Lucknow News- लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार पर समीक्षा रिपोर्ट आ गई है। समीक्षा रिपोर्ट को लेकर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है, कि संविधान का मुद्दा मुख्य वजह रही है। यह रिपोर्ट तीन चरणों में तैयार हुई है। बताते चलें, कि कुल 80 सीटों में से सपा ने 37 और बीजेपी ने 33 सीटें हासिल की थीं। जबकि कांग्रेस को 6, रालोद को 2, आजाद समाज पार्टी और अपना दल (एस) को एक-एक सीट मिली थीं। इस चुनाव में बसपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी।
यह भी पढ़ें- अयोध्या- नवनिर्मित रामपथ पर कई जगह सड़क धंसी और हुआ जलभराव, 6 अधिकारी निलंबित
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार को लेकर बीजेपी की कोर कमेटी की एक बैठक लखनऊ में आयोजित की गई। इस बैठक में उन सीटों का विश्लेषण किया गया, जहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। यूपी कोर कमेटी की बैठक में स्पेशल टीम की समीक्षा रिपोर्ट रखी गई, जिसमें कई बातों का जिक्र किया गया है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में अफसरशाही के द्वारा जनता व कार्यकर्ताओं के साथ किया गया व्यवहार और अफसरों के भीतरघात की बात सामने आई है। बता दें, कि बीजेपी की स्पेशल टीम ने प्रदेश नेतृत्व को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी हैं। जिसमें हार की कई वजह बताई गई हैं।
विधायकों की निष्क्रियता बनी हार की वजह
समीक्षा रिपोर्ट में विधायकों की निष्क्रियता भी हार की बड़ी वजह बताई जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि विधानसभाओं में विधायकों की निष्क्रियता से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इतना ही नहीं, कई विधायक अपने क्षेत्र के लोकसभा कैंडिडेट के खिलाफ थे और भाजपा को इन सीटों पर भीतरघात से नुकसान हुआ। यह भी कहा जा रहा है, कि संविधान के मुद्दे पर शेड्यूल कास्ट वोटर अलग हो गया। ओबीसी वोटर छिटक गया और बीजेपी की करारी हुई।
संविधान बदलने का मुद्दे से भी हुआ नुकसान
समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार संविधान का मुद्दा भी मुख्य वजह रही है। जिसकी वजह से दलित वोटरों ने भाजपा से दूरी बनाई। मतदान कम होने का कारण बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की अधिकारियो और जनप्रतिनिधियों से नाराजगी भी रही। यही वजह है, कि तमाम कोशिशों के बाद भी ओबीसी वोट बैंक के बिखराव को रोका नहीं जा सका और दलित वोट संविधान के मुद्दे पर दूर होता गया।