नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मुंबई विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान के दौरान कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं. उन्होंने कहा जब केंद्र व राज्य सरकार के प्रमुख, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलते हैं तो वह राजनीतिक परिपक्वता का परिचय देते हैं. इस दौर किसी भी पेंडिंग केस की चर्चा नहीं होती. चीफ जस्टिस ने कहा ऐसी मुलाकातें सामान्य हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई सौदा होता है. उल्लेखनीय है कि CJI का यह बयान उन चर्चाओं के बाद आया है, जब हाल ही में पीएम मोदी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के घर पर गणेश पूजा में भाग लेने गए थे. जिससे बाद से सोशल मीडिया पर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही थीं.
CJI ने अपने व्याख्यान में आगे कहा कि जजों का कार्य न्यायिक होता है. जबकि सरकार के साथ उनका प्रशासनिक संबंध अलग होता है. उन्होंने बताया कि राज्य या फिर केंद्र सरकार के साथ संवाद आवश्यक है, क्योकि ज्यूडिशियरी के लिए बजट आवंटन का कार्य सरकारें ही करती हैं. यदि हम केवल पत्राचार करेंगे, तो काम नहीं होगा.
चीफ जस्टिस ने कहा जजों की छुट्टियों को लेकर बहुत चर्चाएं होती हैं. उन्होंने आगे कहा कि जजों पर कार्यभार बहुत अधिक होता है. अपने कार्य के घंटों का जिक्र करते हुए कहा कि वह रोजाना सुबह 3:30 बजे काम शुरू करते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट औसतन 181 केसों का निर्णय करता है, जबकि भारतीय सुप्रीम कोर्ट एक ही दिन में इतने मामलों को निपटा देता है और साल भर में 50 हजार मामलों पर सुनवाई पूरी हो जाती है.
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चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने व्याख्यान में स्पष्ट संदेश दिया कि न्यायपालिका की कार्यशैली में पारदर्शिता और परिपक्वता दोनों की महत्वपूर्ण आवश्यकता है. जिससे न्यायपालिका और सरकार के बीच के संबंधों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है.