वाराणसी; लोक आस्था से जुड़े चार दिवसीय महापर्व ‘छठ’ का आज दूसरा दिन है. आज बुधवार को नमामि गंगे के कार्यकर्ताओं ने राजेंद्र प्रसाद घाट से दशाश्वमेध घाट तक स्वच्छता अभियान चलाया. सदस्यों ने गंगा किनारे पॉलीथीन से भरी पूजन सामग्रियों, तलहटी में दबे कपड़े एवं अन्य निर्माल्य को बटोर कर कूड़ेदान तक पहुंचाया. इसके बाद स्वयंसेवी सदस्यों ने हाथों में स्वच्छता स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर राजेंद्र प्रसाद घाट से दशाश्वमेध घाट तक पदयात्रा की. इस दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्र से लोगों को स्वच्छता की सीख दी गई.
बता दें कि ‘छठ’ महापर्व का आज बुधवार को दूसरा दिन है. आज के ही दिन से ‘छठ मैया’ के मुख्य निर्जला व्रत का आरंभ हो जाता है. ऐसे में आज बुधवार को नमामि गंगे के कार्यकर्ताओं ने राजेंद्र प्रसाद घाट से दशाश्वमेध घाट तक स्वच्छता अभियान चलाया.
कार्यक्रम के संयोजक राजेश शुक्ला ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि अनादि काल से मनाए जाने वाले इस पर्व में धरती पर ऊर्जा का संचार करने वाले ‘भगवान भास्कर’ की पूजा-अर्चना की जाती है. त्योहार से पहले नदी, तालाब, पोखर आदि जलाशयों की सफाई का काम शुरू हो जाता है. छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक अथवा लोकजीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्व हमारे पर्यावरण और जीवनशैली के बीच के संबंधों को भी रेखांकित करता है.
आज जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘स्वच्छ भारत अभियान’, सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम और ‘नमामि गंगे’ जैसे कार्यक्रम को लेकर जागरूकता मिशन चला रहे हैं, तो लोकपर्व छठ के महत्व का जिक्र करना अधिक प्रासंगिक हो गया है, क्योंकि इस पर्व में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है. इसके साथ ही सफाई का पूरा कार्य सामूहिक जनभागीदारी से संपन्न होता है. साथ ही उन्होंने कहा कि लोकपर्व छठ प्रकृति की अराधना का महापर्व है, जो पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का भी संदेश देता है.
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