कट्टरपंथी संगठन हिजबुल्लाह ने इजरायल से जंग रोकने के लिए एक बड़ी शर्त रखी है। हिजबुल्लाह के उपनेता शेख नईम कासिम ने लेबनान-इजरायल सीमा पर जारी संघर्ष को रोकने का एकमात्र तरीका गाजा में पूर्ण संघर्ष विराम बताया है। कासिम ने बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में समूह के राजनीतिक कार्यालय में कहा, कि “अगर गाजा में संघर्ष विराम होता है तो हम बिना किसी चर्चा के युद्ध रोक देंगे।”
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हिजबुल्लाह के उपनेता कासिम ने कहा कि इजरायल-हमास युद्ध में हिजबुल्लाह की भागीदारी उसके सहयोगी हमास के लिए एक ‘समर्थक मोर्चे’ के रूप में रही है और अगर युद्ध रुकता है तो सैन्य समर्थन भी नहीं रहेगा। कासिम ने कहा कि अगर इजरायल बिना किसी औपचारिक युद्ध विराम समझौते के गाजा से अपनी पूरी सेना वापस बुलाता है तो लेबनान-इजरायल पर जारी संघर्ष की जटिलताएं बरकरार रह सकती हैं।
कासिम ने कहा कि अगर गाजा में संघर्ष विराम होने या फिर ना होने, युद्ध और युद्ध नहीं होने को लेकर मिलीजुली चीजें रहती हैं तो हम उस पर अभी कोई जवाब नहीं दे सकते, क्योंकि हम इसके स्वरूप, इसके परिणामों, इसके प्रभावों को नहीं जानते हैं।
कौन है हिजबुल्लाह ?
हिजबुल्लाह एक ऐसा कट्टरपंथी संगठन है, जो ईरान से पोषित है। वह युद्ध में फिलिस्तीन के समर्थन में और इजरायल के खिलाफ खड़ा है। अमेरिका समेत विश्व के ज्यादातर देश इसे आतंकी संगठन ही मानते हैं।
हिजबुल्लाह का गठन 1982 में हुआ था। जहां एक ओर इजरायल का मकसद इलाके से फिलिस्तीनी लड़ाकों का सफाया करना था। वहीं दूसरी ओर ईरान जैसे देशों का उद्देश्य इजरायल के खिलाफ खड़े रहना था। जब इजरायल ने लेबनान पर हमला करके उसके इलाके पर अपना कब्जा जमाया, तब कुछ मौलवियों ने जमा होकर एक समूह बनाया, जिसका उद्देश्य इजरायल को बाहर करना और लेबनान में इस्लामी शासन स्थापित करना था। ईरान हिजबुल्लाह को हथियार, पैसा और प्रशिक्षण मुहैया कराता है।