मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने बदलापुर में KG में पढ़ने वाली दो मासूम बच्चियों के यौन उत्पीड़न मामले में स्वतः संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। आज राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल ने अब तक की जांच का ब्योरा कोर्ट को दिया। कोर्ट ने पूछा कि क्या फरार आरोपी गिरफ्तार हुआ है? क्या कदम उठाए हैं? जवाब में एडवोकेट जनरल ने कहा कि पुलिस टीम उन्हें ढूंढ रही है। CDR विश्लेषण हुआ है। CCTV की जांच हुई है। लीगल एडवाइस के बाद हमने 25 अगस्त को दूसरी FIR दर्ज़ की है।
वहीं, इस दौरान कोर्ट ने पाया कि दूसरे विक्टिम के लिए जांचकर्ता ने विक्टिम का नाम और पता अपने एप्पलीकेशन में मेंशन किया था, जिसे कोर्ट ने हटाने को कहा। जस्टिस मोहिते-डेरे ने पूछा क्या आपको POCSO एक्ट के बारे में पता है? आप परिवार के सदस्यों का नाम और उनका पता कैसे बता सकते हैं? नाम और पता हटा दीजिए।
कोर्ट ने POCSO नियमों को लागू करने के लिए समिति में किसे शामिल किया जा सकता है, इस पर तीन नामों का सुझाव दिया। जिसमें सेवानिवृत्त IPS अधिकारी मीरा बोरवणकर, बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व जस्टिस साधना जाधव और शालिनी फासलकर जोशी शामिल हैं। हाई कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि नबालिगों की देखभाल के लिए लड़कों के स्कूल में महिला परिचारिकाओं की ही नियुक्त की जानी चाहिए। ऐसा नहीं है कि लड़का होने के कारण उसे शौचालय आदि के लिए पुरुष कर्मचारी के साथ भेजा जाना चाहिए। महिला कर्मचारी उनकी बेहतर देखभाल करेंगी।”
कोर्ट ने कहा पिछली सुनवाई के बाद से तीन काम किए गए हैं – पहचान परीक्षण, फोरेंसिक और सीडीआर। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एसआईटी को चेतावनी भी दी कि, ‘जल्दबाजी में चार्जशीट दाखिल करने की गलती न करें’। कोर्ट ने एसआईटी को मामले की गहन जांच करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने संभावना जताई कि इस जांच से और भी जानकारी सामने आएगी। अब इस मामले में सुनवाई 4 हफ्तों के बाद होगी।
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