ढाका: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है। शेख हसीना के इस्तीफा देने व देश छोड़ने के बाद सरकार की कमान मुहम्मद यूनुस ने संभाली है। हालांकि, उनकी सरकार में किसी भी मंत्री को शामिल नहीं किया गया है। इनके स्थान पर 13 सलाहकारों की नियुक्ति की गई है। इन सभी को सलाहकार का दर्ज दिया गया है।
बांग्लादेश सरकार के 13 मुख्य सलाहकारों में 2 हिंदू
मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में जिन 13 सलाहकारों को नियुक्त किया गया है, उनका नाम सैयदा रिजवाना हसन, फरीदा अख्तर, आदिलुर रहमान खान, खालिद हुसैन, नूरजहां बेगम, शर्मीन मुर्शिद, बीर प्रतीक फारुक-ए-आजम, नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद, सालेहुद्दीन अहमद, प्रोफेसर आसिफ नजरूल, एएफ हसन आरिफ, एम सखावत हुसैन, सुप्रदीप चकमा, प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय, तौहीद हुसैन का नाम शामिल है। साथ ही कैबिनेट सदस्यों में प्रदर्शनकारी छात्रों के दल के शीर्ष नेता, नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद को भी शामिल किया गया है।
पूर्व अटॉर्नी और पर्यावरणविद सलाहकार समिति में शामिल
कैबिनेट के दूसरे सदस्यों में पूर्व विदेश सचिव तौहिद हुसैन और पूर्व अटॉर्नी जनरल हसन आरिफ भी शामिल हैं। इनके अलावा पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वालीं वकील सैयदा रिजवाना हसन और कानून के प्रमुख प्रोफेसर आसिफ नजरूल भी कैबिनेट सदस्यों में हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ता अदिलुर रहमान खान को भी इसमें जगह मिली है। शेख हसीना सरकार में अदालत ने उन्हें दो साल के जेल की सजा सुनाई थी।
बांग्लादेश में 17 साल हुआ अंतरिम सरकार का गठन
बांग्लादेश में 17 साल पहले अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। इसके बाद शेख हसीना ने 15 साल तक बांग्लादेश की सत्ता पर एकतरफा राज किया। अवामी लीग की नेता शेख हसीना को सोमवार को बड़े पैमाने पर विद्रोह के कारण इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा था।
शेख हसीना के धुर-विरोधी माने जाते हैं मुहम्मद यूनुस
शेख हसीना के शासनकाल में गबन के आरोपों से घिरे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यूनुस को ‘गरीब लोगों का बैंकर’ भी कहा जाता है। मोहम्मद यूनुस हसीना के कटु आलोचक और विरोधी माने जाते हैं। उन्होंने हसीना के इस्तीफे को देश का ‘दूसरा मुक्ति दिवस’ बताया है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस का जन्म 1940 में भारत के चटगांव में हुआ था। अब यह क्षेत्र बांग्लादेश का एक प्रमुख बंदरगाह शहर है। उन्होंने अमेरिका के वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और बांग्लादेश लौटने से पहले कुछ समय तक वहां अध्यापन कार्य किया है।