Technology:- रक्षा अनुसंधान DRDO ने एक खास तकनीक को विकसित किया है। इस तकनीक के माध्यम से DRDO ने भारतीय नौसेना के लिए कुछ खास रॉकेट तैयार किए है। ये रॉकेट न सिर्फ दुश्मनों के रडार संकेतो को अस्पष्ट करता है बल्कि प्लेटफॉर्म और एसेट्स के चारों ओर एक खास माइक्रोवेव शील्ड बना देते हैं। जिससे जहाज रडार की पकड़ में आने से बच सकता है। इन खास मध्यम दूरी के माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (MR-MOCR) को DRDO की रक्षा प्रयोगशाला, जोधपुर में बनाया गया है। इन्हें एक समारोह के दौरान भारतीय नौसेना को सौंपा गया है।
इनमें एक खास प्रकार के फाइबर्स का इस्तेमाल किया गया है। जब रॉकेट को दागा जाता है तो वह अपने आसपास कुछ समय के लिए माइक्रोवेव्स का एक बादल (माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट क्लाउड) बना देता है। जिससे रेडियो फ्रीक्वेंसी बाधित हो जाती हैं, और जल्द ही एक शील्ड बन जाती है। MR-MOCR के प्रथम चरण के परीक्षणों को भारतीय नौसेना के जहाजों पर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इस दौरान माइक्रोवेव्स का एक बादल लगातार बना रहा। वहीं, दूसरे चरण के परीक्षणों में, रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) ने हवाई एरियल टारगेट को 90 फीसदी तक कम कर दिया।
जिसके बाद भारतीय नौसेना की ओर से इसे मंजूरी मिल गई है। जिसके बाद इसे भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है। बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने MR-MOCR की सफलता पर DRDO और भारतीय नौसेना की सराहना की है। उन्होंने MOC तकनीक को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और सराहनीय कदम बताया हैं। नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक ने भी कम समय में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस तकनीक को स्वदेशी रूप से विकसित करने के लिए DRDO के प्रयासों की सराहना की है।
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