बिजनौर- जिले में हाथी का शिकार कर खेत में दफनाने का मामला सामने आया है. शिकारी हाथी के दांतों को निकालकर उन्हें खेत में ही दफना देते थे. ये मामला हाथी के दफनाने के 20 दिनों के बाद सामने आया है. इस मामले की सूचना मिलते ही पुलिस के साथ वन विभाग की टीम ने इसकी जांच शुरू कर दी. वहीं, एक साल में लगभग 7 हाथी मारे जाने की खबर है.
बात दें, शिकारियों ने हाथी को दफनाने से पहले उनके दांत निकाल लिए थे. उसके बाद खेत में जेसीबी से गढ्डा खोदा और उसी में हाथी को दफना दिया था. वन विभाग के अधिकारियों को जब इसकी सूचना मिली तो पूरी टीम के साथ एक किसान के खेत में जांच के लिए पहुंचे. उस खेत में फसल नहीं लगी हुई थी और वहां एक गढ्डा जो की पूरी तरह से ढका हुआ था उसे खुदवाया, तो उसमे से हाथी का शव बरामद हुआ.
इस मामले की सूचना मिलते ही डीएफओ नजीबाबाद वंदना फोगाट ने 13 लोगों के खिलाफ वन्यजीव अपराध नियंत्रण धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया है. वहीं, इसकी के साथ डिप्टी रेंजर और फोरेस्ट गार्ड को निष्कासित भी कर दिया गया है. डीएफओ नजीबाबाद वंदना फोगाट ने ये भी बताया कि नजीबाबाद वन प्रभाग की कौडिया रेंज के कंडरावाली गांव में जय सिंह के गन्ने के खेत में वन्यजीवों के शिकार की सूचना मिली थी. जिसके बाद एसीएफ राजीव कुमार ने वन विभाग की टीम के साथ गांव के प्रधान और अन्य गांव के लोगों के साथ गन्ने के खेत में जाकर छानबीन की तो करीब 1 बीघा जमीन ऊबड़-खाबड़ थी. उस जमीन पर किसी भी प्रकार की कोई भी फसल नहीं थी.
उसके बाद शक के आधार पर वन विभाग की टीम ने उस खेत की जमीन को खुदवाकर देखा तो वो दंग रह गए. उस खेत के गढ्डा में एक हाथी दबा पड़ा था और उसके दांत काट दिए गए थे. पूछताछ करने पर पता चला कि जय सिंह रोज अपने खेत में बिजली का करंट छोड़ता है, जिससे कई बार वन्यजीव मर जाते थे. जयसिंह पास में रहने वाले वन गुजर और अन्य लोगों के साथ मिलकर खाल, सींग, दांत, बाल, नाखून निकाल कर शिकार को खा जाता थे या फिर उन्हें ठिकाने लगा देते थे .
वन विभाग के अधिकारियों ने जय सिंह समेत हरविंद्र, सतनाम, किशन,दयाल ,हसन,शमशाद, सिराजुद्दीन के अलावा 6 अन्य अज्ञात शिकारियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम एंव अपराध नियंत्रण की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया है.