पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग किशोर आरोपी को सुधार गृह से रिहा करने का आदेश दिया है। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग आरोपी को जमानत दी है। कोर्ट के आदेश में नाबालिग आरोपी को बुआ के पास रहने का निर्देश दिया गया है।
कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया है कि नाबालिग का मनोवैज्ञानिक टीम के साथ सेशन जारी रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा, कि “दो लोगों की जान चली गई है। आघात तो था ही, लेकिन किशोर भी आघात में था।”
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क्या है पूरा मामला ?
बीती 19 मई को पुणे में नाबालिग आरोपी ने नशे की हालत में पोर्शे कार से दो आई इंजीनियर्स को कुचल दिया था। इस दुर्घटना में दोनों इंजीनियर्स की मौत हो गई थी। इस मामले में पहले किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य एल. एन. दानवड़े ने नाबालिग को सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने सहित कुछ शर्तों के साथ जमानत दी थी। इसके बाद ये मामला सुर्खियों में आया था।
पुणे के कल्याणी नगर में हुए इस हादसे के बाद 17 साल के नाबालिग पर आरोप लगा था कि उसने दुर्घटना से पहले पब में बैठकर शराब पी थी। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था, लेकिन गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों के भीतर उसे जमानत मिल गई थी। इस फैसले का काफी विरोध हुआ था। 22 मई को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को 5 जून तक चिल्ड्रेन ऑब्जर्वेशन सेंटर भेजने का आदेश दिया था। बाद में उसकी हिरासत बढ़ती ही गई।