कोलकाता: आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए महिला डॉक्टर की हत्या-रेप कांड के बाद, कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले कोर्ट ने इस मामले को लेकर उनका और घटना की रात ड्यूटी पर तैनात 4 अन्य डॉक्टरों का पॉलीग्राफी टेस्ट कराने को कहा था। अब फिर से वह दूसरी मुसीबत में फंस गए हैं। सीबीआई ने उनके खिलाफ आरजी कर में हुई कथित वित्तीय अनियमितता को लेकर एफआईआर दर्ज की है। उल्लेखनीय है कि शनिवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने कॉलेज में हुए भ्रष्टाचार के जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी थी। पहले बंगाल सरकार ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था, कोर्ट ने इस एसआईटी को भी भंग कर दिया है।
कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर आरजी कर में हुए भ्रष्टाचार के जांच की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली है। इस से संबंधित सभी दस्तावेज एसआईटी ने सीबीआई को सौंप दिए हैं। जिसके बाद सीबीआई ने जांच की गति तेज कर दी है। जिसके बाद संदीप घोष की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। इसके पूर्व भी महिला डॉक्टर की हत्या और रेप मामले में सीबीआई की टीम ने संदीप घोष से 70 घंटों से भी अधिक की पूछताछ की थी।
बंगाल सरकार ने जांच के लिए गठित की थी कमेटी
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रहे संदीप घोष के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। लेकिन हाई कोर्ट के जज राजर्षि भारद्वाज ने एसआईटी को खारिज कर दिया।
पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने लगाए थे गंभीर आरोप
आरजी कर के पूर्व उपाधीक्षक रहे अख्तर अली ने संदीप घोष पर गंभीर आरोप लगाए थे। अख्तर अली ने आरोप लगाते हुए कहा था कि संदीप संदीप घोष कई अवैध गतिविधियों में संलिप्त है। उन्होंने घोष पर वित्तीय अनियमित, लावारिस लाशों को बेचने और बांग्लादेश में बायोमेट्रिक अपशिष्ट व मेडिकल उपकरणों की तस्करी करवाने के आरोप लगाए थे। इन्हीं आरोपों के आधार पर बंगाल पुलिस ने संदीप घोष पर कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया था।
अख्तर अली ने कहा था कि उन्होंने इसको लेकर 2023 में शिकायत की थी। जिसके बाद उनका ही तबादला कर दिया गया था। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में एक जांच रिपोर्ट भी भेजी थी, लेकिन उसे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि शिकायत करने के मामले में उनका और जांच समिति के दो अन्य सदस्यों का भी तबादला कर दिया गया।