Lucknow News– रोहिंग्या मुसलमानों के बर्थ सर्टिफिकेट मामले में यूपी एटीएस ने बड़ा खुलासा किया है। फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनाने के आरोप में गिरफ्तार जनसुविधा केंद्र संचालक जिशान से पूछताछ में पता चला है, कि वो एक ऐसे गैंग के लिए काम कर रहा है, जो भारी संख्या में उसे रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों के जन्म प्रमाण पत्र बनाने की सूची देते थे और फिर उनके सर्टिफिकेट बनाकर उन्हें भारतीय नागरिकता दे रहे थे। जांच में पता चला है, कि यूपी के रायबरेली के गावों में आबादी से अधिक फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र बनाए गए हैं।
आबादी से ज्यादा बने बर्थ जन्म प्रमाण पत्र
मिली जानकारी के अनुसार, रायबरेली के पलाही गांव में 4500 की आबादी है। इस आबादी में सिर्फ एक ही परिवार मुस्लिम का है, लेकिन इस गांव के पते पर 819 मुस्लिमों के जन्म-प्रमाण पत्र बना दिए गए। इसी तरह नूरुद्दीनपुर गांव की आबादी 8 हजार है, लेकिन 12 हजार से अधिक मुस्लिम लोगों के जन्म प्रमाण-पत्र बनाए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, जिशान ने कई और बड़े खुलासे किए है। इसी तरह प्रयागराज, कानपुर, उन्नाव, बाराबंकी और लखनऊ में भी इनका गैंग काम कर रहा है।
रोहिंग्या और बांग्लादेशी नामों की मिली थी सूची
यूपी एटीएस के सूत्रों के मुताबिक जिशान को एक सूची दी गई थी। जिसमें सभी रोहिंग्या और बांग्लादेशी युवक-युवती और बच्चों के नाम थे। जिशान ने यूपी एटीएस को बताया कि, कानपुर, प्रयागराज, बाराबंकी, उन्नाव, अमेठी और लखनऊ में जनसुविधा केंद्र चलाने वालों से सरगना ने बड़ी संख्या में बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के बाद उनको बस्तियों में स्थापित भी कर दिया है।
बता दें, कि केरल में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक सदस्य को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था। उसके पास से बरामद सभी दस्तावेज रायबरेली के पते पर बने हुए थे। जांच में सामने आया, कि जन सुविधा केंद्र संचालक जिशान ने फर्जी दस्तावेज बनाए थे। पूछताछ में उसने बताया, कि वह PFI का सदस्य है और उसके तार केरल, महाराष्ट्र और गुजरात में भी फैले हुए हैं।