नई दिल्ली: केरल हाई कोर्ट में सोमवार को एक PIL दायर की गई है, जिसमें जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट को CBI के समक्ष पेश करने और मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाने की मांग की गई है। हाई कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वे कमेटी की पूरी रिपोर्ट, जिसमें संपादित अंश भी शामिल हैं, सीलबंद लिफाफे में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें। वहीं कोर्ट ने इसपर स्वतः संज्ञान लेते हुए केरल राज्य महिला आयोग को भी पक्षकार बनाया है।
बता दें, जस्टिस हेमा कमेटी का गठन 2017 में केरल सरकार द्वारा मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए किया गया था। हेमा कमेटी की रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न, लैंगिक भेदभाव, कार्यस्थल पर सुरक्षा की कमी और वेतन असमानताओं जैसी समस्याएं उजागर हुईं है। रिपोर्ट 19 अगस्त, 2024 को प्रकाशित हुई, लेकिन आरोप है कि इसके बाद राज्य सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए।
रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अब हाई कोर्ट में दाखिल PIL में मांग की गई है कि रिपोर्ट के आधार पर मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध करने वाले अपराधियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाए और फिल्म उद्योग में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाया जाए।
क्या था हेमा कमेटी रिपोर्ट में ?
फरवरी 2017 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की एक एक्ट्रेस के साथ चलती कार में यौन उत्पीड़न की घटना ने इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के मुद्दे को उजागर किया। इस घटना में एक्टर दिलीप का नाम सामने आया, जिसके बाद इंडस्ट्री में बदलाव की मांग उठी। इसके चलते सरकार ने हेमा कमेटी का गठन किया, जिसने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट सौंपी, जो 5 साल बाद सामने आई है।
इंडस्ट्री के पुरुषों की घटिया सोच सामने आई
रिपोर्ट के मुताबिक, मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या यौन उत्पीड़न है, जिसमें डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और प्रोडक्शन कंट्रोलर तक शामिल होते हैं। इंडस्ट्री में डेब्यू करने वाले न्यूकमर्स के लिए गलत छवि बना दी गई है कि उन्हें सेक्शुअल फेवर देने होंगे। पुरुषों की सोच है कि अगर महिलाएं इंटिमेट सीन्स के लिए तैयार हैं, तो वे ऑफ-सेट भी ऐसा करेंगी।
इंडस्ट्री मेल-डॉमिनेटेड है – रिपोर्ट
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इंडस्ट्री मेल-डॉमिनेटेड है, जहां महिलाओं के खिलाफ आवाज उठाने पर धमकियां मिलती हैं या उन्हें बैन कर दिया जाता है। बुनियादी सुविधाओं की कमी, जैसे टॉयलेट की अनुपलब्धता, भी महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या है। रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद कई महिलाओं ने अपने शोषण के अनुभव साझा किए, जिससे कई उच्च पदों पर बैठे लोगों को इस्तीफा देना पड़ा। सभी मामलों की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया गया है।
CBI जांच की केरल हाई कोर्ट से मांग
वहीं, इस मामले को CBI को जांच के लिए सौंपने और मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाने की मांग केरल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करके की गई है।
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