नई दिल्ली- सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSRI-CMERI) ने सीमांत और छोटे किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक कॉम्पैक्ट, सस्ता और आसानी से चलने वाला ट्रैक्टर विकसित किया है। रांची स्थित एक MSME ने इस ट्रैक्टर के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए संयंत्र स्थापित करने में रुचि दिखाई है। यह ट्रैक्टर 9HP डीजल इंजन के साथ बनाया गया है। जिसमें 8 फॉरवर्ड और 2 रिवर्स स्पीड, PTO के साथ 6 स्प्लिन 540 RPM की क्षमता है।
इसका कुल वजन लगभग 450 किलोग्राम है। इसके पहिये का आकार क्रमश- 4.5-10 और 6-16 है। ट्रैक्टर का व्हीलबेस 1200 मिमी, ग्राउंड क्लीयरेंस 255 मिमी और टर्निंग रेडियस 1.75 मीटर है। भारत में सीमांत और छोटे किसानों की संख्या 80 प्रतिशत से अधिक है। उनकी एक बड़ी आबादी अभी भी बैल चालित खेती पर निर्भर है, जिसमें परिचालन लागत, रखरखाव लागत और रिटर्न एक बड़ी चुनौती है। बड़े ट्रैक्टर छोटे किसानों के लिए अनुपयुक्त हैं और अधिकांश छोटे किसानों के लिए उनकी पहुंच से बाहर हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार यह नया ट्रैक्टर खेती की प्रक्रिया को तेज कर सकता है, जो बैलगाड़ी द्वारा कई दिनों में होने वाले कार्य को कुछ ही घंटों में पूरा करने में सक्षम है। इससे किसानों की पूंजी और रखरखाव लागत भी कम होगी। इस तरह, किफायती और कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर छोटे और सीमांत किसानों के लिए बैल चालित हल का एक प्रभावी विकल्प हो सकते हैं।
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