कुशीनगर: 21वीं सदी में भी ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं जो सभ्य समाज में किसी कलंक से कम नहीं है. यह घटनाएं सोचने पर विवश करती हैं कि किस प्रकार से इस व्यावसायिक युग में गरीबी एक अभिशाप है. कुछ इसी प्रकार की घटना उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले से सामने आई है. यहां एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को अस्पताल से डिस्चार्ज करवाने के लिए 3 साल के मासूम बेटे को बेचना पड़ा. हालांकि, मामला पुलिस के संज्ञान में आया तो पुलिस ने बच्चों को सकुशल बरामद कर उसके परिजनों को सौंप दिया है.
मानवता को शर्मसार कर देने वाली यह पूरी घटना उत्तर प्रदेश के कुशीनगर स्थित एक निजी अस्पताल की है. यहां बरवा पट्टी गांव निवासी हरीश पटेल ने प्रसव पीड़ा के चलते अपने पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां उनकी पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया. हालांकि, इस दौरान पीड़ित पति हरीश पटेल ने अस्पताल की फीस भर पानी में असमर्थता जताई. उसने अस्पताल प्रशासन से अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए गुहार लगाई. लेकिन फिर भी अस्पताल प्रशासन ने मां व नवजात बच्चे को जाने नहीं दिया.
लाख प्रयास करने के बाद भी हरीश पटेल अस्पताल की फीस का जुगाड़ नहीं कर सका. जिसके बाद हताश पिता को अपने 3 साल के बच्चे को बेचने पर विवश होना पड़ा. शुक्रवार को मजबूर पिता फर्जी गोद लेने के दस्तावेजों के आधार पर अपने 3 साल के बच्चे को बेचने पर राजी होना पड़ा.
इस घटना की जानकारी मिलते ही लोगों के बीच आक्रोश फैल गया. जिसको देखते हुए पुलिस प्रशासन हरकत में आया. पुलिस ने बीते शनिवार को इस मामले से संबंधित 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें बच्चा खरीदने वाला एक दंपति भी शामिल है.
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कुशीनगर पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मामले की जांच की जा रही है. अपराध में शामिल 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जिसमें से बिचौलिया अमरेश यादव बच्चे को खरीदने वाला भोला यादव और उसकी पत्नी कलावती यादव व एक झोलाछाप डॉक्टर तारा कुशवाहा और एक अस्पताल में सहायिका के तौर पर काम कर रही सुगंती देवी का नाम शामिल है. वहीं, रिश्वत लेने के आरोपों से घिरे एक कांस्टेबल को ड्यूटी से हटा दिया गया है.