि ने भी इसी भूमि पर तप किया. इस स्थान के बारे में कहावत है कि जहां मन रमे वहीं मनोरमा, जहां मन का मांगा मिले वर वही मनवर है.