जम्मू-कश्मीर में बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए औपचारिक रूप से आज शनिवार 29 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई है। 19 अगस्त तक चलने वाली इस तीर्थयात्रा में तमाम श्रद्धालु बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
दक्षिण कश्मीर के हिमालय रेंज में स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए शिवभक्तों का पहला जत्था बालटाल और नुनवान आधार शिविरों से शनिवार की सुबह रवाना हो गया। यात्रा 48 किलोमीटर लंबे नुनवान-पहलगाम मार्ग और 14 किमी लंबे बालटाल मार्ग से शुरू हुई। अमरनाथ यात्रा के लिए ये दोनों ही पारंपरिक रास्ते हैं। बता दें कि शुक्रवार की सुबह जम्मू के भगवती नगर स्थित यात्री निवास आधार शिविर से 4,603 तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को रवाना किया गया था।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने के लिए पुलिस के अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और अर्धसैनिक बलों के सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।
क्यों खास है अमरनाथ धाम ?
अमरनाथ धाम भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। अमरनाथ में भोलेशंकर के दुर्लभ और प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन होते हैं। ऐसा माना जाता है कि करीब डेढ़ सौ साल पहले इसे खोजा गया था। हर साल प्राकृतिक रूप से बनने वाली इस शिवलिंग के दर्शन के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं। पवित्र अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से जाता है और दूसरा बालटाल की ओर से जाता है।
कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी ?
अमरनाथ गुफा में बर्फ की एक छोटी शिवलिंग सी आकृति बनती है, जो लगातार 15 दिनों तक रोज थोड़ी-थोड़ी बढ़ती जाती है। 15 दिन में इस शिवलिंग की ऊंचाई 2 गज से ज्यादा हो जाती है। चंद्रमा के घटने के साथ ही शिवलिंग का आकार भी घटने लगता है और उसके लुप्त होने पर शिवलिंग भी अंतर्ध्यान हो जाता है।