नई दिल्ली: महाराष्ट्र में जीका वायरस के 8 मामलों की पुष्टि होने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सतर्क हो गया है। जीका वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को परामर्श जारी किए हैं। जिसमें में वायरस पर निरंतर निगरानी बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ अतुल गोयल ने सभी राज्यों को परामर्श जारी करते हुए कहा कि चूंकि जीका वायरस प्रभावित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल परिणामों से जुड़ा है, इसलिए राज्यों को करीबी निगरानी के लिए चिकित्सकों को सचेत करने की सलाह दी जाती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से आग्रह किया है कि वे प्रभावित क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस संक्रमण की जांच कराएं। जीका वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण करने वाली गर्भवती माताओं के भ्रूण के विकास की निगरानी रखी जाए और केंद्र सरकार के अनुसार कार्य किया जाए। राज्यों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे स्वास्थ्य सुविधाओं एवं अस्पताल परिसर को एडीज मच्छर मुक्त रखने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें।
यह भी पढ़ें: एसिडिटी की समस्या दूर करेगी खानपान की ये चीजें, तुरंत मिलेगी राहत !
क्या है जीका वायरस?
जीका वायरस डेंगू और चिकनगुनिया की तरह एक एडीज मच्छर जनित वायरल बीमारी है। यह एक गैर घातक बीमारी है। हालांकि, जीका प्रभावित गर्भवती महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में माइक्रोसेफली (सिर का आकार कम होना) से जुड़ा है। जो एक चिंता का विषय है। भारत ने 2016 में गुजरात राज्य से पहला जीका मामला दर्ज किया था। तब से, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक जैसे कई अन्य राज्यों में इसके मामले सामने आए हैं। दो जुलाई तक महाराष्ट्र में पुणे (6), कोल्हापुर (1) और संगमनेर (1) से आठ मामले सामने आए हैं। जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सतर्क रहने के लिए निर्देश जारी किए हैं।