बाबा बर्फानी के दर्शन की आस लिए शिवभक्तों का पहला जत्था कश्मीर घाटी पहुंच चुका है। अमरनाथ यात्रियों के इस जत्थे के कश्मीर पहुंचने पर कुलगाम के डिप्टी कमिश्नर ने स्वागत किया। उपायुक्त ने कहा कि तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे का स्वागत करना उनके लिए बड़े ही सम्मान की बात है।
बता दें कि अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलेगी। इससे पहले आज शुक्रवार की सुबह उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू में अमरनाथ बेस कैंप में पूजा-अर्चना के बाद अमरनाथ यात्रा को झंडी दिखाई थी। यात्रा मार्ग पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से यात्री वाहनों पर नजर रखी जा रही है।
साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोगों ने कराया है रजिस्ट्रेशन
मौसम ने साथ दिया तो इस वर्ष रिकॉर्ड यात्रा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। 28 जून से 19 अगस्त तक चलने वाली श्री अमरनाथ यात्रा के लिए साढ़े तीन लाख से ज्यादा यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इसके अलावा बिना रजिस्ट्रेशन के आ रहे श्रद्धालुओं के लिए तत्काल पंजीकरण भी जारी है। इसके लिए पहले टोकन मिल रहा है और उसके बाद तत्काल पंजीकरण होगा।
बिना RFID कार्ड के नहीं मिलेगा प्रवेश
श्रद्धालुओं को RFID कार्ड (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन कार्ड) के बिना आधार शिविर यात्री निवास में प्रवेश की इजाजत नहीं है। इस कार्ड के जरिए श्रद्धालुओं की लोकेशन का पता चल जाएगा।
क्यों खास है अमरनाथ धाम ?
अमरनाथ धाम भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। अमरनाथ में भोलेशंकर के दुर्लभ और प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन होते हैं। ऐसा माना जाता है कि करीब डेढ़ सौ साल पहले इसे खोजा गया था। हर साल प्राकृतिक रूप से बनने वाली इस शिवलिंग के दर्शन के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं। पवित्र अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से जाता है और दूसरा बालटाल की ओर से जाता है।
कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी ?
अमरनाथ गुफा में बर्फ की एक छोटी शिवलिंग सी आकृति बनती है, जो लगातार 15 दिनों तक रोज थोड़ी-थोड़ी बढ़ती जाती है। 15 दिन में इस शिवलिंग की ऊंचाई 2 गज से ज्यादा हो जाती है। चंद्रमा के घटने के साथ ही शिवलिंग का आकार भी घटने लगता है और उसके लुप्त होने पर शिवलिंग भी अंतर्ध्यान हो जाता है।